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Moon and Mind चन्द्र की सोलह कलाएं और उनका मन से सम्बन्ध

चन्द्र की सोलह कलाओं और उनका रसो से सम्बन्ध कैसे यह रसो का सम्बन्ध हमारी मन की अवस्था और चंद्र का हमारे मन पर स्थायित्व और स्वामित्व बनाता है इसके बारे में चर्चा करेंगे ! चंद्र की सोलह कलाओं का सम्बन्ध हमारे मन के नव रस श्रृंगार रस हास्य रस वीर रस, वीभत्स रस करुण रस अद्धभुत रस शांता रस भयात्मक रस क्रोध रस से है सबसे पहले हम बात करते है कि चंद्र की कला का अर्थ क्या हुआ ?इसे हम चंद्र की अलग अलग stages भी कह सकते है और अगर मनुष्य जीवन की बात करे तो हम हमारे मन की चाल,हमारे मन के वर्तुल को कैसे चंद्र तत्व चलाता है उसे हम कला कहेंगे ! चंद्रमा की सोलह कलाओं के नाम और उनका रसो से सम्बन्ध      Details In Vedios        #anandho youtubeembedcode de buy targeted visitors समस्या के समाधान के लिए  कॉल करे आनंद हो ज्योतिष केंद्र Call-7009688414 Whats app-7009688414 ‌ अमृत : चंद्र की यह कला का सम्बन्ध जोड़ा जाता है औषधियों की उत्पति से और औषधियों की शक्ति तक से ! इसका सम्बन्ध है सांता रस से है ! ‌मनदा : चन्द्र की इस कला से हमारे मन के विचार अस्तित्व में आते है । प
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महाविद्या छिन्मस्तिका( वज्र वैरिचिनी)त्याग की देवी

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DevyaathrvaSheersham  Is a part of  Sri Durga saptashati which  tells us about the existence and Presence Of maa durga In The universe as existence Of Universe. Call For Consultation Now 7009688414 To Connect Via Facebook Please Click The Link Below   Anand Ho On Facebook TO Visit Our You Tube Channel  Please click the link below          Anand Ho On You Tube

ब्रह्मचर्य #anandho

 हमे प्रशन प्राप्त हुआ कि क्या साधना करते समय ब्रह्मचर्य रखना आवश्यक है? उस प्रशन का उत्तर हम आपको देते है । यह जो प्रशन हमे प्राप्त हुआ था यह बीज मंत्र साधना के विषय मे पूछा गया था परन्तु हम केवल उसी साधना की बात न करके ब्रह्मचर्य के विषय मे  और साधना से सम्बन्ध के विषय मे आपको बताते है । ब्रह्मचर्य का अर्थ क्या है ?ब्रह्मचर्य का अर्थ है ब्रह्म जैसी चर्या स्वयम के ब्रह्म स्वरूप को समझने वाला ही ब्रह्मचर्य का पालन कर सकता है । ब्रह्मचर्य का बहुत ही महत्व है किसी साधना में और कुछ साधनाओ में तो इसको अत्यंत ही आवश्यक माना जाता है । किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे        आनन्द हो ज्योतिष केन्द्र       व्हाट्स एप्प  0091-7009688414         कॉल।            0091-7009688414      सबसे पहले हम चर्चा करते है विस्तार में कि ब्रह्मचर्य कैसे ब्रह्म जैसी चर्या है । ब्रह्म जैसी चर्या का अर्थ है  ईश्वर जैसी चर्या । ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल आज के समय मे  शारीरिक तल पर जाना जाता है और बताया जाता है ।   आज के समय मे ब्रह्मचर्य का अर्थ है वीर्य का निरोध । शारीरिक संबंध न बनाना । परन्तु व

कैसे कार्य करती है मन्त्र ऊर्जा #anandho(How Mantras Energy Works)

        इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि कैसे काम करती है वशीकरण विद्या या किसी भी मन्त्र की ऊर्जा । वशीकरण के बारे में आपको हमने पिछली पोस्ट में बताया था ।  अब  आपको यह बताते है कि क्या प्रभाव है वशीकरण मंत्रो का आप पर आपकी सोच पर और कैसे इसका सकारात्मक प्रयोग रूपांतरित करता है ऊर्जा को । पहले साधना के बारे में बात करेंगे जो कि व्यक्ति स्वयं करता है फिर साधक पर प्रभाव के बारे में और फिर किसी और के द्वारा किसी प्रकार के अनुष्ठान करवाने से कैसे कारण सिद्ध होते है वह भी आपको बताएंगे। किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे        आनन्द हो ज्योतिष केन्द्र       व्हाट्स एप्प  0091-7009688414         कॉल।            0091-7009688414                 #anandho              जैसा कि आपको पिछली पोस्ट में बताया गया था कि वशीकरण वह विद्या है जिसका निर्माण , सृजन के लिए किया गया था  और जिसका प्रयोगजीवन मे किसी भी प्रकार की नकारात्मकता चाहे वह रिश्तो में हो मानसिक रूप से आपके अंदर हो या फिर आपके जीवन मे आने वाली बाधाएं हो , के निराकरण के लिए किया जाता है ।   पिछली पोस्ट में हमने

वशीकरण विद्या ( क्या , क्यों , कैसे) #anandho

  #anandho             हमे अक्सर फ़ोन आते है वशीकरण क्रिया के बारे में। इसकी जानकारी प्राप्त करने हेतु या फिर  इस क्रिया के लिए।  कुछ बाते इस विद्या के बारे में चर्चा का विषय है। कुछ बाते ज़रूरी है सबके लिए जान लेना चाहें वह वशीकरण का साधक है या वशीकरण विद्या का जिज्ञासू या इससे कार्यसिद्धि प्राप्त करने की इच्छा रखने वाला। सबसे पहले हम बात करते है क्या है  वशीकरण । वशीकरण तँत्र के षट्कर्मों में से एक है यह सौम्य विद्या है जो कि मन्त्र के द्वारा तँत्र के द्वारा या यन्त्र शक्ति के द्वारा सिद्ध प्रयोग और प्राप्त की जाती है । वशीकरण विद्या का अर्थ है वश में करना । इसमे सभी इष्ट देवियो देवताओ आदि के मन्त्र प्रयोग किये जाते है। जैसे कि मैं हमेशा एक बात पर ज़ोर देता हूँ कि शक्ति कोई भी है  किसी भी प्रकार की है , उर्जास्वरूप है । और ऊर्जा ही है जो आधार है हमारे जीवन का नव रसों में श्रृंगार और हास्य रस से इस विद्या का सम्बन्ध माना जा सकता है । माया , सौम्यता , सौंदर्य , और ऐशवर्य का भी इस क्रिया से सम्बन्ध है । वशीकरण में मुख्यतः  शुक्र और चन्द्र ग्रह से सम्बंधित प्रयोग अधिक प्रचलित है और इन

9 का रहस्य(नवरात्र विशेष) #anandho

मित्रो आपको नवरात्र की बहुत शुभकामनाएं। आदि शक्ति मां  दुर्गा आप सब पर कृपा करे ऐसी मेरी कामना है। सृष्टी कि ऊर्जा स्वरूपा मां शक्ति आपको सम्पूर्णता खुशियां और अनन्त क्षमताएं आशीर्वाद के रूप में प्रदान करे। मित्रो आज हम माँ के नौ रूपो के साथ साथ सृष्टि मे 9 के अस्तित्व की चर्चा करेंगे । 9 रस है, 9 रंग, 9 ही ग्रह है और 9 ही रत्न।  एक नवजात शिशु के जन्म का चक्र 9 महीने का है और मृत्यु के बाद बरसी भी 9 महीने में की जाती है।  काल के नौ खण्ड है और 9 ही मां दुर्गा के नवरात्र। हम सभी नवरात्र को शक्ति के पर्व के रूप में मानते और जानते है।                       परन्तु इसका रहस्य क्या है कि 9 का इतना महत्व है इसका उत्तर हमे अंक विद्या से प्राप्त होता है । अंक विद्या में मूल अंक 9 को अनन्त माना गया है और जीवन का आधार भी । 1 को आप 9 बार 1 1 1 1 1 1 से जोड़े तो उत्तर 9 होगा 2 को 9 बार जोड़े तो 18 आता है जिसका जोड़ 9 है 3 को 9 जोड़े उतर आता है 27 जिसका जोड़ भी 9 है 4 को 9 बार जोड़े उतर 36 आता है , जोड़ 9 हुआ 5 को 9 बार जोड़े तो उत्तर 45 , जोड़ 9 हुआ 6 को 9 बार से 54 , जिसका जोड़ 9 है ,7 को 9 से 63 , जोड़