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तांत्रिक शब्द का उच्चारण मात्र ही हम में भय का संचार करने के लिए काफी है। तंत्र और तांत्रिक दोनो ही हमारे समाज मे भय , अंध विश्वास की छवि बनाये हुए है। जब कि वास्तव में ऐसा नही है। इस ब्लॉग के माध्यम से हम जानने की कोशिश करेंगे की क्या वास्तव में तंत्र ऐसा ही है। क्या वास्तव में ही तंत्र हमारी सामाजिक व्यवस्था में कोई माध्यम बन सकता है कि ज़िन्दगी में बदलाव लाया जा सकता है? इसके लिए हमे तंत्र को समझना पड़ेगा । सभी प्रचलित पाखंड जो कि तंत्र के नाम से जाने जाते है को भूल कर तंत्र के शुद्ध और सत्य स्वरूप को जानना होगा । तंत्र वह हरगिज़ नही है जो कि आज हम अखबारों में विज्ञापन देखते है । वो तंत्र का एक तुच्छ स्वरूप या कहे के निम्न स्तर की कुछ क्रियाये भले ही हो सकती है जो कि कालांतर के साथ स्वार्थ पूर्ति के लिए विकसित की गई पर तंत्र के उस विराट रूप को अगर समझ लिया जाए तो ये सब हमे भ्रमित नही कर पायेगा
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अब हम तंत्र की कुछ क्रियाओ को जानने की कोशिश करेंगे और थोड़ी जानकारी हम इसमे देने का प्रयास करेंगे जो कि अगली पोस्ट में विस्तृत रूप से अलग अलग दी जाएगी
मारण -:
मारण शब्द जैसे ही तांत्रिक भाषा मे हम सुनते है तो सीधा एक ही विचार हमारे मन मे आता है “किसी को मंत्रो के द्वारा मार देना ।“ परंतु ऐसा नही है असली परिभाषा है हमारे अंदर के बुरे विचारो का मारण करना। जैसे इंसान के विचार होंगे वैसे ही उसके फल । मारण क्रिया मुख्यतः हमारे अंदर ही कि बुराइयों के मारन की क्रिया है अलग अलग मंत्रो के द्वारा हमारे विचार शुद्धि करना ही कही न कही मारण है। इसमें भी कोई दो राय नही की इन्ही मंत्रो का प्रयोग कुछ लोग गलत स्वरूप में भी करते है जो कि करने वाले के लिये भी हानिकर ही है। मारण क्रिया में बहुत से गोपनीय मंत्र होते है जो कि केवल गुरु के द्वारा ही दिए जा सकते है वो भी शिष्य की पात्रता सिद्ध होने पे क्योंकि शक्ति अगर अपात्र को प्राप्त हो जाये तो निश्चित ही शक्ति का दुरुपयोग होता है। आगे अलग पोस्ट में आपको और विस्तार से मारण तंत्र के बारे में जानकारी दी जाएगी।
मारण तन्त्र के बारे में पड़ने के लिए नीचे लिखे लिंक पर क्लिक करे
( मारण तन्त्र सत्य या मिथ्या)
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वशीकरण-:
वशीकरण शब्द से करीब करीब हर तंत्र का ज्ञाता या रूचि रखने वाला परिचित होगा । आये दिन हम इस शब्द को अखबारों में विज्ञापनों में पड़ते । परंतु वशीकरण को सही से जानने की कोशिश कोई नही करता या कोई करता भी है तो किसी न किसी तरीके से पथभ्रष्ट हो कर इसे केवल एक ही दृष्टि से देखने लगता है ।“मनचाहा प्यार पाने का तरीका”। और कुछ तांत्रिक कहलाने वाले लोग भी उसे झूठ बोल कर वशीकरण के नाम पर उससे पैसा ऐंठ लेते है। वशीकरण का अर्थ है अपने अंदर की वशीकरण शक्ति को जगाना । यह शक्ति आपके अंदर तब तक जागृत नहीं हो सकती जब तक के आप खुद को वश मन रख सके । अपनी इन्द्रियों पर विजय पा कर अपने विचारो को शुद्ध न कर सके। कोई संदेह नही के वशीकरण शक्ति आज के समय मे सबसे अधिक प्रभावशाली भी है और इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत भी। क्योंकि आज प्रतिस्पर्धा का समय है और हर कोई उत्तम भोग और स्थान प्राप्ति की कामना करता है और वशीकरण एक ऐसी क्रिया है जो कि आपको सब कुछ दे सकती है । परन्तु इसके लिए सही गुरु या तांत्रिक की आवश्यकता है जो कि सिर्फ लालच दे कर आपको लूटे न अपितु आपको सही रास्ता दिखाए। वशीकरण के बारे में जल्द ही विस्तार पूर्वक पोस्ट लिखी जाएगी।
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वशीकरण तन्त्र और कार्य सिद्धि
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उच्चाटन-:
उच्चाटन का अर्थ है किसी चीज़ से मन उचट जाना। इस विद्या का प्रयोग किसी विचार को भंग करने या फिर किसी का ध्यान भटकाने के लिए प्राचीन काल से होता रहा है। इस क्रिया का यदि सदुपयोग हो तो यह किसी प्यार में पागल या किसी और बात से व्यथित व्यक्ति को भी निर्विचार कर उसमें नए विचारों की क्षमता भर सकती है और अगर दुरुपयोग हो तो किसी बहुत ही विद्वान ज्ञानी व्यक्ति को भी अज्ञानी और पागल बना सकती है
शुश्रूषा श्रवणं चैव ग्रहणं धारणां तथा ।
ऊहापोहोऽर्थ विज्ञानं तत्त्वज्ञानं च धीगुणाः ॥
शुश्रूषा, श्रवण, ग्रहण, धारण, चिंतन, उहापोह, अर्थविज्ञान, और तत्त्वज्ञान – ये बुद्धि के गुण हैं ।
उच्चाटन विद्या का सही प्रयोग इन सब को तीव्र कर सकता है और दुरुपयोग इन सबका विनाश।
उच्चाटन तन्त्र के बारे में अधिक जानकारी के लिए
Uchhatan Tantra
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स्तम्भन-:
स्तंभन क्रिया तंत्र की वह क्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने बुरे कर्मो का स्तंभन कर सकता है । कुछ लोग इस ज्ञान का अनुचित प्रयोग कर दूसरों के रास्ते में बाधा भी डालते है। परन्तु इसका सही प्रयोग अपने बुरे कर्मों और विचारो का स्तम्भन है।
खलः करोति दुर्वृत्तं नूनं फ़लति साधुषु ।
दुर्जन पाप करता है और उसका फ़ल अच्छे लोगों को भुगतना पडता है ।
इसी तरह वह लोग जो बुरे कर्म कर के तंत्र का दुरुपयोग करते है उन्ही के कारण तंत्र और अच्छे तांत्रिक भी बदनाम होते है। परंतु तंत्र की किसी भी क्रिया का निर्माण किसी के बुरे के लिए नही किया गया है। अतः स्तंभन विद्या का प्रयोग भी यदि सही हो तो व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आने के साथ साथ उसके बुरे विचारों का स्तम्भन और नाश भी होता है।
स्तम्भन तन्त्र के बारे में जानने के लिये नीचे लिंक पर क्लिक करे
(स्तम्भन तन्त्र सत्य या मिथ्या)
आगे के पोस्ट में हम सभी क्रियाओ के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे जिससे कि तंत्र के नाम पर चल रहे लूट और स्वार्थ के खेल से ऊपर उठ कर तंत्र की सही परिभाषा को हम जान सके और प्रत्येक व्यक्ति के जीवन मे तंत्र ओर योग से कार्य सिद्धि और व्यक्तित्व के निखार और इष्ट प्राप्ति के रहस्य से पर्दा उठ सके।
https://youtu.be/1XQ51RVDBlM
ब्लॉग के माध्यम से हम यह कोशिश करेंगे के तंत्र के मूल स्वरूप को समझ कर हम आपको महादेव भगवान शंकर और माँ दुर्गा के इस सृष्टि रहस्य से अवगत करा सके। और गुरु शिष्य परम्परा से आपको अवगत करा सके जो कि तंत्र मंत्र और इनके ज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण भाग है।
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तन्त्र और योग
क्यो मन्त्रो से नही होती कार्यसिद्धि?
रहस्यमयी बीज मंत्र
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