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मार्च, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

छिन्नमस्तिका महाविद्या (त्याग तत्व)

महाकाली अंधकार तत्व है(  महाविद्या महाकाली )   माँ तारा उस अंधकार में प्रकाश तत्व  महाविद्या तारा (कल्पना तत्व)   और श्री विद्या उस प्रकाश में आकर्षण तत्व  श्री विद्या ( आकर्षण तत्व) और भुवनेश्वरी निर्माण तत्व है  महाविद्या भुवनेश्वरी (निर्माण तत्व)  वैसे ही यह पांचवी महाविद्या छिन्नमस्तिका जो कि त्याग तत्व है। कोई भी कार्य कल्पना या स्वप्न बिना त्याग के संभव नहीं । प्रत्येक , स्वप्न , कल्पना और आविष्कार से निर्माण तक जो श्रृंखला है वह बिना त्याग के कैसे संभव है । किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे आनन्द हो ज्योतिष केंद्र  व्हाट्स एप्प   0091-7009688414   फोन               0091- 7009688414    आज तक जितने भी कवि जितने भी वैज्ञानिक जितने भी लेखक जितने भी अविष्कारक हुए  हैं उनके आविष्कार निर्माण और प्रसिद्ध होने में जो त्याग छिपा है , और कुछ भी प्राप्त करने के लिए जो त्याग और बलिदान होता है , उसके बिना शायद ही कोई कल्पना वास्तविक रूप में आ सके । यह जो देवी छिन्नमस्तिका है , वह 10 महाविद्या में त्याग तत्व का स्वरुप है । देवी का रूप विचित्र है और रहस्यमय भी । इनके बारे म

भुवनेश्वरी महाविद्या (निर्माण तत्व)

           मनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कलाकृति है मनुष्य ही है जो प्रकृति के सौंदर्य को भली-भांति जान सका। इसके निर्माण का जिज्ञासु रह कर सृष्टि के रहस्यों को समझने का प्रयत्न करता रहा। मनुष्य ही है जो उस परम पिता परमेश्वर की द्वारा रचित सृष्टि के सौंदर्य और ऐश्वर्य के आकर्षण को समझ सका । किसी ने किसी प्रकार से किसी ने किसी प्रकार से कविताओं आदि से प्रकृति की प्रशंसा की । किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे आनन्द हो ज्योतिष केंद्र  व्हाट्स एप्प   0091-7009688414   फोन               0091- 7009688414             मनुष्य जीवन भर में सौंदर्य ऐश्वर्या और संपन्नता के लिए लालायित रहता है और प्रतिक्षण कुछ न कुछ नव निर्माण की ओर अग्रसर और प्रयत्नरत रहता है।  कल्पना और कामना कौन नहीं करता प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसका व्यक्तित्व और अस्तित्व सभी को प्रभावित करें । वह जीवन मे कुछ ऐसा निर्माण करे कि वह महत्वपूर्ण और प्रचारित हो। यघ किसी के लिए सौंदर्य हो सकता है तो किसी के लिए कला, किसी के लिए साहित्य हो सकता है तो किसी के लिए व्यापार। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि वह ऐश्वर्यवान

श्री विद्या(आकर्षण तत्व)

श्री विद्या के बारे में पिछली पोस्ट में मैंने आपको बताया कि श्री विद्या क्या है और क्या है इसका महत्व इस पोस्ट में मैं आपको बताऊंगा क्या है श्री विद्या का तत्व सृष्टि में 10 महाविद्या अपने-अपने रुप में अपने-अपने तत्व में पूर्ण विद्यमान है जैसे की महाकाली अंधकार है और मां तारा उस अंधकार में एक तारे जैसे प्रकाश की किरण। श्री विद्या उसी प्रकार से सौंदर्य तत्व है जब सृष्टि में अंधकार था प्रकाश की किरण इस सृष्टि में आई तो सृष्टि का निर्माण हुआ और साथ ही निर्माण हुआ सृष्टि के सौंदर्य का सौंदर्य चाहिए मानव का है चाहे प्रकृति का कभी ब्रह्मांड के चित्र को देखा है कितना खूबसूरत लगता है वह कितना प्यारा लगता है और कितना रहस्यमई लगता है उसी ब्रह्मांड में दूर से यदि पृथ्वी को दिखा जाए कितनी अतुलनीय सौंदर्य की आभा झलकती है इससे छोटे-छोटे सितारे टिमटिमाते हुए और सभी ग्रह स्वतंत्र होकर अपनी चाल चलते हुए अंधकार में प्रकाश और प्रकाश में सौंदर्य यही है श्रीविद्या।  किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे आनन्द हो ज्योतिष केंद्र  व्हाट्स एप्प   0091-7009688414   फोन               0091- 700968

श्री विद्या रहस्य (1)

                         दस महाविद्या की श्रृंखला में सबसे उत्तम रहस्यमयी विद्या  के बारे में अब हम आपको इस पोस्ट और आगे अन्य पोस्टों में बताएंगे। इस पोस्ट में हम आपको उनके स्थान रूप और स्वरूप से अवगत करवाएंगे। ताकि आने वाली पोस्ट में आप उनके रहस्यमयी शक्ति और सृष्टि में उनके तत्व को समझ सके। किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे आनन्द हो ज्योतिष केंद्र  व्हाट्स एप्प   0091-7009688414   फोन               0091- 7009688414   पहले हमने बताया था महाकाली विद्या ( देखे महाविद्या महाकाली ) के बारे में जिनका वर्ण श्याम है  तत्व अंधकार है। फिर माँ तारा ( MAHAVIDYA TAARA )जिनका वर्ण नील है और तत्व कल्पना। अब हम बात करेंगे श्री वीीदया के बारे में। कैसा है उनका रूप क्या है उनका स्वरूप वर्ण और शक्ति। महाविद्या श्री विद्या को कई अन्य नामो से पुकारा जाता है राज राजेश्वरी, ललिता, त्रिपुर सुंदरी  और ब्रह्म विद्या। किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे आनन्द हो ज्योतिष केंद्र  व्हाट्स एप्प   0091-7009688414   फोन               0091- 7009688414                 मां राज राजेश्वरी