मारण तंत्र सत्य या मिथ्या
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(देखे महाकाली अष्टकम )
परन्तु आज इसका दुरुपयोग हो रहा है वो भी मात्र कुछ रुपयो के लिए। मारण तन्त्र की क्रियाये बेहद गोपनीय होती है और बिना पात्रता सिद्ध किये इन्हें प्राप्त करना असंभव से भी परे है।
यह तो हुआ वह पहलू जो कि मारण तन्त्र के नाम से प्रचलित भी है और है भी परंतु मारण तन्त्र का एक और भी पहलू है वह है हमारे अंदर के बुराइयों के मारण । हमारे साथ कुछ भी बुरा हो रहा है चाहे हो वह दुःस्वप्न है या बुरी आदतें हो काम है या क्रोध, लोभ है या वासना। इसके लिए जो क्रियाये है वह कही न कही ध्यान (मैडिटेशन) से जुड़े है। तंत्र का अर्थ सिर्फ शमशान क्रियाये नहीं है अपितु तंत्र तो योग, ध्यान , पूजा , ज्योतिष आयुर्वेद इन सबका समन्वय है। भगवान महाकाल जी द्वारा तंत्र का निर्माण किया गया था कि मानव उच्चत्तम अवस्था प्राप्त कर सके चाहे वो भोग है ,ऐश्वर्य है, ध्यान है या जीवन का कोई और भाग। परंतु दुर्भाग्य वश इस उच्चतम अवस्था को प्राप्त करने की जगह कुछ स्वार्थी लोगों ने इस को सिर्फ डर पैदा करने का हथियार बना लिया।
मारण तन्त्र को समझना बिना गुरु के संभव नही योग तथा ध्यान में मारण क्रियाये है जो कि आपके अंदर की बीमारियों बुरे विचारों या आपके बुरे कर्मों से आपको मुक्ति दिला कर आपको उच्चतम स्थिति की ओर अग्रसर होने और आपको धर्म अर्थ भोग मोक्ष सब प्राप्त करने योग्य बनाते है। अलग अलग मंत्रो में अलग अलग क्रियाये है जो कि कार्य सिद्धि में सहायक है। जैसा कि मैंने पहले बताया कि तंत्र में योग्य गुरु के द्वारा शिष्य की पात्रता सिद्ध होने पे ही इस रहस्यमयी विद्या से अवगत कराया जाता है । उसका मुख्य कारण यह भी है कि अपात्र के हाथ मे यदि विद्या आ जाये तो यह विनाश का कारण भी बन जाती है।
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इस तंत्र की शाखा में शमशान क्रियाये भी है
और ध्यान क्रियाये भी ।
(महाकाली महाविद्या)
महामृत्युंजय मंत्र के द्वारा भी आपके अंदर की बुराइयों बीमारियों या परेशानियों का मारण होता है । इसकी विधि गुरु शिष्य परंपरा के द्वारा आज भी प्रचलित है । दुर्गा सप्तशती के मंत्रो से भी यह कार्य सिद्ध होता है जो कि मंत्रो के जप यज्ञ और ध्यान से किया जाता है। कहने को तो यह मारण तंत्र छोटा सा नाम है परंतु जो छवि लोगो को इस तंत्र की दिखायी गयी है। वह भवन का मात्र एक भाग है सिर्फ इस भाग से हम पूरे भवन को जान पाए यह संभव नही अपितु हमे उस भाग से हट कर बाकी भवन को भी देख कर जान कर उसके बारे में विचारशील होना चाहिए। आगे चल कर धीरे धीरे हम आपको इस तंत्र के कुछ और रहस्यों से अवगत कराएंगे। और जिज्ञासुओ की ज्ञान वृद्धि से ले कर आत्म सिद्ध होने तक के उपाय बताते रहेंगे ।
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ब्लॉग के माध्यम से हम यह कोशिश करेंगे के तंत्र के मूल स्वरूप को समझ कर हम आपको महादेव भगवान शंकर और माँ दुर्गा के इस सृष्टि रहस्य से अवगत करा सके। और गुरु शिष्य परम्परा से आपको अवगत करा सके जो कि तंत्र मंत्र और इनके ज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण भाग है।
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Kya kinhi do logo ke bich satya me doori paida kar sakte hain. Ya yeh jhuth hai.
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