आदि शक्ति मां दुर्गा को सनातन धर्म की ऊर्जा एवं शक्ति माना जाता है ।हम सभी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में मां दुर्गा की पूजा अर्चना करते हैं । उनको किसी न किसी रूप में मानते हैं । नवरात्र की महिमा हमारे संपूर्ण सनातन परिवारों में बहुत श्रद्धा और भावना के साथ मानी जाती है । दुर्गा सप्तशती को देवी महात्म्य भी कहा जाता है और चंडी पाठ भी सभी कठिनाइयों और नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ यज्ञ अनुष्ठान सनातन काल से किया जाता रहा है।
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डामर तंत्र के अनुसार जैसे यज्ञ में अश्वमेध यज्ञ देवताओं में नारायण है वैसे ही श्लोकों में देवी महात्म्य है। दुर्गा सप्तशती में मां भगवती आदिशक्ति दुर्गा के 700 श्लोक हैं जिसके कारण देवी महात्म्य नामक इस ग्रंथ को दुर्गा सप्तशती कहा जाता है । इन 700 श्लोकों में भगवती दुर्गा के सौंदर्य शक्ति एवं क्रूर राक्षसों से युद्ध तथा विजय गाथा है ।इस ग्रंथ में 13 अध्याय है जिसमें की मां दुर्गा के विभिन्न सौम्य एवं विकराल रूपों का वर्णन एवं स्तुति की गई है । इन 13 अध्यायों को तीन चरित्रों में समाहित किया गया है ।पहला चरित्र मां भगवती के महाकाली स्वरूप का है मध्यम चरित्र भगवती के महालक्ष्मी स्वरूप और उत्तर चरित्र जिसे उत्तम चरित्र भी कहा जाता है मां भगवती के महासरस्वती रूप का है इस प्रकार श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से आद्यशक्ति के तीनों स्वरूपों महाकाली महालक्ष्मी और महासरस्वती की कृपा होती है । दुर्गा सप्तशती का नियम भक्ति पूर्वक पाठ करने से साधक और आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग की ओर अग्रसर होता है।
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जैसे दुर्गा सप्तशती के 700 श्लोक एवं 13 अध्यायों से निर्मित ग्रन्थ है । वैसे ही दुर्गा सप्तशती के नौ पाठ और दशमांश हवन नवचंडी कहलाते हैं। और 100 पाठ और दशांश हवन करने को शतचंडी महायज्ञ भी कहा जाता है। इसी क्रम में सहस्त्र चंडी और लक चंडी का पाठ भी होता है । पाठ संख्या के अनुसार उचित संख्या में ब्राह्मण मां दुर्गा सप्तशती का सस्वर बोलकर प्रत्येक दिन भगवती के इस ग्रंथ का पाठ करते हैं तथा यज्ञ करते हैं ।जैसे की हम सभी जानते हैं कि मंत्रों में बहुत शक्ति होती है यदि यह मंत्र निश्चित लय के साथ बोले जाएं तो इन मंत्रों द्वारा उत्पन्न ऊर्जा से इसके पाठ को मात्र सुन रहे इस यज्ञ में सम्मिलित होने वाले व्यक्ति पर मां दुर्गा की असीम कृपा बरसती है ।
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हमारा उद्देश्य जनसामान्य तक प्राचीन विद्या और शक्ति रूपी ग्रंथ के द्वारा प्रत्येक मनुष्य की कष्ट मुक्ति है । सनातन मत के अनुसार जो भी व्यक्ति इस यज्ञ को पूर्ण श्रद्धा से समर्पण भाव से संपूर्ण करता है उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं यज्ञ करने के लिए यज्ञ करने से वह सभी कार्य जो कि आपको असंभव प्रतीत होते हैं वे भी आपको मां भगवती की कृपा से संभव लगते हैं ऐसा शास्त्र सम्मत है । आपके जीवन में कठिनाइयां व्यापार में रुकावट, शत्रु से परेशानी, निर्दोष होते हुए भी कोर्ट कचहरी के चक्कर , विवाह में विलंब गृह क्लेश आदि हैं तो इस पाठ और यज्ञ से अच्छा और प्रभावशाली उपाय अन्य है ही नहीं । मां भगवती की कृपा से मुख्य रूप से निम्नलिखित समस्याओं का निदान दुर्गा सप्तशती के द्वारा होता हैगृह क्लेश से छुटकारा,
धन एवं ऐशवर्य प्राप्ति
कालसर्प दोष से छुटकारा
मंगल दोष निवारण
शीघ्र विवाह के लिए
पितृ शांति हेतु
विदेश यात्रा हेतु
किया कराया समाप्त करने हेतु
कोर्ट कचहरी से मुक्ति हेतु
शत्रुओ से मुक्ति हेतु
ऋण मुक्ति के लिए।
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दुर्गा सप्तशती पाठ करने से हर प्रकार के दुःख दर्द दूर होते हैं और घर में सदा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती हैं.
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