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बीज मंत्र और उनकी ऊर्जा



मित्रो एक प्रश्न  हमे प्राप्त हुआ कि क्या हम अलग अलग बीज मंत्रो को मिला सकते है? और अगर यदि मिला सकते है तो कौन कौन सा बीज मंत्र है जिसको हम एक साथ जप सकते है। तो मित्रो इसको जानने के लिए आपको बीज मंत्रो के विज्ञान उनकी ऊर्जा और आपके आंतरिक प्रभाव को जानना होगा। सबसे पहले हमें जानना होगा कि कौन सा बीज मंत्र किस प्रकार  की ऊर्जा और किस प्रकार की ऊर्जा रूपान्तरण कर सकता है। यहां हम कुछ बीज मंत्रो का उल्लेख कर रहे है इसके बाद हम आपको उनके इष्ट या ऊर्जा के बारे में बताएंगे।

ह्रीं बीज मंत्र:-
ह्रीं माया बीज है जिसमे की ह से शिव , र से प्रकृति , ईकार से महामाया , नाद से विश्वमाता , बिंदु से दुख हर्ता। अतः इस बीज मंत्र का ऊर्जा विचार और आह्वान हुआ कि हे शिव युक्त प्रकृति रूप में महामाया मेरे दुख का हरण कीजिये ।इसके बारे में आगे अलग पोस्ट और विस्तृत रूप से आपको जल्द ही प्राप्त होगी।

 श्रीं बीज मंत्र
यह महालक्ष्मी का बीज मंत्र है। यह सौम्य ऊर्जा से सम्बंधित है । इसमें श से महालक्ष्मी र से धन ऐशवर्य ईकार से तुष्टि और बिंदु से दुखहरन की ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह बीज मंत्र सिर्फ यही तक सीमित नही है अपितु हमारे लिए एक अत्यंत रहस्यमयी महाविद्या श्री विद्या के द्वार तक ले जाता है । अलग पोस्ट में इसे विस्तृत रूप से जल्द हम बताएंगे।

ह्रौं बीज मंत्र
यह शिव बीज है इसमें ह से शिव का आहवान होता है औ से सदाशिव जो कि शिव का अत्यंत शक्तिशाली रूप है।और  अनुस्वार है दुख हरण । यह बीज मंत्र जोतना सामान्य लिखने में है । वास्तव में उतना ही ऊर्जा क्षमता और रेहजयो से भरा भी है। यह बीज मंत्र हमारे लिए बहुत ही उच्च विद्या महामृत्युंजय विद्या के द्वार हमारे लिए खोलता है जिसे कहा जाता है मृत संजीवनी महामृत्युंजय विद्या। वह विद्या जिसका अंश भी यदि प्राप्त हो जाये तो साधक को  किसी भी तरह की समस्या से ऊपर ऊथ कर किसी भी प्रकार की मृत स्थिति चाहे वह रिश्ता हो या जीवन की कोई और स्थिति ,को पुनः स्थापित करने का सामर्थ्य देता है।

 भं बीज मंत्र:-
भं बीज भैरव बीज है। भ से भैरव और अनुस्वार से दुख हरण। इसकी ऊर्जा उग्र है और तँत्र में इसका बहुत प्रयोग भी होता है।

 क्रीं बीज मंत्र:-
यह बीज काली बीज है। इस बीज मंत्र में क से काली र से ब्रह्म ईकार से महामाया आदिशक्ति और बिंदु से दुखहरन अतः इस बीज मंत्र का अर्थ हुआ ब्रह्मशक्ति सम्पन्न महामाया काली मेरे दुखो के हरण करें। यह बीज मंत्र अत्यंत ही उग्र ऊर्जा से भरा है इसके therapeutic प्रयोग भी बहुत है बहुत से मानसिक विकारों को पूर्ण रूपेण डोर करने की क्षमता है इस बीज में। और तँत्र में तो यह बहुत ही उच्च स्थान रखता है। मारण कर्म तक इससे सम्पन्न किये जाते है।

ऐं बीज मंत्र:-
यह सरस्वती बीज मंत्र है। इसमे ए से सरस्वती का आह्वान होता है और अनुस्वार दुख हरण है। आगे चल कर हम इसके रहस्य को उजागर करेंगे जो कि इस बीज मंत्र सृष्टी ज्ञान को कैसे समाहित किए हुए है।

क्लीं बीज मंत्र:-
इस बीज मंत्र को लेकर प्रश्न भी हमे प्राप्त हुआ है। अलग पोस्टमे हम आपको इसका विस्तार बताएंगे परन्तु अभी के लिए यह बता देते है कि यह कामदेव बीज है।और वशीकरण सम्मोहन और अनन्त सौंदर्य भोग और उच्चता स्वयम में लिए हुए है। इसमे क से कामदेव ल से इंद्र ईकार से तुष्टि और  अनुस्वार सुख दाता है।

गं बीज मंत्र:-
यह गणेश बीज है इसमे ग से गणपति और बिंदु से दुख हरण का आह्वान होता है।

हुम् बीज मंत्र:-
 यह अत्यंत शक्ति शाली अत्यंत ही उग्र प्रभावी बीज है। क्रीम की तरह ही इसका प्रयोग भी तँत्र कर्मो में बहुत होता है और मानसिक विकार दूर करने के लिए भी प्रयोग होता है। यह बीज का ज़्यादा विस्तार अलग पोस्ट में ज़रूर दूंगा। परन्तु अभी के लिए ह से शिव उ से भैरव और अनुस्वार से दुखहर्ता का आह्वान होता है।

ग्लौं बीज मंत्र:-
यह भी गणेश बीज है और अत्यंत प्रभावी भी। इसमें ग से गणेश ल से सृष्टी औ से तेज ओज और ऊर्जा बिंदु से दुख हरण का आह्वान होता है।

स्त्रीं बीज मंत्र:-
स्त्रीं बीज मंत्र को माँ तारा का बीज मंत्र भी कहा जाता है  और इसका प्रयोग कई अन्य प्रयोगों में भी होता है । यह उग्र और सौम्य दोनो प्रकार से प्रयोग होता है। इसका अर्थ है स से मा दुर्गा का आह्वान त से तारन शक्ति  र से मोक्ष या मुक्ति और ईकार से महामाया आदिशक्ति का आह्वान होता है और अनुस्वार दुखहरन। अतः इस बीज मंत्र का अर्थ हुआ है माँ दुर्गा तारिणी रूप में अर्थात माँ तारा के रूप में आदिशक्ति की शक्ति से मेरे कष्टों से मुक्ति हो। और मेरे दुखो का हरण हो। यह मन्त्र तँत्र प्रयोगों में कष्ट मुक्ति के लिए अत्यधिक प्रयोग होता है।

क्ष्रौं बीज मंत्र:-
यह नरसिंह बीज है वे नृसिंह जो कि विष्णु का उग्र रूप है अतः इसकी ऊर्जा भी अत्यंत शीघ्र प्रभावी है और उग्र प्रभावी है। सौम्य हृदय वालो को बिना गुरु कृपा के उग्र प्रभावी प्रयोग नही करने चाहिए। इस बीज में क्ष से नृसिंह भगवान र से ब्रह्मशक्ति औ से शक्तिशाली और उर्ध्वकेशी भयानक रूप  और बिंदु से दुखहरण का आह्वान है। अर्थ हुआ नरसिंह भगवान जो कि उर्ध्वकेशी और उग्र रूप वाले है वे ब्रह्मशक्ति से युक्त हो मेरे दुखो का नाश करे। सामान्य साधक को इस बीज मंत्र के जाप से दूर रहना चाहिए।

शं बीज मंत्र :-
यह शंकर बीज है  श से शिव के शंकर रूप और बिंदु से  दुखहरन का आह्वान होता है

फ्रॉम (fraum)बीज मंत्र:-
यह बीज मंत्र कलयुग के प्रत्यक्ष देवता भगवान हनुमान का बीज मंत्र है। इस मंत्र को उनकी कृपा प्राप्ति के लिए ध्यान किया जाता है। परन्तु इसकी विधियां अत्यंत गोपनीय है अतः गुरु कृपा से ही प्राप्त कर के जाप करे ।
क्रोम बीज मंत्र :-
 यह भी काली बीज ही है  इसमें क काली  र ब्रह्म और औ  से भैरव रूपी शिव और बिंदु से दुखहरण शक्ति का आह्वान होता है यह मन्त्र बहुत ही ज़्यादा उग्र प्रभावी है अतः इसे तुच्छ कामनाओ या फिर किसी के नुकसान के लिए दुरुपयोग नही करना चाहिए और उत्कीलन कर के शुद्ध विचारो से कष्ट मुक्ति के लिए गुरु कृपा से ही प्रयोग करना चाहिए अन्यथा अर्थ के साथ साथ अनर्थ की भी संभावना प्रबल होती है दुरूपयोगो में।

दं बीज मंत्र:-
यह भी अत्यंत गोपनीय और रहस्यमयी बीज मंत्रो में से एक है अतः इसके बारे में गुरु ही शिष्य को बताने का अधिकारी है।

हं बीज मंत्र:-
यह आकाश बीज है । हमारे पंचतत्वों में से आकाशतत्व का शक्ति रूप है। इस बीज को हनुमान जी के मंत्रो में भी प्रयोग किया जाता है  और अकेले भी। इसको कई बीमारियो के इलाज मानसिक विकारों के इलाज डर भय आदि के इलाज में भी प्रयोग किया जाता है।

 यं बीज मंत्र:-
यह अग्नि बीज है। अभी प्रकार की अग्नि के आह्वान के लिए इस बीज का प्रयोग मान्य है । अग्नि के कुछ प्रकार आपको आगे कुछ पोस्ट में बताया जाएगा। जैसे कि कालाग्नि, जठराग्नि इत्यादि। आगे पोस्ट में आपको विस्तार से बताया जाएगा।

रं बीज मंत्र:-
यह जल बीज है

लं बीज मंत्र:-
 यह पृथ्वी बीज है

भ्रं बीज मंत्र:-
यह भैरव बीज है।
बीज मंत्रो की ऊर्जा अनन्त है और रहस्यो से भरी है । आगे पोस्ट में आपको और बीज मंत्रो के बारे में भी बताएंगे और उसके साथ ही प्रत्येक बीज मन्त्रकी विस्तृत जानकारी प्रयोग आदि भी बताएंगे

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