सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Moon and Mind चन्द्र की सोलह कलाएं और उनका मन से सम्बन्ध




चन्द्र की सोलह कलाओं और उनका रसो से सम्बन्ध
कैसे यह रसो का सम्बन्ध हमारी मन की अवस्था और चंद्र का हमारे मन पर स्थायित्व और स्वामित्व बनाता है इसके बारे में चर्चा करेंगे ! चंद्र की सोलह कलाओं का सम्बन्ध हमारे मन के नव रस
श्रृंगार रस
हास्य रस
वीर रस,
वीभत्स रस
करुण रस
अद्धभुत रस
शांता रस
भयात्मक रस
क्रोध रस
से है सबसे पहले हम बात करते है कि चंद्र की कला का अर्थ क्या हुआ ?इसे हम चंद्र की अलग अलग stages भी कह सकते है और अगर मनुष्य जीवन की बात करे तो हम हमारे मन की चाल,हमारे मन के वर्तुल को कैसे चंद्र तत्व चलाता है उसे हम कला कहेंगे !
चंद्रमा की सोलह कलाओं के नाम और उनका रसो से सम्बन्ध
     Details In Vedios
       #anandho
समस्या के समाधान के लिए  कॉल करे
आनंद हो ज्योतिष केंद्र
Call-7009688414
Whats app-7009688414
अमृत : चंद्र की यह कला का सम्बन्ध जोड़ा जाता है औषधियों की उत्पति से और औषधियों की शक्ति तक से ! इसका सम्बन्ध है सांता रस से है !
‌मनदा : चन्द्र की इस कला से हमारे मन के विचार अस्तित्व में आते है । प्रत्येक विचार का मूल भी तो अंतर मन होता है। मन के अंदर उठ रहे विचार सकरात्मक हो या नकरात्मक ,जिस भी प्रकार के विचार है , चन्द्र तत्व के कारण ही है ।इस कला के द्वारा हमारे विचारो का संचालन होता है। यदि चन्द्र शुभ है तो श्रृंगार रस,वीर रस,और हास्य रस की उत्पत्ति होती है और यदि अशुभ है तो भयात्मक रस,क्रोध रस,वीभत्स रस की उत्पत्ति हमारे अंतर मन में होती है । रसो के बारे में जानने के लिए आप नव रस नाम की पोस्ट सुन सकते है !
  समस्या के समाधान के लिए  कॉल करे
आनंद हो ज्योतिष केंद्र
Call-7009688414
Whats app-7009688414
‌पुष्प : चन्द्र की यह कला संपूर्ण सृष्टि के सौन्दर्य का संचालन करने वाली है यह तो हम सभी जानते है कि हम पृथ्वी पर जितनी भी वनस्पतिया जितने भी पेड़ पौधे , जितनी भी जड़ी बूटियां है,जितने भी फल फूल है उनके अंदर ऊर्जा का काम विटामिन आदि का काम सूर्य की किरणे करती है । परतु हम में से बहुत कम लोग जानते है कि फूलो में जो रस है फूलो में जो खुशबू है फूलो में जो सौन्दर्य है वह चंद्र की किरणों से ही अस्तित्व में आता है। यदि सूर्य का काम ऊर्जा देना है तो चन्द्र ही है जिससे फूलो में सुगंध है और फूलो , फलों ,वनस्पतियो में रस भरते है चन्द्र देव । जो हरियाली को देख कर हमें सुकून मिलता है तो हवाओ के फूलों की मंद मंद महक है उसका कारण चन्द्र है मानव जीवन में भी जो श्रृंगार साज सज्जा और खुशबू है उसका कारक चंद्र की यह कला ही है यदि चंद्र शुभ हो तो चंद्र की इस कला से श्रृंगार रस, अद्धभुत रस उत्प्न्न होता है और अशुभ हो तो नकारात्मक रूप से करुणा रस और वीभत्स रस उत्पन होता है ।
चंद्र की यह कला आपकी मन की स्थिति का संचालन करती है जिससे की जीवन को अच्छे से जीने की सुखपूर्वक और सकरात्मक दृष्टिकोण से जीने की इच्छा उत्प्न्न होती है या फिर नकारात्मक रूप से जीवन को दुःखपूर्वक जीता है व्यक्ति।
समस्या के समाधान के लिए  कॉल करे
आनंद हो ज्योतिष केंद्र
Call-7009688414
Whats app-7009688414
‌पुष्टि : चंद्र की यह कला मन और चित्त की स्वस्थ अवस्था का संचालन करती है इससे व्यक्ति के अंदर श्रृंगार रस,हास्य रस और शांता रस उत्पन होता है और यदि चन्द्र अशुभ अवस्था में हो करुणा रस ,भयात्मक रस,और क्रोध रस उत्पन करता है । स्वस्थ पुष्टि इसी कला से उत्पन होती है चित चेतना का शुद्ध होना, स्वस्थ होना या फिर अशुद्ध होना,अस्वस्थ होना इसी कला से संचालित होती है !

‌तुष्टि : चंद्र की यह कला आपके अंतन मन में उठती इच्छाओं को संचालित और उत्पन करती है । आपके मन में प्रत्येक प्रकार की इच्छा और इच्छा की पूर्ति के भाव इसी कला के कारण है चाहे वह काम इच्छा है या साधना करने की इच्छा या चाहे वो जीवन जीने की सकारात्मक इच्छा है , प्रप्तियो की इच्छा या फिर जीवन त्यागने की नकारात्मक इच्छा,आपकी असुरक्षा है या आपका दृढ़चित्त होना है, आपका भय है या आपकी वीरता है सबका मूलतः होना ही तुष्टि कला के कारण ही है इस कला का सम्बन्ध सभी रसो से है शुभ हो तो स्रिंगर, हास्य वीर,सांता ! और अशुभ हो तो करुणा, वीभत्स और भयात्मक !
‌त्रुटि : चंद्र की ये कला आपके अंतर मन की दृढ़ता को संचालित करती है और उसी का मूल कारण भी है । आपके दृढ़चित हो जाने के पीछे चाहे वो किसी विचार, इच्छा, या कारण से है चंद्र की ये कला ही है यदि चन्द्र शुभ हो तो वीर रस उत्पन होता है और अशुभ हो तो क्रोध और वीभत्स रस !


‌ समस्या के समाधान के लिए  कॉल करे
आनंद हो ज्योतिष केंद्र
Call-7009688414
Whats app-7009688414

शाशनी : चंद्र की यह कला आपके अंतर मन में जो तेज़ है, प्रकाश है, मन की वह अवस्था जो उहापोह से निकाल कर हमें मन की शुद्ध चेतना तक ले जाती है , जो हमें भ्रम से निकालकर ज्ञान और चित्त की उस अवस्था की हमें सत्य और क्लेरटी ऑफ़ माइंड की तरफ जाती है उसका संचालन चंद्र की इस कला से ही होता है इसका सम्बन्ध है ,शांता रस से है चन्द्र की इस कला से ही शांता रस की उत्पत्ति होती है । हमारे तेज़ ओज और आकर्षण शक्ति का कारक भी ये कला ही है । चंद्र शुभ न हो या कमजोर हो यह कला का अभाव ही भ्रम, कुसंगति और कुविचारों की और ले जाता है । जिस से भयात्मक रस, करुणा रस और वीभत्स रस उत्प्न्न होता है ।
 Know How 9 Rasas Work On your Subconscious,Unconscious,and Conscious state Of Mind

‌चन्द्रिका : चंद्र की यह कला आपके मन को शांत स्थिति उत्पन करने वाली है । आपके मन में जो भी शीतलता, शांति और दिव्य आनंद का भाव उत्प्न्न होता है ,उसका उत्पन होना और संचालन होना इसी कला के कारण है । इसका सम्बन्ध शांता रस से है । जैसे पूर्णिमा के समय चंद्र की किरणें संपूर्ण पृथ्वी पर सौम्यता, शीतलता और शांति का विस्तार करती है । उस शीतल आभा से सम्पूर्ण प्राणी जान शांतचित्तता , सौम्यता और प्रकाश पाते है । वैसे ही ये कला आपके अंतर मन में दिव्य भाव, शांति और सौम्यता शीतलता का आनंदमयी भाव उत्पन करती है । अशुभ या कमजोर चंद्र की स्तिथि में व्यक्ति में क्रोध रस और भयात्मक रस और करुणा रस और वीभत्स रस उत्प्न्न होते है !
‌कान्ति : कान्ति ये कला भी चंद्रनि की भांति ही आपके मन के अंदर जो तेजोमय स्तिथि है । उस दिव्य भाव का संचालन कान्ति कला करती है। चित की शुद्ध अवस्था इसका प्रतीक है , शुभ अवस्था में श्रृंगार ,शांता रस उत्पन होते है और अशुद्ध अवस्था में भयात्मक, करुणा और वीभत्स रस और क्रोध रस उत्प्न्नहोते है

समस्या के समाधान के लिए  कॉल करे
आनंद हो ज्योतिष केंद्र
Call-7009688414
Whats app-7009688414
ज्योत्स्ना : चंद्र की इस कला से भी शाशनी कला की तरह चित की प्रकाशमय स्तिथि ही उत्पन होती है । यदि शुभ हो तो शांता और वीर रस उत्पन होते है और अशुभ हो तो विभस्त, क्रोध और भयात्मक रस उत्पन होते है

‌ श्री : श्री का अर्थ है संप्रदा,सौम्यता, शीतलता और ऐश्वर्य ! श्री महालक्ष्मी का भी एक नाम है चन्द्र की इस कला से हमारे अंदर सकारात्मक ,विचार क्षमता,और ईश्वर कृपा का भाव उत्पन होता है और दिव्य अनुभूतिया, प्रेम, सौम्यता जैसे भावो का अंतर मन में उत्पन होना या अभाव होना चंद्र की इसी कला के कारण होता है शुभ हो तो शांता, श्रृंगार और वीर रस , अशुभ हो तो करुणा रस होता है!
Know About Subliminal Messages Which Work And Effect On The Subconscious Mind  and change the Way You Think .
‌ प्रीति : मनुष्य के मन के अंदर जितनी भी प्रेम भावना है वह चन्द्र की इसी कला के शुभ अवस्था से होती है चंद्र को शुभ अवस्था में श्रृंगार , हास्य और शांता रस उत्पन्न होते है और अशुभा अवस्था में धृणा भाव, नकारात्मकता, और उदासीनता होती है जिन का मूल कारण वीभत्स और करुणा रस होते है
समस्या के समाधान के लिए  कॉल करे
आनंद हो ज्योतिष केंद्र
Call-7009688414
Whats app-7009688414
‌अंगदा :मन की स्थिरता , चित्त का स्थायित्व भावनात्मक सुरक्षा और विचारो पर स्थिर होना , इस कला के कारण ही होता है चंद्र की इस कला से ही हम स्थिर चित्त हो कर किसी कार्य पथ पर अडिग हो कर और स्थिर हो कर पूर्ण रूप से समर्पण भाव से या फिर निर्भय हो कर स्थिर चित हो कर जीवन पथ पर अग्रसर होते है और अशुभ अवस्था में ही ये कला ही है जो मन के ऊहापोह ,मानसिक द्वंद्व और असुरक्षा की भावना का कारण बनती है। शुभ होने पर मनुष्य में वीर रस शांत रस और अशुभ अवस्था होने पर भयात्मक रस, करुणा रस और क्रोध रस उत्पन होते है
‌पूर्ण : चंद्र की इस कला के कारण ही मन की एकग्रता और निश्चय को पूर्ण करने का भाव होता है इसी कला के कारण ही मन में किसी भी भाव अवस्था में पूर्णता प्राप्त करने का भाव उत्पन होता है चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक भाव यह कला दोनों में पूर्णता का कार्य करती है शुभ हो तो वीर रस अशुभ हो तो भयात्मक रस उत्पन होता है
समस्या के समाधान के लिए  कॉल करे
आनंद हो ज्योतिष केंद्र
Call-7009688414
Whats app-7009688414
#anandho
‌पूर्णामृत : यह चंद्र की वह कला है जिसके कारण हमारे अंतर मन में सुख की अनुभूति चाहे वह किसी भी विचार कार्य या किसी भी कारण से हो यह सुख का रस है चन्द्र का पूर्ण और शुभ रूप पूर्णिमा की शीतल चाँदनी सौम्यता और शीतल किरणों की तरह जो जगत के सभी रसो को चलायमान करती है ।

समस्या के समाधान के लिए  कॉल करे
आनंद हो ज्योतिष केंद्र
Call-7009688414
Whats app-7009688414
#anandho,#moon_and_mind,#subconscious_mind,#astrology,#chandra_ke_upaye

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ह्रीं बीज और इसके लाभ

    मित्रो जैसे कि पिछली पोस्ट में आपको ॐ के कुछ रहस्यो से अवगत करवाया गया। इस पोस्ट में आपको  ह्रीं बीज से अवगत करवाऊंगा। ह्रीं बीज क्या है ? हमारी जीवन मे कैसे यह बदलाव ला सकता है और हमारी शक्ति प्रभाव का विस्तार और विचार शुद्धि कैसे कर सकता है यह मंत्र। किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे आनन्द हो ज्योतिष केंद्र  व्हाट्स एप्प   0091-7009688414   फोन               0091- 7009688414     जैसे कि बीज मंत्रो कस बारे में हमने आपको पिछली पोस्ट में बताया कि बीज मंत्र क्या है और कौन कौन से है । ह्रीं उन बीज मंत्रो में अत्यंत महत्वपूर्ण प्रभाव रखता है। और स्थान भी। ह्रीं  शक्ति बीज है । इस बीज मंत्र का संबंध आदि शक्ति मा दुर्गा से है और उनकी कृपा प्राप्ति में यह मंत्र अत्यंत फलदायी है। इस मंत्र के जाप से हमारे शारीरिक विकास , मानसिक संतुलन ,विचार शुद्धि , और सम्पन्नता प्राप्ति सब कुछ संभव है। सबसे पहले हमें जान लेना चाहिए कि बीज मंत्र कार्य कैसे करते है । जब एक साधक शुद्ध अवस्था मे एकाग्रचित्त हो कर किसी भी बीज मंत्र का जाप पाठ ध्यान करता है तो उस बीज मंत्र के उच्चारण  से

ह्रीं बीज मंत्र और तंत्र

ह्रीं बीज मंत्र और तंत्र      मित्रो जैसे कि पिछली पोस्ट में मैं के आपको ह्रीं बीज का आपके शारीरिक संतुलन के बारे में बताया । अब हम आपको ह्रीं बीज मंत्र के कुछ मन्त्र प्रयोग  और तंत्र प्रयोग जिनसे की कार्यसिद्धि होती है , से अवगत करवाएंगे। किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे आनन्द हो ज्योतिष केंद्र  व्हाट्स एप्प   0091-7009688414   फोन               0091- 7009688414 ह्रीं बीज जैसे कि मैंने आपको पहले बताया मा दुर्गा  से संबंधित  है। इस बीज मंत्र के साधारण प्रयोग से कार्यसिद्धि प्रयोग तक है। जैसे कि हमने पहले बताया कि भगवान शिव और  माँ दुर्गा  तन्त्र के अधिष्ठाता है। अतः इस मंत्र से तान्त्रिक प्रयोग और अनंत शक्ति समाहित है । इस बीज मंत्र के द्वारा साधक वशीकरण सम्मोहन मोहन और आकर्षण शक्ति का स्वामी बन सकता है। किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे आनन्द हो ज्योतिष केंद्र  व्हाट्स एप्प   0091-7009688414   फोन               0091- 7009688414  इस मंत्र के जाप से व्यक्ति का प्रभामंडल विकसित जोटा है और व्यक्तित्व में निखार आता है।  व्यक्ति  या साधक  जो भी इस मं

उच्चाटन तंत्र

 उच्चाटन तंत्र जैसा कि हमने पहले बताया कि उच्चाटन का अर्थ है किसी भी चीज़ से मन उचाट हो जाना या कर देना। यह विद्या शत्रुओ को भ्रमित करने के लिए प्रयोग में आती रही है। इस विद्या का सबसे महत्वपूर्ण प्रयोग है  किसी के मन में किसी प्रकार के तनाव भरे ख्यालो या विचारो से मुक्त करना हम कई बार देखते है  कि कभी कभी एक विचार ही मनुष्य की मानसिक संतुलन को बिगाड़ने में काफी रहता है और वह विचार  अंतर मन तक ऐसे घर कर जाता है जैसे उसे कुछ और न समझ आ सके न ही वह उससे उबर ही पाता है। वह विचार किसी भी प्रकार  का हो सकता है प्रेम से संबंधित हो सकता है प्रेम ईर्ष्या शत्रुता या नकारात्मकता ।उच्चाटन विद्या का सही प्रयोग उस व्यक्ति को उस विचार से मुक्त कर सकता है और नई सोच सोचने को मजबूर कर सकता है। किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे आनन्द हो ज्योतिष केंद्र  व्हाट्स एप्प   0091-7009688414   फोन               0091- 7009688414  परन्तु इस विद्या का दुरुपयोग  ज्यादा होता है और सदुपयोग कम। दुरुपयोग में कुछ लोभी तांत्रिक  किसी का नुकसान करने  में अधिक  प्रयोग करते है । लोग अपने शत्रुओ प्