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छिन्नमस्तिका महाविद्या (त्याग तत्व)


महाकाली अंधकार तत्व है( महाविद्या महाकाली)  माँ तारा उस अंधकार में प्रकाश तत्व महाविद्या तारा (कल्पना तत्व)  और श्री विद्या उस प्रकाश में आकर्षण तत्व श्री विद्या ( आकर्षण तत्व)और भुवनेश्वरी निर्माण तत्व है महाविद्या भुवनेश्वरी (निर्माण तत्व) वैसे ही यह पांचवी महाविद्या छिन्नमस्तिका जो कि त्याग तत्व है। कोई भी कार्य कल्पना या स्वप्न बिना त्याग के संभव नहीं । प्रत्येक , स्वप्न , कल्पना और आविष्कार से निर्माण तक जो श्रृंखला है वह बिना त्याग के कैसे संभव है ।
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   आज तक जितने भी कवि जितने भी वैज्ञानिक जितने भी लेखक जितने भी अविष्कारक हुए  हैं उनके आविष्कार निर्माण और प्रसिद्ध होने में जो त्याग छिपा है , और कुछ भी प्राप्त करने के लिए जो त्याग और बलिदान होता है , उसके बिना शायद ही कोई कल्पना वास्तविक रूप में आ सके । यह जो देवी छिन्नमस्तिका है , वह 10 महाविद्या में त्याग तत्व का स्वरुप है । देवी का रूप विचित्र है और रहस्यमय भी । इनके बारे में बहुत सी कथाएं प्रचलित है इनके रूप का वर्णन बहुत से ग्रंथों में अनेकानेक प्रकार से अनेकानेक शब्दों में वर्णित है और इनके रूप गुण शक्ति और सामर्थ्य के बारे में  महिमा का गुणगान है।
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 भगवती छिन्नमस्तिका के रूप को और इस सृष्टि में उनके विद्यमान होने को हम यथाशक्ति यथा सामर्थ्य आप तक कुछ अगली पोस्ट में पहुंचाने और उनके सत्य स्वरूप को आप तक लाने को  प्रयत्नरत हैं । परंतु उनके बारे में जानने से पहले हमें वह तत्व जिसका प्रतिनिधित्व यह महाविद्या करती है । उसे जानना जरूरी है और वह तत्व है त्याग , वह तत्व है बलिदान । इस पोस्ट में हम सृष्टि में विद्यमान और हमारे जीवन में त्याग और बलिदान तत्व के महत्व के बारे में चर्चा करेंगे और सिर्फ इस पोस्ट में नहीं आगे जो भी ज्ञान जो भी बातें हम इस महाविद्या के बारे में करेंगे वह कहीं ना कहीं इसी तत्व से संबंधित होगी क्योंकि हमारा जीवन बिना त्याग बिना बलिदान के अधूरा है और प्रत्येक व्यवस्था व्यवस्था जिसमें कि हमें किसी भी प्रकार से त्याग बलिदान के संघर्ष या पीड़ा से गुजरना पड़ता है वह कहीं ना कहीं हमारे जीवन हमारे अस्तित्व और हमारे व्यक्तित्व को निखारने अपनी लक्ष्य प्राप्ति तक पहुंचने और प्रसिद्ध प्रचारित और संतुलित होने मैं यह तत्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है 10 महाविद्या 10 महाविद्या का रहस्य 10 महाविद्या का अस्तित्व संपूर्ण सृष्टि के जन्म से लेकर प्रलय तक निरंतर प्रतिक्षण और पूर्ण रूप से सत्य और विद्यमान है। हमारे जीवन के प्रत्येक प्रश्न प्रत्येक इच्छा प्रत्येक कष्ट और प्रत्येक कष्ट के समाधान इन सब में 10 महाविद्या विद्यमान है हमारे जीवन मृत्यु जीवन का पुनर्जीवन अर्थात कुल का आगे बढ़ना और उत्पत्ति से लेकर विध्वंसक सृजन से लेकर विध्वंस तक केवल और केवल 10 महाविद्या है आज के समय में 10 महाविद्या को लेकर बहुत पाखंड बहुत ही प्रपंच रचे जा रहे हैं परंतु 10 महाविद्या उससे कहीं उच्च है और उससे कहीं महान है सृष्टि के कण कण में विद्यमान है ।

                       प्रत्येक महाविद्या हमारी सृष्टि से लेकर हमारे जीवन तक अत्यंत प्रभावशाली और हमारे प्रत्येक गुण सत हमारे प्रत्येक विचार वासना त्याग संपन्नता ईर्ष्या द्वेष और वैराग्य इन सब में और भी प्रत्येक प्रकार के विचार भावना और जीवन के अंश में 10 महाविद्या ही है। इस पोस्ट में कोशिश की मैंने कि आप तक 10 महाविद्या और 10 महाविद्या में छिन्नमस्तिका क तत्व आप तक पहुंचा सकूं महाकाली से लिखें महाविद्या छिन्नमस्तिका तक का यह सफर था मेरे लिए विस्मयकारी भी था और रहस्यपूर्ण भी।

            मित्रों यहां मैं एक बात कह देना चाहता हूं कि 10 महाविद्या काली तारा षोडशी छिन्नमस्तिका भुनेश्वरी भैरवी बगलामुखी धूमावती मातंगी कमला इन सब के बारे में परिभाषा देना पूर्ण रुप से शायद किसी के लिए भी संभव ना हो  । परंतु मैं भी आप ही की तरह जिज्ञासु साधक या एक बच्चे की तरह  किंकर्तव्यविमूढ़ दस महाविद्या के रहस्य से आविर्भूत हुए बिना नहीं रह पा रहा । जैसे जैसे मैं ब्लॉग लिख रहा हूं अपने अनुभव और आज तक के प्राप्त ज्ञान को शब्दों में आप तक ला रहा हूँ। वैसे वैसे मेरे ज्ञान का अहंकार और जैसे मुझे लगता था कि मैं ज्ञानी हूं वह भावना कहीं खो सी रही है और इन शब्दों को जो कि शायद स्वयं भैरव या महाविद्या के ही शब्द है आप तक पहुंचाने में आप तक माध्यम बन के प्रसारित करने में मैं गदगद महसूस करता हूं ।सत्य में ही कहूं तो मैं अपने गुरु को नमन करता हूं जिन्होंने मुझे उस बच्चे की तरह रहना सिखाया जो आज ब्लॉग लिख रहा है , फिर भी रहस्य से भरा है और 10 महाविद्या को जितना जाना है उससे भी ज्यादा जानने की भूख उस गुरु के शिष्य में बढ़ रही है । और मैं चाहता हूं यह मेरी कामना है , मेरी कल्पना है । अंधकार में शून्य होकर मैंने यह ब्लॉग लिखा , इस ब्लॉग को शुरू किया और वह जो प्रकाश तारा स्वरुप में मुझ में प्रज्वल्लित हुआ , और मैंने सब छोड़ कर अपना कार्य छोड़कर अपनी दिनचर्या छोड़कर सिर्फ और सिर्फ इस ब्लॉग को लिखने का अपने  अनुभव और ज्ञान को शब्दों द्वारा सब तक पहुंचाने का आकर्षण श्रीविद्या स्वरूप मुझे प्राप्त हुआ और भुनेश्वरी तत्व की कृपा से  ब्लॉग का  निर्माण हुआ और इस निर्माण के  लिए मेरे बलिदान और मेरे सर्वस्व समर्पण की जो भावना उसमें आई है आविर्भूत हुई है उसे मैं 10 महाविद्या का छिन्नमस्तिका तत्व समझकर नमन करता हूं । और मां भगवती से प्रार्थना करता हूं कि मैं आगे भी ऐसे ब्लॉग और ऐसी बातें ऐसे लेख और रहस्य आप तक पहुंचा सकूं।
   दस महाविद्या हमारे जीवन की प्रत्येक अवस्था से सम्बंधित है। सकारात्मक हो या नकारात्मक प्रत्येक परिस्थिति में है दस महाविद्या।
     अगली पोस्ट में हम माँ छिन्नमस्तिका के स्वरूप और सृष्टि रहस्य से आपको अवगत करवाएंगे।  उनके रूप वर्ण और अस्तित्व पर और प्रकाश डालने का प्रयत्न करेंगे।
ब्लॉग के माध्यम से हम यह कोशिश करेंगे के तंत्र के मूल स्वरूप को समझ कर हम आपको महादेव भगवान शंकर और माँ दुर्गा के इस सृष्टि रहस्य से अवगत करा सके। और गुरु शिष्य परम्परा से आपको अवगत करा सके जो कि तंत्र मंत्र और इनके ज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण भाग है। आपके प्रश्न जिज्ञासा या परेशानी के लिए आप हमे फ़ोन कर सकते है।
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