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कभी सोचा है , कौन सी ऐसी शक्ति है जो फूलों में सुगंध देती है? कभी सोचा है क्या कौन सी ऐसी शक्ति है जो आकाश को इतना विस्मयकारी बनाती है ?कभी शांति में शांत चित्त होकर झरने के पास बैठना वह कौन सी ऐसी शक्ति है जो उसकी आवाज मुग्धकर देने वाली बनाकर हमारे अंदर तक शांति विस्मय और प्रेम की बांसुरी बजाती है? वह है श्री विद्या।श्री विद्या संपूर्ण जगत का सौंदर्य है । श्री विद्या संपूर्ण जगत का प्रेम है । श्री विद्या संपूर्ण जगत का आकर्षण है। हमारा जीवन में जो आकर्षण है ,हमारा संगीत में जो आकर्षण है, हमारा खुशबू , संगीत ,कला , नृत्य जो भी आकर्षण इस दुनिया में है श्रीविद्या ही है । श्री विद्या के तत्व को समझाना मुझ जैसे ही मूढ़ के बस में कहाँ पर फिर भी उस भगवती को समर्पण कर उसके सौंदर्य को नमन करके और उसके रहस्य मैं विस्मित होकर मैं यह ब्लॉग आप तक पहुंचा रहा हूं। मित्रों श्री विद्या अनंत सत्ता है । श्री विद्या वह अनंत अनंत सौंदर्य है कि जिसकी शब्दों में व्याख्या शायद पूर्ण रुप से महाकवि , महा लेखक और महर्षि भी नहीं कर सकते । श्री विद्या इस जगत का तीनों लोकों का सौंदर्य आकर्षण और कल्पना का सत्य होना है । जैसे मा तारा कल्पना तत्व है वैसे ही श्री विद्या कल्पना तत्व का सत्य होना है । सोचो उस अंधकार के प्रकाश में जो कल्पना हुई और सृष्टि का निर्माण हुआ उस निर्माण में जो सौंदर्य प्राप्त हुआ। आपका भी किसी विचार किसी भी नई योजना , जब कि आप अंधकार में हो और अचानक से आपको एक नई योजना मिल जाए और उसे कार्यान्वित करके आप उसे एक नया सौंदर्य दे , रूप दे तो आपको कैसा लगता होगा बस यही है श्रीविद्या और बस यही बस नहीं होती श्री विद्या संपूर्ण सृष्टि में जो भी भावना है , दुख है सुख है दुख का आकर्षण है सुख का आकर्षण है । यह सब श्रीविद्या तत्व ही है । आगे पोस्ट में मैं आपको बताने की कोशिश करूंगा कोशिश इसलिए कह रहा हूं कि मैं खुद एक बच्चे की तरह श्री विद्या के बारे में बोलते हुए लिखते हुए विस्मित सा खड़ा हूं। किंकर्तव्यविमूढ़ हो यह लिखते हुए मुझे एहसास हो रहा है कि जितना जाना है , उससे कहीं अधिक जानना बाकी है यही है श्रीविद्या।
मेरे ख्याल में यह ख्याल शब्द इसलिए प्रयोग कर रहा हूं कि पूर्ण रूप से तो श्री विद्या के बारे में सिर्फ श्री विद्या को ही पता है । हम जैसे साधक जिज्ञासु और श्री विद्या के सौंदर्य आकर्षण और सम्मोहन में सम्मोहित साधक तो केवल उस विराट तत्व , उस विराट सत्ता अंश मात्र भी प्राप्त कर लें, तो उसकी कृपा है एक बात जो मैं कहना चाहता हूं श्रीविद्या के बारे में कि श्री विद्या रस , रूप , सौंदर्य कला ऐश्वर्य इन सभी पर आधिपत्य रखती है और उसके साथ ही में उदासी , विरह और दुख इन सब पर भी उसका ही आधिपत्य है प्रत्येक नकारात्मक विचार या वस्तु पर आकर्षण है एक दुखी व्यक्ति बार बार दुख पाता है उसके पीछे उसका विचार है उसकी कल्पना है । महाकाली वह अंधकार है जहां शून्य होता है और शून्य भी महत्वपूर्ण है। विचार शून्यता आंतरिक कोलाहल, शून्य में ही तो खत्म होती है और एक नया आरम्भ होता है। उसी अंधकार में एक विचार प्रकाश की तरंग उत्पन्न होता है जिसे हम माँ तारा कहेंगे वह कल्पना तत्व मैं कल्पना सकारात्मक भी हो सकती है नकारात्मक भी। सकारात्मक या नकारात्मक कल्पना का आकर्षण यह श्री विद्या है ।
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मित्रों जीवन और मृत्यु साथ-साथ चलते हैं जिस दिन हम जीवित होते हैं हमारा जन्म होता है हम अस्तित्व में आते हैं उसी दिन हमारे मृत्यु हमारा अंत निश्चित हो जाता है अब जीवन और मृत्यु के बीच में कष्ट भी आते हैं और विलास भी और प्रत्येक वस्तु हमारे अवचेतन मन से आती है । जो हमारे कर्म संस्कार होंगे वैसे ही हमे फल प्राप्त करेंगे वह जो अवचेतन मन का कर्मों के फलों तक आकर्षण है ।आगे कर्मों के फलों और श्री विद्या से उनके संबंध के बारे मैं एक पोस्ट डालने का प्रयत्न करूंगा और यदि भगवती की इच्छा हुई और यह पोस्ट डालने का आकर्षण भी तो श्रीविद्या है और यदि श्रीविद्या की कृपा हुई तो मैं उस के रहस्य उसके सत्य उसके माया तत्व इसको आप तक लाने और आपके सम्मुख प्रस्तुत करने का प्रयत्न करूंगा ।ब्लॉग के माध्यम से हम यह कोशिश करेंगे के तंत्र के मूल स्वरूप को समझ कर हम आपको महादेव भगवान शंकर और माँ दुर्गा के इस सृष्टि रहस्य से अवगत करा सके। और गुरु शिष्य परम्परा से आपको अवगत करा सके जो कि तंत्र मंत्र और इनके ज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण भाग है। आपके प्रश्न जिज्ञासा या परेशानी के लिए आप हमे फ़ोन कर सकते है।
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