सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

श्री विद्या रहस्य (1)


                     

   दस महाविद्या की श्रृंखला में सबसे उत्तम रहस्यमयी विद्या  के बारे में अब हम आपको इस पोस्ट और आगे अन्य पोस्टों में बताएंगे। इस पोस्ट में हम आपको उनके स्थान रूप और स्वरूप से अवगत करवाएंगे। ताकि आने वाली पोस्ट में आप उनके रहस्यमयी शक्ति और सृष्टि में उनके तत्व को समझ सके।
किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे

आनन्द हो ज्योतिष केंद्र
 व्हाट्स एप्प   0091-7009688414 
 फोन               0091- 7009688414

  पहले हमने बताया था महाकाली विद्या ( देखे महाविद्या महाकाली) के बारे में जिनका वर्ण श्याम है  तत्व अंधकार है। फिर माँ तारा (MAHAVIDYA TAARA)जिनका वर्ण नील है और तत्व कल्पना। अब हम बात करेंगे श्री वीीदया के बारे में। कैसा है उनका रूप क्या है उनका स्वरूप वर्ण और शक्ति। महाविद्या श्री विद्या को कई अन्य नामो से पुकारा जाता है राज राजेश्वरी, ललिता, त्रिपुर सुंदरी  और ब्रह्म विद्या।
किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे

आनन्द हो ज्योतिष केंद्र
 व्हाट्स एप्प   0091-7009688414 
 फोन               0091- 7009688414

                मां राज राजेश्वरी से अर्थ है राजाओ के राजा की ईश्वरी। श्री विद्या से अर्थ है सम्पूर्ण जगत के ऐशवर्य की विद्या,  त्रिपुर सुंदरी अर्थात तीनो पुरो अर्थात तीनो लोको की सुंदरी। इस पूरे जगत में जो ऐश्वर्य तत्व है जो भी भावनाएं है जो भी आकर्षण है वह श्री विद्या तत्व ही है।  त्रिपुर सुंदरी शब्द स्वयं में ही यह सम्बोधन करता है कि तीनों लोकों की सुंदरी। तो तीनों लोकों में जो सौंदर्य है चाहे वह प्राकृतिक है या शारीरिक। प्रसन्नता  है या साज सज्जा, फूलो की महक है या संगीत नृत्य की कला, श्री विद्या ही इसे संचालित करती है। श्री विद्या इतनी रहस्यमयी विद्या है कि इसके बारे में पूर्ण रूप से तो शायद ही किसी को ज्ञात हो , परन्तु मैं यथा शक्ति , भगवती पे समर्पण कर के जितना आप तक पहुंच सका उतना ज्ञान और इस महाविद्या की महिमा आप तक लाने का प्रयत्न करूँगा।

         श्री विद्या का आधिपत्य और विराट सत्ता  सृष्टि से ले के ब्रह्मांड तक फैली हुई है। जितनी भी स्वतंत्रता , जितनी भी जीवन जीने की कला है। जितना भी आकर्षण है चाहे वह गुरुत्व आकर्षण है या पुरुष स्त्री का आकर्षण, स्वप्न  पूरे करने का आकर्षण है या कर्मठ होने की शक्ति यह श्री विद्या ही है।
      माँ के साधक के पास धन ऐश्वर्य सौंदर्य और जीवन जीने की कर्मठता सभी वरदान स्वरूप प्राप्त मिलता है। आकर्षण शक्ति की अधिष्ठात्री श्री विद्या साधक को समाज मे प्रतिष्ठित, सम्माननीय,  महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला और परम सौंदर्य से युक्त बनाती है। जैसे  फूलो के पास चलती पवन से उनकी खुशबू  दूर दूर तक फैलती है। वैसे ही श्री विद्या के साधक का वर्चस्व, आकर्षण और महत्व दूर दूर तक फैलता है। जो व्यक्ति उससे एक बार मिलता है उसे कभी भूल नही पाता। गुणों से युक्त हो कर साधक परम् ऐशवर्य ,उत्तम भोग को भोग कर   परम् स्थान प्राप्त कर प्रसिद्धि प्राप्त करता है।
किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे

आनन्द हो ज्योतिष केंद्र
 व्हाट्स एप्प   0091-7009688414 
 फोन               0091- 7009688414

         श्री विद्या वह साधना है जो कि मूढ़ को भी परम् ज्ञानी, रंक को भी राजा,  निराश से निराश व्यक्ति को भी आशावान बना सकती है। श्री विद्या के साधक को कला, गुण, ज्ञान और वर्चस्व और आधिपत्य  आदि स्वयं ही प्राप्त होते है। श्री विद्या का साधक उस परम् शक्ति को प्राप्त करता है जिससे कि  उसके प्रभाव क्षेत्र में  आने  पर कोई भी व्यक्ति वस्तु या तत्व उससे आकर्षित हुए बिना नही रह पाता  और श्री विद्या का प्रभाव क्षेत्र अनन्त है। सच मे ही श्री विद्या वह महाविद्या है जिसकी कृपा प्रत्येक साधक को प्राप्त करनी ही चाहिए।
     आगे पोस्टों में आपको सह्री विद्या के लाभ स्वरूप और प्रभाव के बारे में हम अवगत करवाएंगे। किस प्रकार सृष्टी से श्री विद्या का एकात्म है और किस प्रकार श्री विद्या का साधक  राज  राजेश्वरी की कृपा से साधक राजा के समान हो जाता है। सौंदर्य क्या है और श्रीविद्या का तत्व कैसे है। आकर्षण क्या है और कैसे श्री विद्या का प्रभाव आंतरिक बाह्य आकर्षण का निर्माण करता है।

ब्लॉग के माध्यम से हम यह कोशिश करेंगे के तंत्र के मूल स्वरूप को समझ कर हम आपको महादेव भगवान शंकर और माँ दुर्गा के इस सृष्टि रहस्य से अवगत करा सके। और गुरु शिष्य परम्परा से आपको अवगत करा सके जो कि तंत्र मंत्र और इनके ज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण भाग है। आपके प्रश्न जिज्ञासा या परेशानी के लिए आप हमे फ़ोन कर सकते है।
किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे

आनन्द हो ज्योतिष केंद्र
 व्हाट्स एप्प   0091-7009688414 
 फोन               0091- 7009688414



महा विद्या महाकाली
http://mysteriesofancienttantra.blogspot.in/2018/02/blog-post_12.html?m=1

महाकाली  साधना

http://mysteriesofancienttantra.blogspot.com/2018/02/mahakali-power.html

 दस महाविद्या

http://mysteriesofancienttantra.blogspot.in/2018/02/2.html?m=1

 क्रीं बीज मंत्र

http://mysteriesofancienttantra.blogspot.in/2018/02/blog-post_13.html?m=1

महाकाली अष्टकम

http://mysteriesofancienttantra.blogspot.in/2018/02/blog-post_57.html?m=1

महाविद्या तारा
http://mysteriesofancienttantra.blogspot.in/2018/02/blog-post_45.html?m=1


महाविद्या मा तारा
http://mysteriesofancienttantra.blogspot.in/2018/02/blog-post_45.html?m=1

महाविद्या तारा स्वरूप और रूप

http://mysteriesofancienttantra.blogspot.com/2018/02/blog-post_16.html

माँ तारा (कल्पना तत्व)

http://mysteriesofancienttantra.blogspot.in/2018/02/blog-post_29.html?m=1




टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ह्रीं बीज और इसके लाभ

    मित्रो जैसे कि पिछली पोस्ट में आपको ॐ के कुछ रहस्यो से अवगत करवाया गया। इस पोस्ट में आपको  ह्रीं बीज से अवगत करवाऊंगा। ह्रीं बीज क्या है ? हमारी जीवन मे कैसे यह बदलाव ला सकता है और हमारी शक्ति प्रभाव का विस्तार और विचार शुद्धि कैसे कर सकता है यह मंत्र। किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे आनन्द हो ज्योतिष केंद्र  व्हाट्स एप्प   0091-7009688414   फोन               0091- 7009688414     जैसे कि बीज मंत्रो कस बारे में हमने आपको पिछली पोस्ट में बताया कि बीज मंत्र क्या है और कौन कौन से है । ह्रीं उन बीज मंत्रो में अत्यंत महत्वपूर्ण प्रभाव रखता है। और स्थान भी। ह्रीं  शक्ति बीज है । इस बीज मंत्र का संबंध आदि शक्ति मा दुर्गा से है और उनकी कृपा प्राप्ति में यह मंत्र अत्यंत फलदायी है। इस मंत्र के जाप से हमारे शारीरिक विकास , मानसिक संतुलन ,विचार शुद्धि , और सम्पन्नता प्राप्ति सब कुछ संभव है। सबसे पहले हमें जान लेना चाहिए कि बीज मंत्र कार्य कैसे करते है । जब एक साधक शुद्ध अवस्था मे एकाग्रचित्त हो कर किसी भी बीज मंत्र का जाप पाठ ध्यान करता है तो उस बीज मंत्र के उच्चारण  से

ह्रीं बीज मंत्र और तंत्र

ह्रीं बीज मंत्र और तंत्र      मित्रो जैसे कि पिछली पोस्ट में मैं के आपको ह्रीं बीज का आपके शारीरिक संतुलन के बारे में बताया । अब हम आपको ह्रीं बीज मंत्र के कुछ मन्त्र प्रयोग  और तंत्र प्रयोग जिनसे की कार्यसिद्धि होती है , से अवगत करवाएंगे। किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे आनन्द हो ज्योतिष केंद्र  व्हाट्स एप्प   0091-7009688414   फोन               0091- 7009688414 ह्रीं बीज जैसे कि मैंने आपको पहले बताया मा दुर्गा  से संबंधित  है। इस बीज मंत्र के साधारण प्रयोग से कार्यसिद्धि प्रयोग तक है। जैसे कि हमने पहले बताया कि भगवान शिव और  माँ दुर्गा  तन्त्र के अधिष्ठाता है। अतः इस मंत्र से तान्त्रिक प्रयोग और अनंत शक्ति समाहित है । इस बीज मंत्र के द्वारा साधक वशीकरण सम्मोहन मोहन और आकर्षण शक्ति का स्वामी बन सकता है। किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे आनन्द हो ज्योतिष केंद्र  व्हाट्स एप्प   0091-7009688414   फोन               0091- 7009688414  इस मंत्र के जाप से व्यक्ति का प्रभामंडल विकसित जोटा है और व्यक्तित्व में निखार आता है।  व्यक्ति  या साधक  जो भी इस मं

उच्चाटन तंत्र

 उच्चाटन तंत्र जैसा कि हमने पहले बताया कि उच्चाटन का अर्थ है किसी भी चीज़ से मन उचाट हो जाना या कर देना। यह विद्या शत्रुओ को भ्रमित करने के लिए प्रयोग में आती रही है। इस विद्या का सबसे महत्वपूर्ण प्रयोग है  किसी के मन में किसी प्रकार के तनाव भरे ख्यालो या विचारो से मुक्त करना हम कई बार देखते है  कि कभी कभी एक विचार ही मनुष्य की मानसिक संतुलन को बिगाड़ने में काफी रहता है और वह विचार  अंतर मन तक ऐसे घर कर जाता है जैसे उसे कुछ और न समझ आ सके न ही वह उससे उबर ही पाता है। वह विचार किसी भी प्रकार  का हो सकता है प्रेम से संबंधित हो सकता है प्रेम ईर्ष्या शत्रुता या नकारात्मकता ।उच्चाटन विद्या का सही प्रयोग उस व्यक्ति को उस विचार से मुक्त कर सकता है और नई सोच सोचने को मजबूर कर सकता है। किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे आनन्द हो ज्योतिष केंद्र  व्हाट्स एप्प   0091-7009688414   फोन               0091- 7009688414  परन्तु इस विद्या का दुरुपयोग  ज्यादा होता है और सदुपयोग कम। दुरुपयोग में कुछ लोभी तांत्रिक  किसी का नुकसान करने  में अधिक  प्रयोग करते है । लोग अपने शत्रुओ प्