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भुवनेश्वरी महाविद्या (निर्माण तत्व)

   
       मनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कलाकृति है मनुष्य ही है जो प्रकृति के सौंदर्य को भली-भांति जान सका। इसके निर्माण का जिज्ञासु रह कर सृष्टि के रहस्यों को समझने का प्रयत्न करता रहा। मनुष्य ही है जो उस परम पिता परमेश्वर की द्वारा रचित सृष्टि के सौंदर्य और ऐश्वर्य के आकर्षण को समझ सका । किसी ने किसी प्रकार से किसी ने किसी प्रकार से कविताओं आदि से प्रकृति की प्रशंसा की ।
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            मनुष्य जीवन भर में सौंदर्य ऐश्वर्या और संपन्नता के लिए लालायित रहता है और प्रतिक्षण कुछ न कुछ नव निर्माण की ओर अग्रसर और प्रयत्नरत रहता है।  कल्पना और कामना कौन नहीं करता प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसका व्यक्तित्व और अस्तित्व सभी को प्रभावित करें । वह जीवन मे कुछ ऐसा निर्माण करे कि वह महत्वपूर्ण और प्रचारित हो। यघ किसी के लिए सौंदर्य हो सकता है तो किसी के लिए कला, किसी के लिए साहित्य हो सकता है तो किसी के लिए व्यापार। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि वह ऐश्वर्यवान हो उसके पास धन साधन और महत्व तीनों हो। कौन सा तत्व है इस सृष्टि में जो कि व्यक्ति को महत्वपूर्ण बनाता है ।वह कौन सा तत्व है इस सृष्टि में जो कि व्यक्ति को पद प्रतिष्ठा और गरिमा पूर्ण बनाता है । कौन सा तत्व है जो कि व्यक्ति के व्यक्तित्व के होने का प्रतीक है। वह है निर्माण तत्व। भगवती भुवनेश्वरी निर्माण का प्रतीक है। जैसे महाकाली शून्य है और उस अंधकार शून्य में मा तारा कल्पना तत्व ,  वैसे श्री विद्या उस कल्पना को कार्यान्वित होने का आकर्षण तत्व है और भुवनेश्वरी उस कल्पना को साकार रूप देने वाला तत्व है , अर्थात निर्माण तत्व। भगवती भुवनेश्वरी सृष्टि का निर्माण है। अगर यह कहा जाए के सृष्टी के पहले से और उस के आरंभ तक आज भी जो कुछ सृजन हो रहा है निर्माण हो रहा है। प्रत्येक क्षण से लेकर जीव निर्जीव वस्तुओं तक , किसी भी प्रकार का सृजन जीवन, आविष्कार , व्यक्ति के जीवन से ले कर आधुनिक यन्त्र निर्माण तक मा भुवनेश्वरी तत्व अर्थात निर्माण तत्व से ही सम्भव है। प्रतिक्षण जो भी नव निर्माण हो रहा है वह भुवनेश्वरी ही है । मनुष्य का जन्म होता है वह भी भुवनेश्वरी ही है। मनुष्य अपनी जितनी भी कल्पनाओं को सत्य करने और उनको यथा रूप निर्माण करके साकार रूप देने का जो प्रयत्न करता है। वह भगवती भुवनेश्वरी ही है।
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          भगवती भुवनेश्वरी हमारे जीवन में सब जगह विद्यमान है। हमारे जीवन की वह शक्ति है या कहे कि सृष्टि की वह शक्ति है जिसके कारण आज हमारा और हमारी सृष्टि का अस्तित्व है। हम जीवित है क्योंकि प्रतिक्षण एक नई सांस का निर्माण होता है जो कि हम लेते है और जीवित है। उसी सांस से हमारा अस्तित्व है। तो हमारे सांस लेने के पीछे भी निर्माण तत्व ही है। प्रत्येक स्थिति में रोज़ नये जीवन का जो निर्माण हो रहा है , वह भुवनेश्वरी देवी ही है।

    अगली पोस्ट में हम मां के स्वरूप रूप और शक्ति, इन सब के बारे में आपको अवगत करवाएंगे । और कैसे दस महाविद्य के इस रूप की साधना कर के हम जीवन मे उच्च से उच्च आयामो को प्राप्त कर सकते है यह विचार आपसे  सांझा करेंगे। आगे पोस्ट में हम यह भी आपको बताएंगे कि कैसे इस तत्व को समझ कर हम सुखी सम्पन्न और पूर्णता वाला जीवन जिसकी प्रत्येक मनुष्य कल्पना करता है , का निर्माण कर सकते हैं।
ब्लॉग के माध्यम से हम यह कोशिश करेंगे के तंत्र के मूल स्वरूप को समझ कर हम आपको महादेव भगवान शंकर और माँ दुर्गा के इस सृष्टि रहस्य से अवगत करा सके। और गुरु शिष्य परम्परा से आपको अवगत करा सके जो कि तंत्र मंत्र और इनके ज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण भाग है। आपके प्रश्न जिज्ञासा या परेशानी के लिए आप हमे फ़ोन कर सकते है।

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