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कैसे कार्य करती है मन्त्र ऊर्जा #anandho(How Mantras Energy Works)

       


इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि कैसे काम करती है वशीकरण विद्या या किसी भी मन्त्र की ऊर्जा । वशीकरण के बारे में आपको हमने पिछली पोस्ट में बताया था ।  अब  आपको यह बताते है कि क्या प्रभाव है वशीकरण मंत्रो का आप पर आपकी सोच पर और कैसे इसका सकारात्मक प्रयोग रूपांतरित करता है ऊर्जा को । पहले साधना के बारे में बात करेंगे जो कि व्यक्ति स्वयं करता है फिर साधक पर प्रभाव के बारे में और फिर किसी और के द्वारा किसी प्रकार के अनुष्ठान करवाने से कैसे कारण सिद्ध होते है वह भी आपको बताएंगे।

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             जैसा कि आपको पिछली पोस्ट में बताया गया था कि वशीकरण वह विद्या है जिसका निर्माण , सृजन के लिए किया गया था  और जिसका प्रयोगजीवन मे किसी भी प्रकार की नकारात्मकता चाहे वह रिश्तो में हो मानसिक रूप से आपके अंदर हो या फिर आपके जीवन मे आने वाली बाधाएं हो , के निराकरण के लिए किया जाता है ।


  पिछली पोस्ट में हमने आपको बताया था कि वशीकरण  का अर्थ है वश में  करना यह सत्य तो है परन्तु पूरा सत्य नही । इस विद्या को बदनाम कर  दिया गया है इसका सही रूप लोप से हो गया है ।   सब बताते है कि किसी को वश में किया जा सकता है परन्तु कोई नही बताता की पहले स्वयं की तुच्छ इछाओ वासनाओ पर भी नियंत्रण होना चाहिए यदि इस विद्या का लाभ उठाना है तो। आज कल  विज्ञापन ही इस विद्या को बदनाम करने का तरीका बन गए है ।  शत्रु कदमो में आ जायेगा प्रेमिका गुलाम हो जाएगी आदि इत्यादि  यदि सत्य में ही ऐसा है तो विज्ञापन देने वाला क्यों इतनी मेहनत कर रहा है वो तो सम्पूर्ण जगत का ईश्वर है । क्यों इतनी मेहनत में लगा है । वास्तव में यह विद्या का रूप इतना गलत रूप से पेश किया जा चुका है कि बहुत से गलत लोग इसका फायदा उठाते है और भोले भाले लोगो को लालच दे कर लूट लेते है । आज उन्ही बातो को आपके सामने लाने के लिए आपके सामने यह पोस्ट ले के आये है।
   
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पहले हम बता दे वशीकरण का अर्थ है किसी भी हालात में स्थिति में नकारात्मक ऊर्जा को रूपांतरित करके  positiviti सकारत्मक ऊर्जा उत्पन्न करना ।
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       वशीकरण के बारे में यह बजरं फैलाया जाता है कि आप किसी को भी वश में कर के उसे गुलाम बना सकते है । जबकि सत्य ये है कि यह ऊर्जा किसी को गुलाम नही बनाती अपितु प्रेम की ऊर्जा उसमे उत्पन्न करती है जो कि सकारात्मक रूप से कार्य करती है उस रिश्ते या हालात के पुनर्निर्माण की। #anandho
प्रत्येक मन्त्र की अपनी ऊर्जा है और उसका  अपना प्रभाव । मन्त्र ऊर्जा को समझमे से पहले हमें thought process अर्थात  हमारे सोचने का तरीका हमारी कल्पना  की शक्ति को जानना ज़रूरी है तभी कोई साधना फल देती है और उस ऊर्जा के  उन विचारों के उन कल्पनाओं के जगत में  अपने आप का अस्तित्व जान लेने और साधना का प्रथम भाग लक्ष्य निर्माण चाहे वह भोग है मोक्ष या अर्थ है किसी भी प्रकार का लक्ष्य है । इसका निर्धारण किसी भी साधना का मूल है। वह मन्त्र ऊर्जा जो आपके अंदर या उन  मंत्रो द्वारा उत्पन्न होती है वह कार्य ही करती है आपकी Viberations  से।  जैसे कि मैं हमेशा कहता हूँ के भगवान  तो तथास्तु लिए बैठे है हम कहते है भगवान मैं ये कर सकता हूँ वह कहता है तथास्तु मैं नही कर सकता तथास्तु में यह करूँगा तथास्तु में जगत बुरा है तथास्तु जगत सुंदर है तथास्तु। सब बुरे है तथास्तु सब अच्छे है तथास्तु । यह तथास्तु का अर्थ है कल्पना विचार जैसी होगी वह वैसा ही कार्य करेगी । वशीकरण मंत्र हो या कोई भी मन्त्र इनमे लय का संकल्प का और सामग्रियों और इष्ट स्वरूप का जो भेद है जो विभिन्नता है वह  वह इसीलिए है । यदि धन प्राप्ति करनी है तो उसी प्रकार की सामग्री , इष्ट स्वरूप मोहिनी साधना करनी है तो उसी प्रकार का स्वरूप  , मारन मंत्रो आदि में उग्र स्वरूप उग्र लय ।
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             मन्त्र आंतरिक रूप से कैसे कार्य करते है यह  बहुत ही मुख्य विषय है  और विशेष भी । जैसे मैंने पहले भी बताया था  ह्रीं में माया तत्व अग्नि तत्व है क्लीं में काम तत्व है  श्रीं में लक्ष्मी तत्व  तो प्रत्येक प्रकार का मन्त्र  प्रत्येक व्यक्ति के अनुकूल नही होता और यदि हम उन्हें अनुकूल बनाना ही हो तो पहले अन्य साधना की जाती है जिससे कि अंदर की ऊर्जा Nueterlise हो सके । जब साधक किसी भी मन्त्र का जाप आदि करता है  तो विचार की एकाग्रता अति आवश्यक होती है   और विचार ही उस ऊर्जा को निर्देशित करता है कार्यसिद्धि के लिए ।
एकाग्रता चित्त की अवस्था है और चित्त एकाग्र तभी होता है जब  आंतरिक ऊर्जा nuetralise होती है । 

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         अब हम बात करते है किस प्रकार  साधना साधक में यह शक्ति देती है कि वह नकारात्मक शक्ति को सकारात्मक शक्ति में बदल सके ।  और कैसे मन्त्र किसी के लिए प्रयोग करने से उसकी ऊर्जा का रूपांतरण कर सकती है। इसका एक वैज्ञानिक उदाहरण मैं देता हूँ।  विश्व के किसी भाग में बैठ कर  यह फ़ाइल upload की है you tube के server पर । आपने लोग इन किया  और सर्च किया किसी टॉपिक पर या आपकी इंटरनल। मेमोरी के base अर्थात आधार पे  मेरी वीडियोस आप तक पहुंची । और आपने यह वीडियो अपना डेटा प्रयोग करके इंटरनेट के द्वारा इसे सुना या download किया । यह इंटरनेट तो मनुष्य ने बनाया है मैन मेड है इसी प्रकार साधना जगत भी एक devine इंटरनेट है जिसका
अस्तित्व है ऊर्जा से वह ऊर्जा जो सारे जगत में व्याप्त है । जैसे आप कुछ अपलोड करते है या डाउनलोड वैसे ही मंत्रो की ऊर्जा से ही किसी विचार को अपलोड और download किया जा सकता है जैसे आपके डिवाइस चाहे वो  कंप्यूटर हो , या फिर मोबाइल आदि। जो इस काबिल बनाता है coding से वैसे ही मन्त्र  वह कॉडिंग है।   यह जगत एक सर्वर है और हम सभी और वह devine इंटरनेट ही है जो हमारे विचार हमारी ऊर्जा हमारे सम्बन्ध  बन कर  हमारा अजतित्व बनाये हुए है । टेलीपैथी शब्द तो सबने सुना  है ।  यह टेलीपैथी ही है । साधक में  साधना के द्वारा यह शक्ति व्याप्त होती है जिससे वह ऊर्जा उत्पन्न कर के उसको सही दिशा में  निर्देशित कर किसी को भी ऊर्जा दे सकता है ।
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साधक के पास यदि कोई आता है  कि यह कार्य सिद्ध करना है चाहे वह रिश्तो का पुनर निर्माण  करना है या गिर कोई अन्य अमुक कार्य तो साधक पहले  सही समय का चयन करता है जिसमे की उसी प्रकार की viberation ज़रिष्टि में व्याप्त हो उसे हम नक्षत्र योग तिथि आदि कहेंगे फिर उसी कार्य से सम्बंधित सामग्री का छ्यन करेगा  जिस से वह ऊर्जा उत्पन्न हो और फिर उसी प्रकार केके इष्ट और उनके मन्त्र का चयन करेगा फिर आरम्भ होगा  संकल्प के द्वारा वह कार्य जिसका मूल विचार होगा वह संकल्प और  गिर उसी विचार की एकाग्रता उस व्यक्ति की ऊर्जा पे ।या उस स्थिति की ऊर्जा पे। निश्चित समय मे निश्चित कार्य से सम्बंधित ऊर्जा का विकास और निर्देशन उस स्थिति में  नकरात्मकता को replace अर्थात रूपांतरित करती है । याद रखियेगा energy can neither be created nor be destroyed it can only be diverted . उस ऊर्जा का  रूपान्तरण ही  तँत्र है कैसे अमुक कार्य को सिद्ध किया जाए और किस प्रकार से ऊर्जा का रूपांतरण हो यह ही रहस्य है और यह ही  तँत्र। विधि आदि साधन है और लक्ष्य साधना है।  यह इतना विस्तृत विषय है कि पूर्ण रूप से  एक दम समझाना सम्भव नही  । प्रत्येक स्थिति प्रत्येक लक्ष्य और प्रत्येक साधना में कुछ गोपनीय बाते होती है कुछ गोपनीय विधिया होती है जो कि पात्रता के सिद्धान्त पे ही बताई जाती है ।
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