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विद्वेषण तंत्र

         

       हमने आपको स्तम्भन तंत्र के बारे में अवगत कराया था  और उससे पहले हम  मारण उच्चाटन और वशीकरण का भी उल्लेख कर चुके है।विद्वेषण क्रिया भी तन्त्र की महत्वपूर्ण क्रिया है जिसका प्रयोग प्राचीन काल से होता रहा है। पुराने समयो में इस  विद्या का प्रयोग शत्रु की आंतरिक कलह करवाने में प्रयोग किया जाता था । जो शत्रु बहुत ही संगठित होते थे या फिर संगठन शक्ति ही शत्रु का मुख्य अस्त्र होती थी वह विद्वेषण प्रयोग कर के तन्त्र द्वारा उनमे मतभेद करवा कर उनको कमज़ोर कर के विजय प्राप्त की जाती थी। अनेको प्राचीन  किस्सो कहानियों में हमे इसका उल्लेख कई जगह पढ़ने को मिलता है।

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          विद्वेषण प्रयोग जैसा कि नाम से ही समझ आता है किन्ही दो लोगो को अलग कर देना या उनमे वैचारिक मतभेद वाली स्थिति उत्पन्न कर देना। तन्त्र की इस शाखा के भी दो पहलू है सकारात्मक और नकारात्मक और दोनों ही पहलू महत्वपूर्ण है। परंतु आज के समय मे तन्त्र का दुरुपयोग ही पहचान बन के रह गयी है।इसमे भी वैदिक तांत्रिक मांत्रिक सभी प्रकार की विधियां प्रयोग होती है । आज के समय मे इसका दुरुपयोग भी तीनो विधियों से होता है । वैदिक से ले के शमशान क्रियाये इस प्रयोग में माननीय और प्रभावी है। विद्वेषण प्रयोग का सदुपयोग किसी अनैतिक रिश्ते को तोड़ने या शत्रुओ के समूह को हराने के लिए किया जाता है यदि किसी वैवाहिक पुरुष या स्त्री का शादी शुदा ज़िन्दगी के बावजूद अनैतिक रिश्ते है और उसका जीवन साथी उसके इस अनैतिक रिश्ते को खत्म करना चाहता है तो इस प्रयोग से अधिक प्रभावशाली और कुछ भी नही हो सकता । यदि आपके किसी विवाद के कारण जो कि आप पर अन्याय रूप में  सभी शत्रु इकठे हो कर आपको बर्बाद करने तक मे तुले हुए है तो यह प्रयोग स्तम्भन प्रयोग के साथ मे किया जाए तो निश्चित ही विजय होती है। यदि आप किन्ही परिस्थितयो में फंस गए है जहाँ के आप कुछ भी कर नही पा रहे और आप तब तक उस परिस्थिति से बाहर नही आ सकते जब तक आपके शत्रु एक दूसरे से टूट न जाये तो यह प्रयोग अन्यतम है परंतु स्मरण रखने योग्य बात यह है कि आप पर सत्य में ही अन्याय हो रहा हो और वास्तव में ही आपके पास इस प्रयोग के बिना कोई चारा ही न बचे।

 

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               विद्वेषण तन्त्र का प्रयोग किसी द्वारा किये गए वशीकरण को तोड़ने के लिए भी किया जाता है और कितने प्रकार के तंत्र प्रयोग तोड़ने के लिए भी इस विद्या का प्रयोग होता है यह तो था इस विद्या का सदुपयोग परंतु आज के समय में इस विद्या का दुरुपयोग भी कम नहीं होता जो कि नहीं होना चाहिए जैसा की हमने पहले भी बताया कि तंत्र का प्रयोग और इस विद्या का प्रयोग किसी के भले के लिए किया जाए तो ही अच्छा है अन्यथा इसके दुष्परिणाम बहुत ही घातक होते हैं परंतु इन सबके बावजूद आज कुछ लोभी लालची या अहंकारी तांत्रिक विद्या का प्रयोग किसी का घर तोड़ने रिश्तो में दरार लाने और नुकसान करने मैं करते हैं तथा वह बेचारा जिस पर यह प्रयोग होता है असहाय सा घूमता रहता है और कुछ अन्य लोग भी  पैसे के लालच में उसे पथहीन कर देते हैं। विद्वेषण तन्त्र का भी सदुपयोग ही किया जाना चाहिए। यह प्रयोग किसी पर अन्याय पूर्वक नही किया जाना चाहिए।

 

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          विद्वेषण प्रयोग पर आगे की पोस्ट पर हम आपको कुछ और पहलुओं कुछ और विस्तार से इसका ज्ञान देने की कोशिश करेंगे। इस से सम्बंधित प्रयोगो का यथा शक्ति विवरण दिया जा सके ये हमारा प्रयत्न रहेगा ताकि आप इस क्रिया के बारे में जान सके और पथहीन न हो।

ब्लॉग के माध्यम से हम यह कोशिश करेंगे के तंत्र के मूल स्वरूप को समझ कर हम आपको महादेव भगवान शंकर और माँ दुर्गा के इस सृष्टि रहस्य से अवगत करा सके। और गुरु शिष्य परम्परा से आपको अवगत करा सके जो कि तंत्र मंत्र और इनके ज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण भाग है।
  आपके प्रश्न जिज्ञासा या परेशानी के लिए  आप हमे फ़ोन कर सकते है।

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