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महाविद्या मातंगी (निपुणता तत्व )2


मित्रों पिछली पोस्ट में हमने आपको निपुणता तत्व महाविद्या मातंगी के तत्व से अवगत करवाया । इस पोस्ट में  हम निपुणता तत्व हमारे जीवन में कैसे संपन्नता ला सकता है और निपुणता तत्व हमारे जीवन में कैसे विद्यमान है और कैसे इस तत्व को समझ कर हम अपने जीवन की सभी मुश्किलों से छुटकारा पा सकते हैं इसके बारे में चर्चा करेंगे। निपुणता तत्व के बारे में जानने के लिए आप पिछली पोस्ट पढ़ सकते हैं ।इस श्रृंखला को आगे बढ़ाते हैं आज के समय में पग पग पर स्पर्धा है ,  पग पग पर समस्याएं हैं । वह समस्याएं भौतिक शारीरिक और सामाजिक और मानसिक सभी प्रकार से हमें प्रभावित करती हैं । मानसिक समस्याएं और सामाजिक समस्याएं कहीं ना कहीं हमें संपन्नता की ओर अग्रसर होने में बाधा उत्पन्न करती  हैं । अपने जीवन में संपन्नता पाने के लिए हमें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और उन मुश्किलों का हल हम अपनी कार्यकुशलता और चातुर्य से कर सकते हैं।

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            मान लीजिए आप किसी रिश्ते में हैं और वह रिश्ता किन्ही कारणों से खराब हो रहा है तो हमें यह बहुत जरूरी है समझना कि वह रिश्ता किन कारणों से खराब हो रहा है । कोई नौकरी करता है उस नौकरी में समस्याएं आ रही है बाधाएं आ रही हैं , मित्र शत्रु बनते जा रहे हैं मुश्किलें आपके सामने नित्य प्रस्तुत हो रही है तो हमें यह समझना होगा कि उस समस्या या बाधा जो हमारे सामने प्रस्तुत हो रही है उससे हम छुटकारा कैसे पा सकते हैं और प्रत्येक चीज आपके बाहुबल से निवारण नहीं हो पाती । बाहुबल तो चाहिए ही उसके साथ में एक चातुर्य भी चाहिए दस महाविद्या उन सब तत्वों का प्रतिनिधित्व करती है जो कि आपको अपने जीवन को श्रेष्ठता देने के लिए आवश्यक है ।

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         जीवन एक यात्रा है और इस यात्रा में हम पूर्णता प्राप्त कर सकें वह शक्ति है दस महाविद्या और उनके तत्व । निपुणता तत्व भी दस महाविद्या के तत्वों में महत्वपूर्ण तत्व है , तो हम बात कर रहे थे हमारे रास्ते में आने वाली समस्या या बाधा को नष्ट करने की । बाहुबल का प्रयोग करके आप कुछ हद तक कुछ समस्याओं से छुटकारा पा भी सकते हैं परंतु यदि बाहुबल के साथ बुद्धि अनुभव और चातुर्य हो तो हम निश्चित ही सब प्रकार की समस्याओं से उबर सकते हैं यदि कोई प्रेम संबंध खराब हो रहा है तो उसे आप बाहुबल से ठीक नहीं कर सकते उसके लिए आपको चाहिए अनुभव, आपको चाहिए समझ, आपको चाहिए संतुलन । बाहुबल समझ और संतुलन इन सबका समनव्य है निपुणता , और हमें एक बार जब निपुणता तत्व प्राप्त हो जाता है और हम इसे समझ लेते हैं तो मां सरस्वती की कृपा जैसे उनकी कृपा हो गई है वैसे ही हम प्रत्येक स्थिति को संतुलित करने में समर्थ हो जाते हैं । आज के समय में निपुणता तत्व अति आवश्यक तत्व है । स्पर्धा का समय है प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि वह श्रेष्ठता और पहचान प्राप्त करें लोग उसे जाने , उसके प्रभामंडल और प्रभाव क्षेत्र में विस्तार हो । वह विस्तार जो व्यक्ति चाहता है वह निपुणता तत्व के बिना संभव नहीं है ।
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                 आप अपने जीवन में आने वाली प्रत्येक परिस्थिति को समझ सके और उसका हल कर सके तो आपको संपन्नता प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता । आपको महान व्यक्तित्व बनने और महत्वपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में जाना जाने से कोई नहीं रोक सकता । परंतु निपुणता तत्व जाना ही तब जाएगा जब हम होशपूर्वक और महाविद्या के प्रत्येक तत्व को अपने जीवन में विद्यमान समझकर और उनके तत्व को समझकर जानकर जीवन पथ पर अग्रसर होंगे अनुभव आता भी तो संघर्ष से  है । अनुभव  से अपने आप में उन सब मुश्किलों को पार करना और पथ की बाधाओं को समझ कर आगे बढ़ना इन्हीं सब से आपके अनुभव में विस्तार होता है और वह अनुभव ही आपको इस काबिल करता है कि आप किसी भी कार्य क्षेत्र में निपुण हो सके और संतुलित हो सके । वह जीवन क्षेत्र हो सकता है कार्यक्षेत्र हो सकता है , कोई रिश्ता हो सकता है कोई नौकरी हो सकती है कोई मित्रता हो सकती है कोई न्यायिक परिस्थिति हो सकती है कोई और बाधा और स्पर्धा हो सकती तो मित्रों निपुणता तत्व प्राप्त करने के बाद कि आप संपन्नता की ओर बढ़ सकते हैं और संपन्नता है महाविद्या कमला ।
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                     आए दिन कोई ना कोई समस्या हमें घेरे रहती है , हमारे पास अक्सर ऐसी समस्याएं लोग कुंडली विश्लेषण करवाने आते हैं और बताते हैं कि हमारे रिश्ते में मुश्किलें हैं , कि नौकरी में मुश्किलें हैं, कि घर में अच्छा माहौल नहीं है और भी बहुत सारे प्रश्न लिखे लोग हमारे पास आते हैं , वह प्रश्न इसमें कोई संशय नहीं कि कहीं ना कहीं ग्रह जनित बाधा भी होती है , कुछ अभिचार कर्म के कारण भी होते हैं परंतु कुछ हम देखते हैं कि प्रश्नकर्ता या उनके परिवार या उन्हें खुद की तरफ से निरंतर गलतियां होती है । यह भी उनकी मुश्किलों का कारण होता है तो निपुणता तत्व कहीं ना कहीं हमें इतना समर्थ कर देता है एक छोटी मोटी मुश्किल है या बड़ी मुश्किल है हम काफी हद तक खुद उनको सुलझा सके और दस महाविद्या का नाम भी तो महाविद्या है और यदि आप दस महाविद्या के साधक हैं तो शायद आपको कभी किसी और की जरूरत नहीं पड़ती । उनके तत्व और  उनकी शक्ति को समझने के बाद दस महाविद्या का साधक (Intelligent) नहीं ज्ञानियों में श्रेष्ठ (Super intelligent) हो जाता है किसी विद्या को प्राप्त करने वाला (intelligent) है परंतु महाविद्या जो खुद में (super intelligence) है ।उसका साधक भी तो सुप्रीम इंटेलिजेंट होगा उस का पूर्वाभास और उसकी शक्ति दोनों एक दूसरे के साथ संतुलन में काम करती है और अंततः वह सब मुश्किलों को पार करके निपुणता से होता हुआ संपन्नता को प्राप्त करता ही है । अगली पोस्ट में हम आपको संपन्नता तत्व से अवगत करवाएंगे जो कि 10वीं और आखरी महाविद्या भगवती कमला जो कि महालक्ष्मी का दूसरा रुप है के बारे में बताएंगे और इसके बाद हम आपको अगली श्रृंखला दस महाविद्या के रुप स्वरुप और शक्ति उनके रूप के प्रतीक और उनके हमारे जीवन में संकेत के बारे में बात करेंगे।
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