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महाविद्या मातंगी (निपुणता तत्व)



तत्वज्ञान की श्रंखला में हम निपुणता तत्व तक पहुंच गए हैं । आज हम बात करेंगे निपुणता तत्व के बारे में । आज हम बात करेंगे भगवती माता की महाविद्या मातंगी के बारे में और सृष्टि में विद्यमान उनके निपुणता तत्व के बारे में । इस पोस्ट में हम जानेंगे कि कैसे शून्य तत्व से लेकर स्तंभन तत्व से अग्रसर होकर  एकात्म तत्व प्राप्त करके और फिर अपने जीवन में निपुणता प्राप्त कर सकते हैं । भगवती मातंगी को तांत्रिकों की सरस्वती भी कहा जाता है ।मां सरस्वती ज्ञान और किसी भी कार्य में निपुणता , वाक्पटुता और किसी भी लक्ष्य में पूर्ति के लिए जो विशेषज्ञता और जो ज्ञान चाहिए वह मां सरस्वती कि कृपा के बिना संभव कहां है। सरस्वती का आधिपत्य ही ज्ञान पर है । सरस्वती मां के स्वरूप को अगर समझा जाए और भगवती मातंगी के रूप में सरस्वती के तंत्रोक्त रूप को समझा जाए तो हम यह जान पाएंगे इस सृष्टि में निपुणता तत्व महाविद्या मातंगी के रूप में कैसे विद्यमान है ।



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           मित्रों शून्य तत्व से लेकर संघर्ष तत्व की यात्रा में हमने सभी तत्वों को जानने और जीवन में उनके विद्यमान होने समझा । हमारे लक्ष्य की पूर्ति के लिए और हमारे लक्ष्य की पूर्ति में कौन-कौन से पड़ाव है कौन कौन से आयाम है और उनका दस महाविद्या से संबंध कैसे हैं यह जान कर हम अपने जीवन में सामर्थ्य पूर्णता और निपुणता प्राप्त कर सकते हैं ।
     



>    अब हम बात करते हैं निपुणता तत्व के बारे में , निपुणता तत्व के बिना कहीं ना कहीं हमारे जीवन में प्राप्ति असंभव जैसे है । निपुणता तत्व हमारे जीवन का वह सार है जो कि यदि हम ध्यान से जाने तो हम इस तत्व के बिना कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकते और यदि प्राप्त कर भी लिया तो उसे संभाल नहीं सकते । एकात्म तत्व जो कि पिछली पोस्ट भगवती धूमावती के बारे में थी उसमें हमने आपको बताया के कैसे घास-पात छांटने में व्यर्थ के विचार व्यर्थ के अनुभव हर की हुई गलतियां , उन से सीख लेकर आप एकात्म तत्व से अग्रसर होते हैं निपुणता तत्व की तरफ । निपुणता तक पहुंचते हुए आप यह जान लेते हैं कि आपने क्या-क्या गलतियां की और आप उन गलतियों से सीख कर स्वयं को पूर्णता की ओर ले जाते हैं ।


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             निपुणता अर्थ विशेषज्ञता अब एकात्म तत्व के द्वारा आपने जो अपने अंदर बदलाव किये हैं और एकात्म तत्व  के द्वारा जो आपने अपने अनुभव के द्वारा सुधार किए हैं , जो परिवर्तन लाए हैं उनका शुद्ध अवस्था में पहुंचना निपुणता है । शुद्ध ज्ञान का रूप धारण कर लेना expertise (विशेषज्ञता) हासिल हो जाना निपुणता है । इस स्थिति में आप स्वयं को इतना समर्थ कर लेते हैं कि वह जो निर्माण आविष्कार विचार लक्ष्य आप प्राप्त करना चाहते थे , आप उसे प्राप्त कर ही चुके होते हैं और स्वयं को आप स्थिति में ले जाते हैं कि आप और भी शुद्ध ज्ञान और शुद्ध अनुभव अपने अंदर संजोए हुए विशेषज्ञ के रूप में या एक अनुभवी व्यक्ति के रूप में स्वयं को स्थापित कर पाते हैं । यह स्थिति आपको सामर्थ्यवान तो बनाती ही है और महत्वपूर्ण भी बनाती है । परंतु उसके साथ-साथ आप में इतनी निपुणता भी रहती है कि आप स्वयं के जीवन में आने वाले प्रत्येक कष्ट प्रत्येक बाधा और प्रत्येक समस्या का निवारण अपने अनुभव और ज्ञान से कर पाते हैं । आप स्वयं में शक्ति को समाहित करके एक संतुलित जीवन  जीने के काबिल हो पाते हैं और यह काबिलीयत आप को मिलती है निपुणता तत्व के द्वारा । जीवन की प्रत्येक परिस्थिति चाहे वह आपके कार्यक्षेत्र में हो ,  परिवार क्षेत्र में हो या फिर आप के अंतर का ऊहापोह हो ।प्रत्येक स्थिति में जो शक्ति रुप आपकी समस्या का समाधान करने और आपके प्रत्येक कष्ट पर विजय पाने मैं आपको सामर्थ्यवान करती है वह भगवती मातंगी की निपुणता शक्ति है। मित्रों यह तो हम सभी जानते हैं कि एक बुद्धिमान व्यक्ति किसी भी परिस्थिति किसी भी समस्या में से पूर्णरूपेण विजय होकर निकलता है । एक बुद्धिमान व्यक्ति के अंदर वह निपुणता तत्व ही होता है जो कि उसे शत्रु को भी मित्र और समस्याओं को भी संभावनाएं मैं बदलने कि काबिल बनाता है । भगवती मातंगी के इस तत्व को प्राप्त करने के बाद साधक किसी भी प्रकार की स्थिति में संतुलित रहकर अपने अनुभव और अपनी बुद्धि और चातुर्य से विजय प्राप्त करता है । इस तत्व को समझने के लिए आपको प्रथम तत्व शून्य तत्व से ले कर एकात्म तत्व तक की जो यात्रा है वह पूरी करनी पड़ती है और जैसे ही आप एकात्म तत्व से अग्रसर होते हैं निपुणता तत्व आपने स्वयं ही विद्यमान हो जाता है । आप स्वयं को उस काबिल समझते हैं और  स्वयं की शक्ति को जानकर और अपने अंदर कि सारे सामर्थ्य कुछ समझ कर स्वयं को निपुण पाते हैं और निपुणता के बिना संपन्नता आना संभव कहां है।


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        यदि आपको किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करना है और प्रत्येक स्थिति में  संपन्नता ही आपका लक्ष्य होता है । उससे पहले आपको संघर्ष तो करना ही पड़ता है पर उस संघर्ष से सीख भी लेनी पड़ती है वह जो सीख है वह निपुणता है वह जो सीख है वह भगवती मातंगी के सृष्टि में विद्यमान और हमारे जीवन में विद्यमान तत्व का ही रूप है ।
          अगली पोस्ट में हम आपको हमारे जीवन में कैसे निपुणता तत्व संपन्नता तत्व की ओर हमें अग्रसर कर सकता है इसके बारे में बात करेंगे और अगली पोस्ट में हम आपको भगवती मातंगी के रूप स्वरूप और शक्ति इन सब से भी परिचित करवाएंगे और सृष्टि में विद्यमान उनके निपुणता तत्व के बारे में और चर्चा करेंगे।

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