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महाविद्या भैरवी (संघर्ष तत्व)


दस महाविद्या के तत्व ज्ञान की श्रृंखला में हम महाविद्या भैरवी (संघर्ष तत्व) तक पहुंच गए है। भैरवी त्रिपुर सुंदरी का ही विध्वंसक और उग्र रूप कही जाती है। इनकी साचना उग्र होती है रास्ते की सभी बाधाओं चाहे वह भूत पिशाच की हो या ग्रह जनित बाधाएं, चाहे वह कार्य सिद्धि से सम्बन्धित हो चाहे  कोई अभीष्ट लक्ष्य की प्राप्ति के पथ पर आने वाली बाधाएं ।इन सबका अंत करने वाली महाविद्या है भैरवी।


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        अब हम पहले इनके सृष्टी में तत्व और हमारे जीवन मे विद्यमान होने को जानने के लिए चर्चा करेंगे। भगवती महाकाली से ले कर भगवती छिन्नमस्तिका तक अंधकार, प्रकाश,कल्पना,आकर्षण,त्याग, निर्माण तक के तत्वों के बारे में हम चर्चा कर चुके है और प्रत्येक महाविद्या कैसे सम्बंधित तत्व का प्रतिनिधित्व करती है वह भी आपको हम बता चुके है। किसी भी अविष्कार निर्माण  और लक्ष्य प्राप्ति में यह तत्व ही है जो अपनी भूमिका निभाते है और यदि हम दस महाविद्या को समझ जाएं तो प्रत्येक तत्व पर सहजता प्राप्त कर सकते है ।
    भैरवी विद्या  कैसे संघर्ष तत्व से सम्बंधित है ये हम आपको अब  बताएंगे।किसी भी लक्ष्य में  दस अवस्थाएं होती है। प्रथम विचार शून्यता, दूसरा  एक नया विचार या कल्पना कि हम अमुक कार्य सिद्धि चाहते है। तीसरा उस कल्पना को या विचार को पूरा करने का आकर्षण  चौथा  उस कल्पना को पूर्ण करने के निश्चय करके  स्वयम भी लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रत्येक त्याग के लिए तैयार रहना पांचवा त्याग प्रयत्न आदि से पूरी विधि या लक्ष्य  का निर्माण करना छटा उस कल्पना के निर्माण के लिए जो संघर्ष हम करते है वह है भैरवी। प्रत्येक व्यक्ति कोई न कोई लक्ष्य साधन में प्रति पल लगा रहता है।


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                 सृष्टी में भी प्रति पल सन्तुलन के लिए कही न कही संघर्ष होता है । संघर्ष जीवन की प्रत्येक परिस्थिति में होता है हम भी जीवन में कुछ भी निर्माण करना चाहते हैं , हम जीवन में कुछ भी प्राप्त करना चाहते हैं उसके लिए हमें अपनी शक्ति को एकत्र करके संघर्ष करना पड़ता है । प्रत्येक विघ्न-बाधा और मुश्किल इन सब को पार करने के लिए जो संघर्ष हमें करना पड़ता है,  वह है महाविद्या भैरवी का स्वरूप । जीवन में उच्चतम स्तर प्राप्त करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को संघर्ष करना ही पड़ता है और वह संघर्ष ही है जो उसे आगे जाकर अनुभव और ज्ञान से संतुलन प्राप्त करने के लिए समर्थ करता है । महाविद्या भैरवी वह तत्व है जो कि सृष्टि में  प्रत्येक संघर्ष में विद्यमान है सृष्टि में जो प्रति पल निर्माण और विध्वंस कार्य होता है , उसमें भी सकारात्मक और नकारात्मक रूप में संघर्ष विद्यमान होता है और उस संघर्ष के कारण ही सृष्टि का संतुलन है , सृष्टि में ऊर्जा है और जीवन से लेकर मरण तक और सृजन से लेकर विध्वंस तक शक्ति और संतुलन है ।


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महाविद्या भैरवी के इस तत्व को समझने वाला साधक संघर्ष के महत्व और ताकत को पहचानता है। आगे चलकर हम आपको हमारे आधुनिक युग में यह तत्व कैसे संपूर्णता सकारात्मकता और संतुलन लाने में सक्षम है यह आपको बताएंगे। प्रत्येक विचार प्रतीक योजना , प्रत्येक निर्माण , प्रत्येक आविष्कार और नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर , शून्यता से निर्माण की ओर जो यात्रा है , वह संघर्ष तत्व के बिना संभव कहां है। इस तथ्य को जान लेने से मनुष्य अपने अंदर की अथाह और अनंत शक्तियों को पहचानने में सामर्थ्य प्राप्त कर सकता है और इस तत्व को समझ लेने से मनुष्य विकास निर्माण और सूजन की तरफ अग्रसर हो सकता है।

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         आगे चलकर भैरवी महाविद्या के स्वरूप रूप और उनकी शक्ति को विस्तृत रूप में आप तक पहुंचाएंगे । सोचो जब सृष्टि का निर्माण हुआ और जीवन अस्तित्व में आया सृष्टि के निर्माण में भी तो ऊर्जा का संघर्ष था । जैसे आपके जीवन में आप नए आयाम नई संभावनाएं और नई ऊंचाइयां प्राप्त करने के लिए संघर्ष करते हैं वैसे ही सृष्टि भी तो संतुलन , सौंदर्य , जीवन और अस्तित्व कार्य में निरंतर कार्यरत है और यह संघर्ष नहीं तो और क्या है । तो मित्रो महाविद्या भैरवी आप की सृष्टि से लेकर आपके जीवन में जो भी संघर्ष है इनमें विद्यमान है और इनके संघर्ष तत्व के महत्व को और अस्तित्व को जानना प्रत्येक साधक के लिए और प्रत्येक उस व्यक्ति के लिए जो कि जीवन में ऊंचाइयां प्राप्त करना चाहता है , जरूरी है। जब हम कोई भी लक्ष्य प्राप्त करना चाहते हैं और हम चाहते हैं किसी भी कार्य को संपूर्ण करना तो निश्चित ही उसने बाधाए, विघ्न , प्रतिकूल स्थितियों और आलोचना इन सब का सामना हमें करना पड़ता है । तरह-तरह की मुश्किलों और विचारों के मतभेद और हमारे जीवन में आते है । ऐसे भी समय आते हैं जब हम किसी लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं तो कुछ शत्रु हमें उस लक्ष्य तक पहुंचने नहीं देते । उन सब बाधाओं विघ्नों का नाश करने और अंततः लक्ष्य प्राप्ति करने के लिए हमें अपनी ऊर्जा का विस्तार , ज्ञान का विस्तार और शक्ति का प्रयोग सब करना पड़ता है । यह सब उस संघर्ष तत्व के कारण ही संभव हो पाता है। आगे चलकर हम और विस्तृत बातें और विस्तृत चर्चा इसमें महाविद्या के लिए करेंगे।

ब्लॉग के माध्यम से हम यह कोशिश करेंगे के तंत्र के मूल स्वरूप को समझ कर हम आपको महादेव भगवान शंकर और माँ दुर्गा के इस सृष्टि रहस्य से अवगत करा सके। गुरु शिष्य परम्परा से आपको अवगत करा सके जो कि तंत्र मंत्र और इनके ज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण भाग है। आपके प्रश्न जिज्ञासा या परेशानी के लिए आप हमे फ़ोन कर सकते है। आनंद हो ज्योतिष केंद्र कॉल -7009688414 व्हाट्स एप्प - 7009688414



       

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