सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

शिव के 10 रुद्रावतार #anandho



                  #anandho

        शिव के अवतारों के बारे में जानने के लिए आपको शक्ति के अस्तित्व को भी पहचानना होगा। आपको इस पोस्ट में हम शिव के दशावतारों के नाम बताएंगे और उनके स्वरूप का थोड़ा विवरण देंगे। शिव के अवतारों  की शिव रूपी यात्रा को शुरू करने से पहले आपको एक बात कहना चाहूंगा कि शिव को यदि ऊपर ऊपर से ही जानोगे तो  सृष्टि रहस्यो से अछूते रह जाओगे। शिव नाम ही स्वयम में समुद्र भी गहरा है और आसमान से भी ऊंचा। और शिव नाम अग्नि से अधिक ज्वलन्त है  और हिमशिखर से भी ठंडा। और इस सर्वव्यापी अस्तित्व को यदि सत्य में ही जानना है और उनके प्रत्येक अवतार को सत्य में ही समझना है तो आपको शिव तक पहुंचने के लिए शक्ति के अस्तित्व से जाए बगैर कोई रास्ता नही है। शक्ति के रूप स्वरूप और दस महाविद्या के अस्तित्व को जाने बगैर आप शिव के उन अवतारों का नाम तो जान सकते है परन्तु उनका अस्तित्व नही । आप उनके रूप को जान सकते है परन्तु उनके सृष्टि में विद्यमान होने को नही जान सकते।
किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे
                      आनन्द हो ज्योतिष केन्द्र
                     व्हाट्स एप्प  0091-7009688414 
                    कॉल।            0091-7009688414

                      #anandho
       शिव और शक्ति एक दूसरे के पूरक है । ये ही तो सृष्टि है। यह जो यात्रा हम करेंगे बहुत ही रहस्यमयी गोपनीय और महत्वपूर्ण विषय है।  किसी को भी उच्चता प्रतिष्ठा और ज्ञान की प्राप्ति इस महाज्ञान की प्राप्ति के बिना संभव नही । शक्ति के दस रूप जिनको दस महाविद्या भी कहा जाता है काली, तारा, षोडषी , छिन्नमस्ता, भुवनेश्वरी, भैरवी, बगलामुखी, धूमावती, मातंगी,कमला। यह नाम है उन महाविद्यायो के जिनको जाने बिना शिव के अवतार जिनके बारे में हम आगे भी चर्चा करेंगे और इस पोस्ट में भी , को जानना सम्भव नही। अतः मैं सभी जिज्ञासुओ से यह कहूंगा कि इसकी शुरुआत सृष्टि की शक्ति दस महाविद्या को जानने से ही करे।  अब हम चर्चा करेंगे  शिव के अवतारों की। शिव ने 10 रुद्रावतार लिए।

महाकालेश्वर रुद्रावतार:- #anandho
           इनका नाम कौन नही जानता। शिव का प्रचंड और उग्र रूप महाकाल। काल से भी परे और शक्तिशाली महाकाल अवतार। उग्र बलिष्ठ और श्यामवर्ण वाले महाकाल का निवास स्थान शमशान है और इनकी शक्ति रूप में मां काली जो कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति से ले कर संहार तक पर आधिपत्य रखती है ब्रह्मांड की शून्यता से लेकर हमारे जीवन की शून्यता और उग्रता पर आधिपत्य रखती है, विराजमान होती है। अलग से पोस्ट में हम आपको सृष्टि में इनके तत्व और ऊनकी उपस्थिति के बारे में विचार सांझा करेंगे और विस्तार से बताएंगे।महाकाली के बारे में जानने के लिए महाकाली महाविद्या नाम की पोस्ट पढ़े।
किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे
                      आनन्द हो ज्योतिष केन्द्र
                     व्हाट्स एप्प  0091-7009688414 
                    कॉल।            0091-7009688414

              
तारकेश्वर रुद्रावतार;-     #anandho
       शिव का दूसरा अवतार है श्री तारकेश्वर रुद्रावतार । इनका स्वरूप नीलम की चमक जैसा है। आकाश में अंधकार में चमकते तारे जैसा स्वरूप और पीत आभा लिए हुए इनका स्वरूप विस्मयकारी है। सृष्टि में  इनकी शक्ति रूप में सम्पूर्ण सृष्टि के ज्ञान पर आधिपत्य रखने वाली और सम्पूर्ण सृष्टि में कल्पना तत्व पर आधिपत्य रखने वाली ।माँ तारा विराजमान होती है । अलग पोस्ट में विवरण अवश्य दिया जाएगा । मा तारा (कल्पना तत्व)  पोस्ट पढ़े।

शोड़ेश्वर रुद्रावतार:- #anandho
यह शिव का अत्यंत सौम्य मनमोहक और यौवन भरा अवतार है। इस अवतार को षोडश अवतार और  श्री विद्येश अवतार भी कहते है। शिव के इस अवतार को सोलह कलाओं से सम्पन्न अवतार के रूप में जाना जाता है । इनके शक्ति के  के रूप में सृष्टि की आकर्षण शक्ति की अधिष्ठाता और सबसे रहस्यमयी शक्ति स्वरूप श्री विद्या है। श्रीविद्या आकर्षण तत्व नाम की पोस्ट पढ़ कर आप इस शक्ति स्वरूप के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते है।
किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे
                      आनन्द हो ज्योतिष केन्द्र
                     व्हाट्स एप्प  0091-7009688414 
                    कॉल।            0091-7009688414

छिन्नमस्तक रुद्रावतार:-
               शिव के इस अवतार कोदामोदेश्वर भी कहा जाता है। इनकी शक्ति स्वरूप में त्याग की अधिष्ठात्री , अत्यंत शक्तिशाली और सृष्टी में त्याग तत्व का प्रतिनिधित्व करने वाली  मा छिन्नमस्ता जिनको की माँ चिंतपूर्णी के नाम से भी जाना जाता है विराजमान है। इनके इस स्वरूप को समझ लेने से  मनुष्य जिस अवस्था मे पहुंचता है वह  अवस्था  जोवन  मृत्यु के रहस्य को जान पाता है।

भुवनेश्वर रुद्रावतार:- #anandho
 यह शिव का अत्यंत शीतल स्वरूप है जिसका वर्ण श्वेत है। शिव के इस  अवतार को बाल भुवनेश भी कहा जाता है । यौवन सौंदर्य और शक्ति से सम्पन्न शिव के इस स्वरूप के शक्ति स्वरूप मे विराजमान है सृष्टि के निर्माण तत्व पर आधिपत्य रखने वाली और सम्पूर्ण सृष्टि के अस्तित्त्व का प्रतिनिधित्व करने वाली महाविद्या महाशक्ति भुवनेश्वरी। अधिक जानने के लिए भुवनेश्वरी निर्माण तत्व नाम पोस्ट पढ़े ।

भैरव नाथ:- #anandho
 यह शिव का अत्यंत भयानक शक्तिशाली और प्रचंड अवतार है सृष्टि में भैरव के 52 स्वरूप है जो कि दिशाओ के रक्षक के रूप में माने जाते है । इनका विस्तार हम आपको 51 शक्तिपीठ रहस्य की सीरीज में बताएंगे । भैरव मूलतः तामसिक देव माने जाते है और इनकी शक्ति स्वरूप  में विराजमान है  सृष्टि में संघर्ष तत्व की अधिष्ठात्री और सृष्टी के संघर्ष और शक्ति पर आधिपत्य रखने वाली महाविद्या महाशक्ति भैरवी। इस शक्ति स्वरूप को जानने के लिए भैरवी संघर्ष तत्व पढ़े।

बगलेश्वर रुद्रावतार:- #anandho
यह शिव का अत्यंत महत्वपूर्ण और शक्ति शाली अवतार है इनको 2 और नामो से भी बुलाया जाता है । वनखण्डेश्वर और मृत्युंजय महादेव।  शिव के इस अवतार के बारे  में कहने को बहुत कुछ है जो की मैं अलग पोस्ट में बताऊंगा जिनकी शक्ति रूप में  विराजमान है सृष्टी के स्थिरता तत्व  और स्तम्भन शक्ति पर आधिपत्य रखने वाली महाशक्ति ब्रह्मास्त्र रूपिणी पीताम्बरा महाविद्या बगलामुखी । शिव के इस अवतार का स्वरूप पीत है। मा बगलामुखी के बारे में जानने के लिए बगलामुखी स्तम्भन तत्व पढ़े।

धूम्रेश्वर रुद्रावतार:- #anandho
 यह शिव का धूम्र रूप है। धूम्र रूप से अर्थ है धुंए जैसा और इनकी शक्ति स्वरूप में जानी  जाती है सृष्टि के एकात्म तत्व का आधिपत्य रखने वाली अलक्ष्मी कहलाने वाली महाविद्या धूमावती। शिव के इस धूम्र वर्ण और धूम्र स्वरूप वाले रूप के बहुत से रहस्य आपको बताये जाएंगे आगे पोस्टों में। शक्ति के इस स्वरूप को और जानने के लिए आप धूमावती एकात्म तत्व नामक पोस्ट पढ़े।
किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे
                      आनन्द हो ज्योतिष केन्द्र
                     व्हाट्स एप्प  0091-7009688414 
                    कॉल।            0091-7009688414

मातंग रुद्रावतार:- #anandho
 शिव का  9वा अवतार है मातंग रुद्रावतार । जिनका स्वरूप हरा है और इनकी शक्ति स्वरूप में  विराजमान है सृष्टि के ज्ञान निपुणता और सिद्धि पर आधिपत्य रखने वाली तांत्रिको की सरस्वती के रूप में जानी जाने वाली महाविद्या मातंगी। इस महाविद्या स्वरूप को जानने के लिए आप मातंगी निपुणता तत्व पढ़ सकते है।

कमलेश्वर रुद्रावतार:- #anandho
 इनको कमलेश भी कहा जाता है ऑर कमलेश्वर रुद्रावतार भी।  शिव का यह स्वरूप 64 कलाओं से सम्पन्न स्वरूप है। यह शिव का स्वरूप कमल के अष्टदल जैसा स्वरूप है जिसके कारण इन्हें 64 कलाओं से सम्पन्न माना जाता है।  और इनकी शक्ति स्वरूप में विराजमान है सृष्टि में सम्पूर्णता और सम्पन्नता पर स्वामित्व रखने वाली महा सौम्य और ऐशवर्य की अधिष्ठात्री मा कमला । शक्ति के इस स्वरूप को जानने के लिए आप महाविद्या कमला सम्पन्नता तत्व पढ़ सकते है।
मित्रो यह थे शिव के 10 वे अवतार जिनको जाने बिना व्यक्ति सृष्टि के किसी रहस्य को नही जान सकता। आगे पोस्ट हम आपको  शिव के सभी रूपो के बारे में अलग से बताने से पहले शिव और शक्ति का आपस मे सम्बन्ध और कैसे सृष्टी का अस्तित्व इनसे है। और कैसे हमारे जीवन के प्रतिपल प्रति कर्म और प्रति कर्म फल में शिव और शक्ति विराजमान है इस के बारे में चर्चा करेंगे।
किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे
                      आनन्द हो ज्योतिष केन्द्र
                     व्हाट्स एप्प  0091-7009688414 
                    कॉल।            0091-7009688414


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ह्रीं बीज और इसके लाभ

    मित्रो जैसे कि पिछली पोस्ट में आपको ॐ के कुछ रहस्यो से अवगत करवाया गया। इस पोस्ट में आपको  ह्रीं बीज से अवगत करवाऊंगा। ह्रीं बीज क्या है ? हमारी जीवन मे कैसे यह बदलाव ला सकता है और हमारी शक्ति प्रभाव का विस्तार और विचार शुद्धि कैसे कर सकता है यह मंत्र। किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे आनन्द हो ज्योतिष केंद्र  व्हाट्स एप्प   0091-7009688414   फोन               0091- 7009688414     जैसे कि बीज मंत्रो कस बारे में हमने आपको पिछली पोस्ट में बताया कि बीज मंत्र क्या है और कौन कौन से है । ह्रीं उन बीज मंत्रो में अत्यंत महत्वपूर्ण प्रभाव रखता है। और स्थान भी। ह्रीं  शक्ति बीज है । इस बीज मंत्र का संबंध आदि शक्ति मा दुर्गा से है और उनकी कृपा प्राप्ति में यह मंत्र अत्यंत फलदायी है। इस मंत्र के जाप से हमारे शारीरिक विकास , मानसिक संतुलन ,विचार शुद्धि , और सम्पन्नता प्राप्ति सब कुछ संभव है। सबसे पहले हमें जान लेना चाहिए कि बीज मंत्र कार्य कैसे करते है । जब एक साधक शुद्ध अवस्था मे एकाग्रचित्त हो कर किसी भी बीज मंत्र का जाप पाठ ध्यान करता है तो उस बीज मंत्र के उच्चारण  से

ह्रीं बीज मंत्र और तंत्र

ह्रीं बीज मंत्र और तंत्र      मित्रो जैसे कि पिछली पोस्ट में मैं के आपको ह्रीं बीज का आपके शारीरिक संतुलन के बारे में बताया । अब हम आपको ह्रीं बीज मंत्र के कुछ मन्त्र प्रयोग  और तंत्र प्रयोग जिनसे की कार्यसिद्धि होती है , से अवगत करवाएंगे। किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे आनन्द हो ज्योतिष केंद्र  व्हाट्स एप्प   0091-7009688414   फोन               0091- 7009688414 ह्रीं बीज जैसे कि मैंने आपको पहले बताया मा दुर्गा  से संबंधित  है। इस बीज मंत्र के साधारण प्रयोग से कार्यसिद्धि प्रयोग तक है। जैसे कि हमने पहले बताया कि भगवान शिव और  माँ दुर्गा  तन्त्र के अधिष्ठाता है। अतः इस मंत्र से तान्त्रिक प्रयोग और अनंत शक्ति समाहित है । इस बीज मंत्र के द्वारा साधक वशीकरण सम्मोहन मोहन और आकर्षण शक्ति का स्वामी बन सकता है। किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे आनन्द हो ज्योतिष केंद्र  व्हाट्स एप्प   0091-7009688414   फोन               0091- 7009688414  इस मंत्र के जाप से व्यक्ति का प्रभामंडल विकसित जोटा है और व्यक्तित्व में निखार आता है।  व्यक्ति  या साधक  जो भी इस मं

उच्चाटन तंत्र

 उच्चाटन तंत्र जैसा कि हमने पहले बताया कि उच्चाटन का अर्थ है किसी भी चीज़ से मन उचाट हो जाना या कर देना। यह विद्या शत्रुओ को भ्रमित करने के लिए प्रयोग में आती रही है। इस विद्या का सबसे महत्वपूर्ण प्रयोग है  किसी के मन में किसी प्रकार के तनाव भरे ख्यालो या विचारो से मुक्त करना हम कई बार देखते है  कि कभी कभी एक विचार ही मनुष्य की मानसिक संतुलन को बिगाड़ने में काफी रहता है और वह विचार  अंतर मन तक ऐसे घर कर जाता है जैसे उसे कुछ और न समझ आ सके न ही वह उससे उबर ही पाता है। वह विचार किसी भी प्रकार  का हो सकता है प्रेम से संबंधित हो सकता है प्रेम ईर्ष्या शत्रुता या नकारात्मकता ।उच्चाटन विद्या का सही प्रयोग उस व्यक्ति को उस विचार से मुक्त कर सकता है और नई सोच सोचने को मजबूर कर सकता है। किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे आनन्द हो ज्योतिष केंद्र  व्हाट्स एप्प   0091-7009688414   फोन               0091- 7009688414  परन्तु इस विद्या का दुरुपयोग  ज्यादा होता है और सदुपयोग कम। दुरुपयोग में कुछ लोभी तांत्रिक  किसी का नुकसान करने  में अधिक  प्रयोग करते है । लोग अपने शत्रुओ प्