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9 का रहस्य(नवरात्र विशेष) #anandho


मित्रो आपको नवरात्र की बहुत शुभकामनाएं। आदि शक्ति मां  दुर्गा आप सब पर कृपा करे ऐसी मेरी कामना है। सृष्टी कि ऊर्जा स्वरूपा मां शक्ति आपको सम्पूर्णता खुशियां और अनन्त क्षमताएं आशीर्वाद के रूप में प्रदान करे। मित्रो आज हम माँ के नौ रूपो के साथ साथ सृष्टि मे 9 के अस्तित्व की चर्चा करेंगे । 9 रस है, 9 रंग, 9 ही ग्रह है और 9 ही रत्न।  एक नवजात शिशु के जन्म का चक्र 9 महीने का है और मृत्यु के बाद बरसी भी 9 महीने में की जाती है।  काल के नौ खण्ड है और 9 ही मां दुर्गा के नवरात्र। हम सभी नवरात्र को शक्ति के पर्व के रूप में मानते और जानते है। 
                     परन्तु इसका रहस्य क्या है कि 9 का इतना महत्व है इसका उत्तर हमे अंक विद्या से प्राप्त होता है । अंक विद्या में मूल अंक 9 को अनन्त माना गया है और जीवन का आधार भी । 1 को आप 9 बार 1 1 1 1 1 1 से जोड़े तो उत्तर 9 होगा 2 को 9 बार जोड़े तो 18 आता है जिसका जोड़ 9 है 3 को 9 जोड़े उतर आता है 27 जिसका जोड़ भी 9 है 4 को 9 बार जोड़े उतर 36 आता है , जोड़ 9 हुआ 5 को 9 बार जोड़े तो उत्तर 45 , जोड़ 9 हुआ 6 को 9 बार से 54 , जिसका जोड़ 9 है ,7 को 9 से 63 , जोड़ 9 हुआ , 8 को 9 से 72 हुआ जोड़ 9 और 9 को 9 से 81 जोड़ 9 । 9 अंक अनन्त इसीलिए माना जाता है कि 9 को जितनी बार भी  गुना किया जाए उत्तर 9 ही आता है। और भाग करके भी उत्तर 9 ही आता है। जैसे 9 को जितना भी  गुना करके  देखे जोड़ 9 ही आएगा। 
          नहीं में आपकी गणित कक्षा नही ले रहा । में आपको सृष्टी का मूल और नवरात्र की महिमा और नवदुर्गा का  अस्तित्व समझाने और ईशा वास्‍यमिदं सर्वं यत्किंच जगत्‍यां जगत्। का साक्ष्य देने का प्रयत्न कर रहा हूँ। 
      
      
 9 अंक की महिमा बखान करना इसलिए जरूरी है कि यह सूचक है जीवन मृत्यु चक्र का। ऊर्जा को ऊर्जा से ही परिवर्तित किया जा सकता है ।ऊर्जा न तो बनाई जा सकती है ना ही विध्वंस की जा सकती है इसे केवल रूपान्तरण किया जा सकता है। और ऊर्जा  अनन्त infinite सर्व व्यापी omnipresent है। जन्म होता है फिर मृत्यु होती है फिर से जन्म होता है और फिर मृत्यु इसी को काल चक्र कहते है । जन्म के बाद मृत्यु , म्रत्यु के बाद जन्म । शरीर मरता है परन्तु चेतना नही ऊर्जा नही । वह केवल रूपांतरित होती है फिर से 9 महीने का जन्म चक्र पूरा करके । और फिर एक मृत्यु और चेतना और ऊर्जा फिर रूपांतरित होती है 9 महीने का चक्र पूरा करके ।
         नवरात्र  सूचक है उस शक्ति उस ऊर्जा के अनन्त होने का । शक्ति ही तो हमारे जीवन का अस्तित्व है। सृष्टि के आदि से ले कर वर्तमान तक वह ऊर्जा ही तो है जो प्रतिपल घटित हो रही है  सृजन बन कर , संहार बन कर। हमारे जीवन मे भी तो प्रतिपल वह शक्ति और अनन्त ऊर्जा ही तो है कल्पना ,आकर्षण, त्याग, संघर्ष, निर्माण, स्थिरता, एकात्म निपुणता और सम्पन्नता बन कर। वह शक्ति ही तो है जो हमारी स्मृति , बुद्धि , कांति, शांति , शक्ति , निद्रा , जाग्रत , स्वप्न और जीवन मे प्रतिपल विराजमान है। नवग्रहों पर आधिपत्य रखने वाली और नवरसों को धारण करने वाली नवदुर्गा के नवरात्र सूचक है कि वह शक्ति अनन्त है । जीवन से ले कर मृत्यु उत्पत्ति से ले कर संहार तक और निर्माण से लेकर विध्वंस तक वह ऊर्जा ही तो है जो विद्यमान है। इसका प्रमाण आपको देव्यथर्वशीर्षम में भी मिलता है और मूर्ति रहस्य और प्रधानिक रहस्य में भी । 
                  प्रत्येक मन्त्र जो हम जपते है , प्रत्येक विधि जो हम अपनाते है , प्रत्येक पाठ जो हम करते है , माँ दुर्गा के इस 9 अंक के रहस्य को जाने बिना निरर्थक है। हम मां के रूप शैलपुत्री , ब्रह्मचारिणी , चंद्रघंटा , कूष्माण्डा , स्कंदमाता , कात्यायनी , कालरात्री ,महागौरी , और सिद्धिदात्रि । इन सबको नाम से तो जान सकते है परन्तु उनके रहस्य को जानने के लिए हमे उनका अनन्त होना और सृष्टि में प्रतिपल विद्यमान हो कर प्रत्येक वस्तु जीव और स्थिति, ऊर्जा के विभिन्न रूप में सृष्टि के संचालन से लेकर निर्माण से लेकर विध्वंस करने तक मे उनका विद्यमान होना जानना होगा ।
                     वह शक्ति ही है आपके जागृत स्वप्न सुसुप्ति का आधार है । वह शक्ति ऊर्जा ही है आपके अंदर जिससे अस्तित्व है हमारा । वह शक्ति ही प्राण है वह शक्ति ही अपान । मनुष्य जो विज्ञान के रूप में अविष्कार करता है वह भी वह शक्ति ही है और जो मनुष्य की पहुंच से दूर उसकी समझ से परे है वह भी शक्ति दुर्गा ही है। आगे पोस्ट में हम आपको देवयथर्वशीर्षम के द्वारा आपको कुछ और रहस्य कुछ और बातो की चर्चा आपसे करेंगे। 

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