#anandho
हमे अक्सर फ़ोन आते है वशीकरण क्रिया के बारे में। इसकी जानकारी प्राप्त करने हेतु या फिर इस क्रिया के लिए। कुछ बाते इस विद्या के बारे में चर्चा का विषय है। कुछ बाते ज़रूरी है सबके लिए जान लेना चाहें वह वशीकरण का साधक है या वशीकरण विद्या का जिज्ञासू या इससे कार्यसिद्धि प्राप्त करने की इच्छा रखने वाला। सबसे पहले हम बात करते है क्या है वशीकरण । वशीकरण तँत्र के षट्कर्मों में से एक है यह सौम्य विद्या है जो कि मन्त्र के द्वारा तँत्र के द्वारा या यन्त्र शक्ति के द्वारा सिद्ध प्रयोग और प्राप्त की जाती है । वशीकरण विद्या का अर्थ है वश में करना । इसमे सभी इष्ट देवियो देवताओ आदि के मन्त्र प्रयोग किये जाते है। जैसे कि मैं हमेशा एक बात पर ज़ोर देता हूँ कि शक्ति कोई भी है किसी भी प्रकार की है , उर्जास्वरूप है । और ऊर्जा ही है जो आधार है हमारे जीवन का नव रसों में श्रृंगार और हास्य रस से इस विद्या का सम्बन्ध माना जा सकता है । माया , सौम्यता , सौंदर्य , और ऐशवर्य का भी इस क्रिया से सम्बन्ध है । वशीकरण में मुख्यतः शुक्र और चन्द्र ग्रह से सम्बंधित प्रयोग अधिक प्रचलित है और इन्ही से सम्बंधित देवी देवताओ के मंत्रो यंत्रो और क्रियाओ का अधिक प्रयोग सौम्य रूप से किया जाता है । जैसे ऊर्जा सकारात्मक भी होती है और नकारात्मक भी । उसी प्रकार से इस विद्या के भी दोनो रूप है सकारात्मक भी और नकारात्मक भी । सकारात्मक रूप से यह विद्या का प्रयोग ध्यान में भी है और तँत्र क्रियाओ में भी । मुख्य रूप से सकारात्मक विद्या में यक्षिणी , मोहिनी , कामदेव , कृष्ण , दुर्गा , श्री विद्या भैरव और अन्य देवी देवताओं के अनको प्रयोग है। प्रत्येक प्रयोग की अपनी विधि है अपनी ऊर्जा अपनी ऋतु और अपने मन्त्र । कुछ विषिष्ठ सामग्रियां इसके तँत्र प्रयोग में प्रयोग में लायी जाती है । प्रत्येक इष्ट पूजा में सम्बन्धित सामग्री का प्रयोग होता है।
क्यों है वशीकरण का अस्तित्व #anandho
ऊर्जा तो ऊर्जा है ऊर्जा से ही विचार आते है और विचार ही क्रियात्मक रूप ले कर हमारे कर्म बनते है। यह विद्या चाहे सौम्य विद्या है परन्तु यह भी सच है कि सृजनात्मक भी है और विध्वंसक भी । सृजनात्मक रूप से यह विद्या का प्रयोग होता है घरों को जोड़ने के लिए , परिवारों में प्रेम का पुनः स्थापन करने के लिए , मित्रो के बीच मे गलतफहमियां दूर करने के लिए , धन ऐशवर्य की प्राप्ति के लिए , समाज मे प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए ,पति पत्नी में प्रेम का स्थापन करने के लिए , मनचाहा प्रेम पाने के लिए । मनचाहे प्रेम से हमारा तातपर्य है मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए या वधु प्राप्त करने के लिए । वशीकरण का निर्माण इसलिए किया गया ताकि जीवन मे आने वाली कठिनाइयों का समाधान दैवीय सहायता से किया जा सके । तँत्र जैसे कि हम हमेशा कहते है कि जीवन जीने की एक कला है और जीवन का आधार अस्तित्व है , जीवन का आधार इच्छाएं है , और प्रत्येक क्षण नव निर्माण की इच्छा है। जोवन में संतुलन लाना ही प्रत्येक साधना का लक्ष्य होता है । वशीकरण विद्या भी उन सब इच्छाओ की पूर्ति के लिए है जिनके बिना हमारा भौतिक जीवन अधूरा है । इस विद्या का मुख्य आधार है प्रेम ऐशवर्य उत्सुकता और जीवन की अनुकूल स्थिति । प्रत्येक व्यक्ति के जीवन स्थिति में प्रेम होना आवश्यक है धन होना आवश्यक है प्रतिष्ठा होना आवश्यक है क्योंकि प्रेम के बिना व्यक्ति उत्साह हीन होता है और धन और ऐशवर्य के बिना शक्ति हीन प्रभाव हीन , सौंदर्य के बिना जीवन नीरस होता है । इस विद्या का निर्माण इसलिए हुआ के आप प्राप्त कर सके वह स्थिति जो जीवन मे एकाग्र साधना के लिए अति आवश्यक है । एक छोटी सी कथा है जब गुरु ने अपने किसी किसी शिष्य से पूछा कि साधुत्व के लक्षण क्या है तो उसने कहा कि मिल जाये तो कहा ले नही तो भूख रहे तो गुरु ने कहा के यह कहा का साधुत्व हुआ यह नीरसता साधुत्व नही है तो शिष्य ने कहा आप बताये तो इब्राहिम बोला मिल जाये तो बांट के खाये और ना मिले तो नाच कर धन्यवाद दे कि आज उपवास होगा । यह कहानी भी वशीकरण विद्या पर सटीक बैठती है । कैसे यह में आपको ध्यान प्रयोगों के वशीकरण विद्या के बारे में बताता हूँ । वशीकरण के ध्यान प्रयोगों में मन को इन्द्रियों को वश में करके अपने ब्रह्म स्वरूप के आनन्द को प्राप्त किया जाता है । प्रेम ही तत्व है आनन्द का प्रेम ही सृष्टी में स्वयं की और स्वयं में सृष्टी की अनुभूति है । और जैसे कि हमेशा से कहते है हम की शक्ति का बाह्य स्वरूप भी आपके अंदर की ऊर्जा और मनोस्थिति का ही स्वरूप है । यदि आपके भीतर ही प्रेम नही तो बाहर से प्रेम आपको नही मिल पायेगा । आप कभी रेडियो की फ्रीक्वेंसी का विचार किया है क्या? आप जैसी फ्रीक्वेंसी उसकी सेट करते है वैसा ही चैनल आप सुनते है । यदि आपने फ्रीक्वेंसी ही सही सेट न कि हो तो आप चैनल नही चला पाते । ऐसे ही आप भी तो फ्रीक्वेंसी ही छोड़ते है विचारो के रूप में अपने शब्दों के रूप में ऊर्जा ही तो आप है ऊर्जा ही तो सृष्टी । जिस प्रकार के विचार आपके अंदर उत्पन्न होते है वैसे ही आपकी ऊर्जा बनती है और वैसे ही thoughts फ्रीक्वेंसी के रूप में सृष्टि में जाते है और वैसे ही चैनल अर्थात हालात वह फ्रीक्वेंसी आकर्षित करती है। वशीकरण में ध्यान का प्रयोग आपकी अंदर की उस फ्रीक्वेंसी को channelize करती है । आपके अंदर वह आनन्द की अनुभूति प्रेम और आंतरिक ऐशवर्य प्राप्त होता है आपको । और वह आनन्द की अनुभूति की झलक आपके आंखों , मुस्कान , चेहरे , आवाज़ , आपके चलने , आपके देखने आपके सम्पूर्ण व्यक्तित्व में दिखायी देती है । और ऐसे व्यक्तित्व से कौन प्रेम नही करेगा जिससे बात करके ही किसी को आनंद की अनुभूति हो। कौन ऐसे व्यक्ति से जुड़ना नही चाहेगा जो कि ऐसा व्यक्तित्व हो और कौन प्रेम नही करेगा ऐसे व्यक्तित्व से।
कैसे है वशीकरण #anandho
बाह्य प्राप्ति के लिए तँत्र में अनेको विधिया है , सामग्रियां है वशीकरण के प्रयोगों में मोहिनी प्रयोग सबसे ज़्यादा प्रचलित है । जिसमे की तिलक , यन्त्र , मन्त्र , अभिमंत्रित सामग्रियां , मोहिनी माला आदि अनेको सामग्रियां है जिनको अनुकूलता लाने के लिए प्रयोग किया जाता है। कामदेव का प्रयोग अनेको प्रकार से इतर खुशबू आदि के माध्यम से किया जाता है । इसमे छोटे छोटे टोटके अधिक प्रचलित है जिन्होंने आज इस विद्या को भृम का सूचक बना दिया है । अतः यदि किसी प्रकार का भी तँत्र प्रयोग किया जाता है तो पहले बीज मंत्र सिद्ध किया जाता है उसकी मुद्रा के बारे में जाना जाता है उसकी ऊर्जा को समझा जाता है साधना का सही समय का चयन किया जाता है। साधना में प्रयोग होने वाली प्रत्येक सामग्री के बारे में पूरा जाना जाता है फिर सही समय तिथि मन्त्र संख्या यन्त्र आदि का चयन कर के कार्यसिद्धि प्रयोग किया जाता है । आज के समय मे प्रचलित 24 घन्टे 48 घन्टे वाली बात बिल्कुल भी सत्य नही है #anandho और यदि है भी तो वशीकरण विद्या का विध्वंसक रूप है जो हो सकता है आज लाभ कर भी दे परन्तु अंततः नुकसान और विध्वंस ही करेगा। तो आप भी यदि इस प्रयोग को करे तो सकारत्मक रूप से धैर्य बना कर । या करवाये भी तो किसी ऐसे व्यक्ति को जो लालच दे कर लूटे नही परन्तु आपको सही रास्ता दिखाये और कार्यसिद्ध करके दे। अगली पोस्ट में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि कैसे कार्य करती है वशीकरण विद्या कैसे प्रेम उत्पन्न करती है #anandho कैसे नकारात्मक ऊर्जा का नाश करके सकारत्मक रूप से पुनः स्थापन या नई ऊर्जा उत्पन्न करती है जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में।
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