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ब्रह्मचर्य #anandho

 हमे प्रशन प्राप्त हुआ कि क्या साधना करते समय ब्रह्मचर्य रखना आवश्यक है? उस प्रशन का उत्तर हम आपको देते है । यह जो प्रशन हमे प्राप्त हुआ था यह बीज मंत्र साधना के विषय मे पूछा गया था परन्तु हम केवल उसी साधना की बात न करके ब्रह्मचर्य के विषय मे  और साधना से सम्बन्ध के विषय मे आपको बताते है । ब्रह्मचर्य का अर्थ क्या है ?ब्रह्मचर्य का अर्थ है ब्रह्म जैसी चर्या स्वयम के ब्रह्म स्वरूप को समझने वाला ही ब्रह्मचर्य का पालन कर सकता है । ब्रह्मचर्य का बहुत ही महत्व है किसी साधना में और कुछ साधनाओ में तो इसको अत्यंत ही आवश्यक माना जाता है । किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे        आनन्द हो ज्योतिष केन्द्र       व्हाट्स एप्प  0091-7009688414         कॉल।            0091-7009688414      सबसे पहले हम चर्चा करते है विस्तार में कि ब्रह्मचर्य कैसे ब्रह्म जैसी चर्या है । ब्रह्म जैसी चर्या का अर्थ है  ईश्वर जैसी चर्या । ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल आज के समय मे  शार...

कैसे कार्य करती है मन्त्र ऊर्जा #anandho(How Mantras Energy Works)

        इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि कैसे काम करती है वशीकरण विद्या या किसी भी मन्त्र की ऊर्जा । वशीकरण के बारे में आपको हमने पिछली पोस्ट में बताया था ।  अब  आपको यह बताते है कि क्या प्रभाव है वशीकरण मंत्रो का आप पर आपकी सोच पर और कैसे इसका सकारात्मक प्रयोग रूपांतरित करता है ऊर्जा को । पहले साधना के बारे में बात करेंगे जो कि व्यक्ति स्वयं करता है फिर साधक पर प्रभाव के बारे में और फिर किसी और के द्वारा किसी प्रकार के अनुष्ठान करवाने से कैसे कारण सिद्ध होते है वह भी आपको बताएंगे। किसी भी समस्या  के समाधान के लिए संपर्क करे        आनन्द हो ज्योतिष केन्द्र       व्हाट्स एप्प  0091-7009688414         कॉल।            0091-7009688414                 #anandho              जैसा कि आपको पिछली पोस्ट में बताया गया था कि वशीकरण वह विद्या है जिसका निर्माण , सृजन के लिए किया गया था ...

वशीकरण विद्या ( क्या , क्यों , कैसे) #anandho

  #anandho             हमे अक्सर फ़ोन आते है वशीकरण क्रिया के बारे में। इसकी जानकारी प्राप्त करने हेतु या फिर  इस क्रिया के लिए।  कुछ बाते इस विद्या के बारे में चर्चा का विषय है। कुछ बाते ज़रूरी है सबके लिए जान लेना चाहें वह वशीकरण का साधक है या वशीकरण विद्या का जिज्ञासू या इससे कार्यसिद्धि प्राप्त करने की इच्छा रखने वाला। सबसे पहले हम बात करते है क्या है  वशीकरण । वशीकरण तँत्र के षट्कर्मों में से एक है यह सौम्य विद्या है जो कि मन्त्र के द्वारा तँत्र के द्वारा या यन्त्र शक्ति के द्वारा सिद्ध प्रयोग और प्राप्त की जाती है । वशीकरण विद्या का अर्थ है वश में करना । इसमे सभी इष्ट देवियो देवताओ आदि के मन्त्र प्रयोग किये जाते है। जैसे कि मैं हमेशा एक बात पर ज़ोर देता हूँ कि शक्ति कोई भी है  किसी भी प्रकार की है , उर्जास्वरूप है । और ऊर्जा ही है जो आधार है हमारे जीवन का नव रसों में श्रृंगार और हास्य रस से इस विद्या का सम्बन्ध माना जा सकता है । माया , सौम्यता , सौंदर्य , और ऐशवर्य का भी इस क्रिया से सम्बन्ध है । वशीकरण में मुख्यतः  शु...

9 का रहस्य(नवरात्र विशेष) #anandho

मित्रो आपको नवरात्र की बहुत शुभकामनाएं। आदि शक्ति मां  दुर्गा आप सब पर कृपा करे ऐसी मेरी कामना है। सृष्टी कि ऊर्जा स्वरूपा मां शक्ति आपको सम्पूर्णता खुशियां और अनन्त क्षमताएं आशीर्वाद के रूप में प्रदान करे। मित्रो आज हम माँ के नौ रूपो के साथ साथ सृष्टि मे 9 के अस्तित्व की चर्चा करेंगे । 9 रस है, 9 रंग, 9 ही ग्रह है और 9 ही रत्न।  एक नवजात शिशु के जन्म का चक्र 9 महीने का है और मृत्यु के बाद बरसी भी 9 महीने में की जाती है।  काल के नौ खण्ड है और 9 ही मां दुर्गा के नवरात्र। हम सभी नवरात्र को शक्ति के पर्व के रूप में मानते और जानते है।                       परन्तु इसका रहस्य क्या है कि 9 का इतना महत्व है इसका उत्तर हमे अंक विद्या से प्राप्त होता है । अंक विद्या में मूल अंक 9 को अनन्त माना गया है और जीवन का आधार भी । 1 को आप 9 बार 1 1 1 1 1 1 से जोड़े तो उत्तर 9 होगा 2 को 9 बार जोड़े तो 18 आता है जिसका जोड़ 9 है 3 को 9 जोड़े उतर आता है 27 जिसका जोड़ भी 9 है 4 को 9 बार जोड़े उतर 36 आता है , जोड़ 9 हुआ 5 को 9 बार जोड़े तो उ...

नव रस (जीवन का आधार)

मित्रो एक नए विषय पर आज चर्चा करेंगे और यह विषय है नव रस । वह नव रस जो आपके जीवन  मे प्रतिपल अवस्थित है । आपके जीवन के घटने वाली प्रत्येक घटना से ले कर आपके द्वारा की जाने वाली प्रत्येक क्रिया का मूल आधार है। इन नव रसों के बारे में अधिक चर्चा नही की गई है। तँत्र का मूल आधार आपकी आंतरिक व्यवस्था और आंतरिक क्षमता है। और तँत्र सर्व विद्यमान है । तँत्र सभी क्रियाओ और जीवन की प्रत्येक अवस्था मे पूर्ण रूपेण अवस्थित है। तँत्र तत्व साधना के बिना अधूरा है और तत्व साधना रस ज्ञान के बिना अधूरी।         आपका भय, निर्भयता, हर्ष, उल्लास, दुख , उर्जाहीनता, ऊर्जावान होना, आपका क्रोध ,आपकी शांति, कोई भी कल्पना, कोई भी आकर्षण, कोई भी त्याग कोई भी निर्माण कोई भी संघर्ष , किसी भी स्थिति में स्थिरता, किसी भी अवस्था मे निपुणता और सम्पन्नता , यह  सब तत्व ही तो है आपके जीवन के, और सिर्फ तत्व ही नही प्रत्येक क्रिया का कारण भी।  तत्व ज्ञान तक संपूर्णता प्राप्त करने के लिए आपको रस ज्ञान होना अति आवश्यक है। क्योंकि क्रिया का कारण भी तो किसी मूल रस पर आधारित होता है।...

शिव के 10 रुद्रावतार #anandho

                   #anandho         शिव के अवतारों के बारे में जानने के लिए आपको शक्ति के अस्तित्व को भी पहचानना होगा। आपको इस पोस्ट में हम शिव के दशावतारों के नाम बताएंगे और उनके स्वरूप का थोड़ा विवरण देंगे। शिव के अवतारों  की शिव रूपी यात्रा को शुरू करने से पहले आपको एक बात कहना चाहूंगा कि शिव को यदि ऊपर ऊपर से ही जानोगे तो  सृष्टि रहस्यो से अछूते रह जाओगे। शिव नाम ही स्वयम में समुद्र भी गहरा है और आसमान से भी ऊंचा। और शिव नाम अग्नि से अधिक ज्वलन्त है  और हिमशिखर से भी ठंडा। और इस सर्वव्यापी अस्तित्व को यदि सत्य में ही जानना है और उनके प्रत्येक अवतार को सत्य में ही समझना है तो आपको शिव तक पहुंचने के लिए शक्ति के अस्तित्व से जाए बगैर कोई रास्ता नही है। शक्ति के रूप स्वरूप और दस महाविद्या के अस्तित्व को जाने बगैर आप शिव के उन अवतारों का नाम तो जान सकते है परन्तु उनका अस्तित्व नही । आप उनके रूप को जान सकते है परन्तु उनके सृष्टि में विद्यमान होने को नही जान सकते। किसी भी समस्या  के समाधान के ल...

बीज मंत्र और उनकी ऊर्जा

मित्रो एक प्रश्न  हमे प्राप्त हुआ कि क्या हम अलग अलग बीज मंत्रो को मिला सकते है? और अगर यदि मिला सकते है तो कौन कौन सा बीज मंत्र है जिसको हम एक साथ जप सकते है। तो मित्रो इसको जानने के लिए आपको बीज मंत्रो के विज्ञान उनकी ऊर्जा और आपके आंतरिक प्रभाव को जानना होगा। सबसे पहले हमें जानना होगा कि कौन सा बीज मंत्र किस प्रकार  की ऊर्जा और किस प्रकार की ऊर्जा रूपान्तरण कर सकता है। यहां हम कुछ बीज मंत्रो का उल्लेख कर रहे है इसके बाद हम आपको उनके इष्ट या ऊर्जा के बारे में बताएंगे। ह्रीं बीज मंत्र:- ह्रीं माया बीज है जिसमे की ह से शिव , र से प्रकृति , ईकार से महामाया , नाद से विश्वमाता , बिंदु से दुख हर्ता। अतः इस बीज मंत्र का ऊर्जा विचार और आह्वान हुआ कि हे शिव युक्त प्रकृति रूप में महामाया मेरे दुख का हरण कीजिये ।इसके बारे में आगे अलग पोस्ट और विस्तृत रूप से आपको जल्द ही प्राप्त होगी।  श्रीं बीज मंत्र यह महालक्ष्मी का बीज मंत्र है। यह सौम्य ऊर्जा से सम्बंधित है । इसमें श से महालक्ष्मी र से धन ऐशवर्य ईकार से तुष्टि और बिंदु से दुखहरन की ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह बीज मंत्...