मारण तन्त्र के प्रयोग (1)
जैसे कि मारण तन्त्र के बारे में पहले भी हमने कुछ बाते लिखी। इसके सदुपयोग और दुरुपयोग के बारे में आपको थोड़ा सा पहले भी बताया गया। इस का कुछ विस्तार इस पोस्ट में भी किया जाएगा । मित्रो मारण तन्त्र ऐसी क्रिया है जिसका निर्माण आपके अंदर के बुरे विचारों ,बुरे ख्यालो ,स्वप्नों और बाहर के शत्रु रूपी समस्याओं को खत्म करने के लिए किया गया। बाहर के शत्रु रूपी से हमारा अर्थ है ग्रहों की समस्याएं , रास्ते की रुकावट, किया हुआ तन्त्र ,या फिर अन्याय रूपी शत्रुता। यह हम यह बताना चाहेंगे कि शत्रुता एक विचार है और शत्रु मारण का अर्थ उस व्यक्ति का मारण बिल्कुल नही है परंतु उस शत्रु रूपी विचार का मारण है।किसी भी समस्या के समाधान के लिए संपर्क करे
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मारन तन्त्र में जो इष्ट पूजा की जाती है वह है भगवान महाकाल , भगवती दुर्गा का महिषमर्दिनी रूप, महाकाली, धूमावती, भैरव जी। एक साधक इनके मंत्रो का उत्कीलन करके इनकी पूजा सामग्री का प्रयोग करके और विधि विधान से तन्त्र का प्रयोग करता है। इस तन्त्र में शमशान क्रियाओ से ले कर योग क्रिया ,मंत्रो के प्रयोग से ले कर तांत्रिक सिद्ध सामग्रियों तक का प्रयोग लिखा गया है।
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शमशान क्रियाओ में वीर भाव और पशु भाव का प्रयोग होता है। और जो सामग्री इसमे प्रयोग होती है वह तामसिक और उग्र प्रभावी होती है। ऐसे ही बीज से लेकर महा मंत्रो तक का प्रयोग होता है। बीज मंत्रो में (क्रीं) बीज मारन मन्त्र है और इसका प्रयोग महाकाली साधना में होता है। ऐसे ही महामंत्र और स्तोत्र जैसे कि महाकाली के मंत्र और स्तोत्र, भैरव जी के मंत्र और स्तोत्र आदि का प्रयोग होते है। अधिकतर ऐसे क्रियाओ का लोग दुरुपयोग ही करते है। इस प्रयोग का यदि दुरुपयोग किया हुआ हो तो जिस पर यह प्रयोग किया गया है उसकी जीवन क्षमता ही क्षीण हो जाती है।मारण तन्त्र के अंदर योग क्रियाये भी है जो कि आपके अंदर के विचारों का मारण करने से ले कर आंतरिक शुद्धि के लिए भी काम करती है। आयुर्वेद में भी उग्र सामग्रियों का प्रयोग करके अंदर के रोगों का मारण किया जाता है और नई ऊर्जा का स्थापन किया जाता है। ज्योतिष में भी राहु आदि क्रूर ग्रहों के दुष्प्रभावों का मारण अनेको उपायों द्वारा किया जाता है। और तन्त्र में मंत्रो का प्रयोग तो है ही।
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यदि तन्त्र की क्रियाओ में क्रूर और उग्र मंत्रो का प्रयोग है तो वही सौम्य मंत्रो का जैसे कि महामृत्युंजय मंत्र आदि का प्रयोग भी किया जाता है। दुर्गा सप्तशती के सम्पुट पाठ से तो हम निश्चित ही तन्त्र की सभी क्रियाओ की कार्य सिद्धि कर सकते है। प्रत्येक तन्त्र को हम दो भागों में बांट सकते है एक है मारण तन्त्र का सदुपयोग जो कि किसी की कष्ट मुक्ति हेतु ,शुद्धि हेतु , और सुरक्षा हेतु प्रयोग किया जा सके। और दूसरा है किसी का बुरा करने के लिए ,नुकसान करने हेतु, परेशान करने हेतु प्रयोग किया जाए। आगे वाली पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि कैसे सुनिश्चित करे कि आप पर कोई तन्त्र का दुरुपयोग तो नही हुआ । और क्या समाधान हो सकते है।Youtube link
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गुरु जी प्रणाम मुझ पर एक औरत ने मारण का प्रयोग कि थी डाक्टर से इलाज कराकर हार चुका था तब तक मेरे शरीर में ३ ग्राम खुश बचा था फिर एक तांत्रिक के पास ले गया फिर आराम मिला इसके लिए क्या उपाय करूं उपाय बताने की कृपा करें
जवाब देंहटाएंKya aap mujhe us tantrik k no de sakte h please.m bhi bahut preshan hu ghar m bahut ladai jhagde hote h
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