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रहस्यमयी बीज मंत्र


मंत्रो के प्रयोग में बीज मंत्र स्वयं में अन्यतम है । पहले हम यह जानेंगे कि बीज मंत्र है क्या फिर जानेंगे कि कौन कौन से है बीज मंत्र और क्या है उनका प्रभाव। जैसे कि हम सभी जानते है कि यदि हमे किसी भी वस्तु का निर्माण करना है तो उसके लिए सबसे पहले उसका मूल अर्थात (base)होना ज़रूरी है। यदि आप किसी भवन का निर्माण करना चाहते है तो  उसकी नीव पक्की और मजबूत किये बिना उस भवन का निर्माण नही किया जा सकता तो मुख्यतः बीज मंत्र वह नीव है जिस पर मंत्रो की सत्ता और कार्यसिद्धि की प्रबलता टिकी है।

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                   इस सम्पूर्ण जगत का निर्माण ऊर्जा से ही हुआ। ऊर्जा से ही यह जगत चलायमान है। ऊर्जा से ही सभी पेड़, पौधे ,पशु व्यक्ति इस संसार मे जीवित है। बिना बीज बोए हम किसी फूल फल अथवा अन्य पदार्थ  की प्राप्ति नही कर सकते। मनुष्य का निर्माण भी इसी प्रकार है।  बीज मंत्र वह नीव है जिसके बिना हम पूर्ण मंत्रो का प्रभाव प्राप्त नही कर सकते। प्रत्येक इष्ट प्रत्येक , शक्ति प्रत्येक मंत्र का अपना बीज होता है। जैसे कि माँ दुर्गा का दुं बीज  महाकाली के मंत्रो का क्रीं बीज है  ऐसे ही अन्य मंत्रो और देवताओ के मंत्रो में अन्य बीज प्रयोग होते है। गुरु जब किसी शिष्य को दीक्षा देते है या किसी मंत्र सिद्धि का ज्ञान देते है तो सबसे पहले इसके बीज के रहस्यो को बताया जाता है।

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          बीज मंत्र स्वयं  में  पूर्ण शक्ति समाहित किये हुए और ऊर्जा और ज्ञान का भंडार होते है। जब तक एक साधक बीज मंत्रो के उच्चारण ध्यान और उनके महत्व को नही समझ लेता तब तक मंत्रो के द्वारा कार्य सिद्धि प्राप्त कर पाना उसके लिए असंभव है। और यदि साधक की नींव बीज मंत्रो के जाप से पक्की है  और उनके बारे में उनको भली भांति ज्ञान है। और उनके प्रयोगों से वह परिचित है तो निश्चित ही सफलता ऊर्जा और सिद्धि उसे प्राप्त होती ही है।
 नीचे कुछ बीज  मंत्रो का उल्लेख में दे रहा हूँ और प्रत्येक बीज का महत्व प्रभाव और ज्ञान आगे की पोस्ट में अलग अलग देने का प्रयत्न करूँगा।
गं।   गणपति
ह्रीं।   देवी बीज
क्लीं। काम बीज
श्रीं।   लक्ष्मी बीज
क्रीं।   काली बीज
हॉम।   शिव बीज
ऐं।      सरस्वती बीज
धूं।      धूमावती बीज
हुँ।       मारण बीज

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 प्रत्येक वैदिक देवता और सभी अन्य देवताओं के भी बीज मंत्र है जैसे कि कुंचिका स्तोत्र में  जो मंत्र है
 ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्च: ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूँ सः
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच: ज्वल हं सँ लँ क्षं फट स्वाहा।
     दुर्गा सप्तशती के उन गोपनीय रहस्यमय मंत्रो में से मुख्य मंत्र है और इसे  और भी ऊर्जा वान बनाते है बीज मंत्रो का होना। अब दुर्गा पाठी इन सबका पाठ तो कर सकता है परंतु इन बीजों के सही रहस्य के बारे में जाने बिना इनके द्वारा कार्य सिद्धि नही प्राप्त कर सकता।
      ऐसे ही  इसी स्तोत्र में पां पीं पूँ ,खां खीं खूँ, सां सीं सूँ और भी बहुत से बीजो का उल्लेख है।

  बीज मंत्र वह ज्ञान है जिसके बिना मंत्रो द्वारा कार्य सिद्धि होना अत्यंत कठिन है। आगे की पोस्ट में आपको और ज्ञान इस विषय पर मिल सके इसके लिए में प्रयत्नरत हूँ। आगे हम इन मंत्रो के प्रभाव ज्ञान ध्यान और इसके आज के हमारे आधुनिक समय मे जीवन महत्व पर हम चर्चा करेंIगे। बीज मंत्रो की ऊर्जा रहस्य आपके शारीरिक विकास से ले के भौतिक विकास में  कैसे सहायक हो सकती है इसके बारे में प्रत्येक बीज की अलग पोस्ट पर हम चर्चा करेंगे
  ब्लॉग के माध्यम से हम यह कोशिश करेंगे के तंत्र के मूल स्वरूप को समझ कर हम आपको महादेव भगवान शंकर और माँ दुर्गा के इस सृष्टि रहस्य से अवगत करा Uसके। और गुरु शिष्य परम्परा से आपको अवगत करा सके जो कि तंत्र मंत्र और इनके ज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण भाग है।
  आपके प्रश्न जिज्ञासा या परेशानी के लिए  आप हमे फ़ोन कर सकते है।

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