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तंत्र और आयुर्वेद


तन्त्र और आयुर्वेद

तंत्र और आयुर्वेद दोनों का बहुत महत्वपूर्ण संबंध है जैसे कि मैंने आपको बताया तंत्र ज्योतिष आयुर्वेद योग और प्राचीन विद्या सभी का समन्वय है। अब मैं आपको तंत्र आयुर्वेद से संबंध जड़ी बूटियों से संबंध के बारे में विवरण देने की कोशिश करूंगा जैसे कि तंत्र में नक्षत्र ज्योतिष और क्रिया और क्रिया के इष्ट महत्वपूर्ण है वैसे ही तंत्र में जड़ी बूटियों का ज्ञान होना यह भी बहुत आवश्यक है एक सफल तांत्रिक संबंधित तंत्र में प्रयोग होने वाली सामग्री के बारे में भी कौशल्य प्राप्त करता है कौन सी क्रिया में कौन सी सामग्री कार्य सिद्धि के लिए प्रयोग की जाएगी यह भी व्यक्ति को पता होनी चाहिए जितना महत्व बन चूका है उतना ही महत्व सामग्री का भी है सामग्री के बिना भी तंत्र अधूरा है तंत्र की अलग अलग विधियां है और अलग-अलग सामग्रियां यदि साधक को सामग्री और उसके प्रभाव के बारे में भली-भांति ज्ञान ना हो तो वह उच्चतम स्थिति को प्राप्त नहीं कर सकता और कार्यसिद्धि को प्राप्त नहीं कर सकता कार्यसिद्धि संभव ही पूर्ण ज्ञान के उपरांत हो पाती है।

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    तन्त्र के षट्कर्मों में  प्रत्येक कर्म की सामग्री इच्छा प्राप्ति पर निर्भर करती है। जिसमे की पूजन सामग्री से लेकर यज्ञ सामग्री तक सम्मिलित होती है। कई बार व्यक्ति बाकी सब सही कर रहा होता है परंतु सामग्री के कारण उसके कार्यसिद्धि में बाधा आती है। अतः आयुर्वेद का ज्ञान भी होना चाहिए कौन सी जड़ी बूटी का क्या प्रभाव है किस प्रकार की ऊर्जा का निर्माण करेगी। और कैसा प्रभाव होगा यह आयुर्वेद के ज्ञान बिना संभव नही। कौनसी सामग्री  कौन से इज़हत के लिए प्रयोग होगी फिर चाहे वो जड़ी बूटी हो या माला  गया यज्ञ कर्म में सम्मिलित लकड़ी से ले के घी से ले कर हवन सामग्री से सम्मिलित पदार्थ।

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       प्रत्येक तन्त्र  क्रिया में  अलग अलग सामग्रियां प्रयोग में लायी जाती है ।प्रत्येक सामग्री का अपना प्रभाव होता है किसी का सौम्य किसी का उग्र । जैसा जिसका प्रभाव होगा वैसी ही ऊर्जा उतपन्न होगी। एक कुशल तांत्रिक इन सब बातों को भली भांति विचार में ले कर निर्णय करता है कि कौनसी सामग्री का प्रयोग किस क्रिया में करना है।
  उग्र प्रयोग जैसे कि उच्चाटन आदि में उग्र प्रभाव वाली सामग्री  और सौम्य प्रयोग जैसे कि वशीकरण आदि में सौम्य सामग्री का प्रयोग होता है। इस संबंध में आपको और विस्तृत जानकारी आगे की पोस्ट में मैं देने की कोशिश करूंगा ।
ब्लॉग के माध्यम से हम यह कोशिश करेंगे के तंत्र के मूल स्वरूप को समझ कर हम आपको महादेव भगवान शंकर और माँ दुर्गा के इस सृष्टि रहस्य से अवगत करा सके। और गुरु शिष्य परम्परा से आपको अवगत करा सके जो कि तंत्र मंत्र और इनके ज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण भाग है।
  आपके प्रश्न जिज्ञासा या परेशानी के लिए  आप हमे फ़ोन कर सकते है।

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