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तन्त्र में मंत्रो का महत्व

तन्त्र में मंत्रो का महत्व

मंत्र क्या है? तन्त्र में इनका क्या महत्व है यह जाने बिना तन्त्र  द्वारा कार्य सिद्धि प्राप्त नही की जा सकती। हमारी आंतरिक शक्ति की जागृति से ले कर हमारी बाह्य शक्तियों की प्राप्ति तक मंत्र का महत्व पूर्ण कार्य है।

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   प्रत्येक तंत्र क्रिया के इष्ट के मंत्रों का उच्चारण होता है जिसकी लय क्रिया पर निर्भर करती है। मारण क्रिया के इष्ट श्री महाकाल जी महाकाली और अन्य देवता होते हैं इनकी पूजा उग्र रुप से होती है तो निश्चित ही जो लय उच्चारण मंत्रों का होगा वह उग्र होगा सामग्री के साथ साथ मंत्रों का उच्चारण भी एक ऊर्जा उत्पन्न करता है जो आंतरिक भी होती है और बाह्य भी मनुष्य के आंतरिक ऊर्जा क्षेत्र से बाहर के ऊर्जा क्षेत्र तक विस्तार होता है और यह मुख्य रुप से मंत्रों के उच्चारण से ही होता है स्तंभन क्रिया में मां बगलामुखी ,भैरव जी और अन्य देवताओं की पूजा अर्चना और ध्यान होता है और उन्हीं के मंत्रों का उच्चारण वशीकरण में मोहिनी ,कृष्ण, यक्षिणी और अन्य सौम्य देवी देवताओं के मंत्रों का उच्चारण होता है। उच्चाटन में भी इसी प्रकार धूमावती या अन्य देवता और देवियों के मंत्रों का उच्चारण होता है और प्रतिक्रिया की कार्य सिद्धि मंत्रों की लय और उच्चारण पर निर्भर करता है जैसे कि यदि हम वैदिक पद्धति से चलें तो गायत्री के उच्चारण भी अलग-अलग हैं ।वैसे ही दुर्गा सप्तशती महाकाली तंत्र योगिनी तंत्र या अन्य तंत्रों में मंत्रों की लय उच्चारण और इनके महत्व का उल्लेख है।

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मंत्रों का ज्ञान इतना विस्तृत है कि वह एक पोस्ट में सम्मिलित करना असंभव है और मंत्र वह कुंजी है।  जिनके द्वारा सृष्टि चक्र को समझना तंत्र की प्राप्ति और कार्य सिद्धि प्रत्येक चीज संभव है परंतु आज मंत्रों के उच्चारण और उनको समझने के लिए जिज्ञासुओ को सही रास्ता मिलना अत्यंत कठिन हो गया है मंत्रों की सत्ता इतनी विराट है के यह प्रत्येक व्यक्ति को उच्चतम ज्ञान स्थिति की ओर ले कर जा सकती है ।आज के समय मे जो कि प्रतिस्पर्धा का समय है मंत्रों का ज्ञान होना अपने आप में अन्यतम है। मंत्र के बिना तंत्र अधूरा है और मंत्र योग की तरह ही आंतरिक बदलाव लाने में सक्षम है और बिना मंत्रों की जानकारी के आप तंत्र द्वारा कार्य सिद्धि लेने में सक्षम नहीं हो सकेंगे तंत्र के द्वारा कार्य सिद्धि ना हो पाने का कारण आज मुख्यतः ज्ञान का अभाव है और इस अभाव को पूर्ण करने के लिए जिज्ञासा साधना और सेवा और मंत्रों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझना आवश्यक है और मंत्र रहस्यमय होने के साथ-साथ ज्ञान शक्ति और कार्यसिद्धि से भरपूर है ।साधक को चाहिए कि तंत्र और तंत्र के नियमों को जानने के साथ-साथ मंत्र मंत्रों की सत्ता उनके उच्चारण को समझे और कार्य सिद्धि प्राप्त करें।

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