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क्यो प्रत्येक मंत्र में प्रयोग होता है ॐ?


क्यों प्रत्येक मंत्र में प्रयोग होता है ॐ?

   मंत्रो के ज्ञान की श्रृंखला में बीज मंत्रो के बारे में लिखने से पहले हम यह बताएंगे कि क्यों प्रत्येक मंत्र के आरंभ में ॐ का प्रयोग होता है। जैसे कि ॐ ऐं ह्रीं क्लीं  चामुण्डाये विच्च:  या कोई भी अन्य मंत्र आप जिसका जाप करते है के आरंभ और किसी  के अंत मे भी ॐ का प्रयोग होता है। हम इसके शारीरिक कारण, भौतिक कारण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण कण सबके बारे  में आपको अवगत करवाने का प्रयास करेंगे।
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       ॐ जैसे कि हम सभी जानते है कि सृष्टी का आरंभ ऊर्जा से हुआ । वह ऊर्जा ॐ में नाद से ही उत्पन्न हुई । ऋग्वेद में हिरण्यगर्भ सूक्त  और नासदीय सूक्त में ॐ की महिमा का गुणगान किया गया है। इसमे लिखा गया है कि  सृष्टि से पहले सत नही था असत भी नही अंतरिक्ष भी नही था आकाश भी नही था

 न मृत्यु थी न जीवन था।  आगे जो हमारे बाकी ग्रन्थ  जैसे मांडूक्य उपनिषद भी ॐ का बखान और महिमा मंडन करते है। कहा जाता है इस सृष्टी का आरम्भ ॐ नाद से उत्पन्न हुई इसी ऊर्जा से हुआ ।ॐ  इस ब्रह्मांड की आवाज़ है। विज्ञान भी इस चीज़ को मानता है कि जो आवाज़ उन्होंने अलग अलग ग्रहों की  या कोई और आवाज़ जो भी रिकॉर्ड की गई वह ॐ जैसी ही है  । मंत्रो में ॐ का प्रयोग भी इसी लिए है कि वह उस मन्त्र की ऊर्जा को समाहित करने के लिए आपके अंदर जो फ्रीक्वेंसी चाहिए उसका निर्माण आपके अंदर करता है।

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 ॐ कैसे आपको नई ऊर्जा प्रदान करके आपके आंतरिक क्षमता का विकास करता है उसे जानने के लिए हमे इसे समझना होगा कि इसको बोलने से कैसे हमारी  आंतरिक ऊर्जा न निर्माण होता है। ॐ के तीन भाग है आ उ म आ आपके नाभि क्षेत्र पर  उ आपके कंठ पर और म आपके कपाल क्षेत्र पर प्रभाव डालता है।ॐ का एक चौथा और रहस्यमयी भाग भी जी जिसे  कहा जाता है अमात्रा। इसके बारे में हम अलग से पोस्ट करेंगे। ॐ आपके शरीर के अंदर जो ऊर्जा उतपन्न करता है वह भावनात्मक शारीरिक और अशरीरिक क्षेत्रो पर  प्रभाव करता है।
         किसी भी मंत्र के जाप में  आपको आंतरिक और बाह्य समन्वयता होनी आवश्यक है। यदि आप भीतर से ही शांत नही है और शांत नही है तो उस मन्त्र जिसका जाप आप करने जा रहे है के द्वारा जो दैवीय ऊर्जा  उत्पन्न होगी को आप अच्छे से उसे स्वयं में समाहित नही कर पाएंगे।उसके लिए आपको अपने नाभि केंद्र , कण्ठ केंद्र और कपाल क्षेत्र के जागृति के बिना कोई और उपाय नही है। ॐ हमारी भीतरी ऊर्जा एकाग्रता और  हमारी ऊर्जा क्षेत्र के विस्तार में कार्यान्वित हो कर हमें उस दैवीय शक्ति के विचार सिद्धि कार्य सिद्धि और संतुलन लाने को सम्भव करता है।
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     आगे ॐ को ले कर उर इसके रहस्यमयी रूप को ले कर हम चर्चा करेंगे और आपको इसके तीनो भागो आ उ म और चौथा भाग अमात्रा  से अवगत करवाएंगे की कैसे यह आपके जागृत स्वप्न सुसुप्ति तीनो अवस्थाओ से ले कर आपकी तुरीय अवस्था पर कार्य करता है ।जो कि प्रत्येक साधक के लिए लक्ष्य भी होता है और सिध्दि भी।
ब्लॉग के माध्यम से हम यह कोशिश करेंगे के तंत्र के मूल स्वरूप को समझ कर हम आपको महादेव भगवान शंकर और माँ दुर्गा के इस सृष्टि रहस्य से अवगत करा Uसके। और गुरु शिष्य परम्परा से आपको अवगत करा सके जो कि तंत्र मंत्र और इनके ज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण भाग है।
  आपके प्रश्न जिज्ञासा या परेशानी के लिए  आप हमे फ़ोन कर सकते है।
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