दस महाविद्या
पिछली पोस्ट में थोड़ा सा विवरण दस महाविद्या (देखे दस महाविद्या)के संदर्भ में दिया था । इस पोस्ट में हम आपको दस महा विद्या के रूप नाम वर्ण और उनकी शक्ति से थोड़ा परिचय करवाएंगे । जैसे कि हमने पिछली पोस्ट में बताया कि दस महाविद्या अर्थात भगवती के दस रूप जो कि ज्ञान, ध्यान, शक्ति और जीवन मे पूर्णता देने वाले है। अत्यंत रहस्यो से भरी है प्रत्येक विद्या। काली तारा षोडशी छिन्नमस्ता भुवनेश्वरी त्रिपुर भैरवी बगलामुखी धूमावती मातंगी कमला यह नाम है उन महाविद्यायो के जिनको की ब्रह्मांड के अस्तित्व का कारण कहा जाए तो गलत नही होगा। अभी हम नीचे आपको इन दस रूपो से अवगत करवाएंगे
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काली
शव पर आरूढ़ मुंडमाला धारण किए हुए है । एक हाथ में खड्ग दूसरे हाथ में त्रिशूल और तीसरे हाथ में कटे हुए सिर को लेकर भक्तों के समक्ष प्रकट होने वाली ये है प्रथम और सबसे विध्वंसक शक्ति है। माँ काली एक प्रबल शत्रुहन्ता महिषासुर मर्दिनी और रक्तबीज का वध करने वाली शिव प्रिया चामुंडा का साक्षात स्वरूप है, जिसने देव-दानव युद्ध में देवताओं को विजय दिलवाई थी। आगे अलग पोस्ट में हम आपको महाकाली के रहस्यो से। अवगत करवाएंगे । इनकी साधना सीधी और कृपा प्राप्ति के बारे में आपको बताएंगे।
महाकाली के बारे में अन्य पोस्ट
( पढ़े महाकाली महाविद्या)
(महाकाली साधना)
तारा
मा तारा तांत्रिको की प्रमुख देवी है। तारने वाली कहने के कारण माता को तारा नाम से जाना जाता है।भगवती तारा के तीन स्वरूप है तारा, नीलसरस्वती और एकजटा।मा तंयर की साधना से शत्रुओ का नाश होता है और इनकी साधना अपार ऐशवर्य और सौंदर्य प्राप्ति के लिए की जाती है। आगे और विस्तृत जानकारी अलग पोस्ट में दी जाएगी।
पढ़े महाविद्या तारा
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षोडशी
षोडशी दस महाविद्या की सबसे अधिक मनोहर और सिद्ध और रहस्यमयी शक्ति है। इन के ललिता, राज-राजेश्वरी महात्रिपुर सुंदरी आदि अनेक नाम हैं।श्री विद्या षोडशी साधना को राजराजेश्वरी इस लिये भी कहा जाता है क्योंकि यह अपनी कृपा से साधारण व्यक्ति को भी राजा बनाने में समर्थ हैं। इनमें षोडश कलायें पूर्ण रूप से विकसित हैं। इसलिये इनका नाम मां षोडशी हैं। यह अपने उपासक को भक्ति और मुक्ति दोनों प्रदान करती है।
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भुवनेश्वरी
मां भुवनेश्वरी का स्वरूप सौम्य और अंग कांतिमय है। मां भुवनेश्वरी की साधना से मुख्य रूप से वशीकरण, वाक सिद्धि, सुख, लाभ एवं शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। पृथ्वी पर जितने भी जीव हैं सब को इनकी कृपा से अन्न प्राप्त होता है। इसलिये यह हाथ में शाक और फल-फूल धारण करती हैं अतः इन्हें मां ‘शाकंभरी’ नाम से भी जाना जाता है।
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छिन्नमस्ता
मां छिन्नमस्ता का स्वरूप रहस्यमयी और विचित्र है। इनका सर कटा हुआ है। इनके बंध से रक्त की तीन धारायें निकल रही है। जिस में से दो धारायें उनकी योगिनियां पी रही है और एक धारा स्वयं देवी पान कर रही है। छिन्नमस्ता की उपासना से साधक पर सरस्वती की कृपा होती है। योग और प्राणायाम की देवी के रूप में भी जाना जाता है। इन्हें वज्र विरोचिनी के नाम से भी जाना जाता है।
त्रिपुर भैरवी
त्रिपुर भैरवी का रंग लाल है और यह लाल रंग के वस्त्र पहनती हैं। गले में मुंडमाला है तथा कमलासन पर विराजमान है। त्रिपुर भैरवी का मुख्य लाभ बहुत कठोर साधना से मिलता है। शत्रु के संहार एवं विध्वंसक से विध्वंसक तंत्र बाधा निवारण और इससे पूर्ण मुक्ति हेतु 10 महाविद्या की इस शक्ति की साधना अत्यंत प्रभावशाली है। इससे साधक के सौंदर्य में निखार आ जाता है।
बगलामुखी
जो लोग शत्रु-विरोधी अधिकारी वर्ग से परेशान है नवग्रह पीड़ा से पीड़ित हो ,वायवीय बाधाओं से परेशान हो माँ बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं. इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है. मा बगलामुखी को ब्रह्मास्त्र रूपिणी विद्या भी बोला जाता है।
पढ़े बगलामुखी साधना
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धूमावती
धूमावती का कोई स्वामी नहीं है।इनको अलक्ष्मी भी कहा जाता है।10 महा विद्या में यह सबसे विध्वंसक रूप है। इनकी साधना श्मशान में कई जाए तो मारण प्रयोग भी सम्भव है। इनकी उपासना से विपत्ति नाश, रोग निवारण व युद्ध में विजय प्राप्त होती है।
मातंगी
इस महा विद्या की साधना से सुखी, गृहस्थ जीवन, आकर्षक और ओजपूर्ण वाणी तथा गुणवान पति या पत्नी की प्राप्ति होती है। इनकी साधना वाम मार्गी साधकों में अधिक प्रचलित है।.
कमला
मां कमला कमल के आसन पर विराजमान रहती है। श्वेत रंग के चार हाथी अपनी सूंड में जल भरे कलश लेकर इन्हें स्नान कराते हैं। महा विद्या के इस रूप की साधना से दरिद्रता का नाश होता है और आय के स्रोत बढ़ते हैं। यह दुर्गा का सर्व सौभाग्य रूप है। जहां कमला है वहां विष्णु ।
हम आगे आपको वह साधनाएं और उन की विधि इन सब से अवगत करवाएंगे। तो मित्रों यदि सत्य में ही कोई साधक किसी भी महाविद्या की कृपा प्राप्ति चाहता है तो उससे पहले उसे शिव का साधक होना आवश्यक है।
!!सति देहा समुदभवा दस महाविद्याणां शिवश्च प्रियम्!!
अर्थात सति के देह से उत्पन्न हुई दस महाविद्या भगवान शिव को अतिप्रिय हैं. जो भी इन महाविद्याओं की अराधना करते हैं उन्हें दस महाविद्याएं अभीष्ट फल प्रदान करने के साथ धन धान्य से सुखी संपन्न करती है।
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आनंद हो
ब्लॉग के माध्यम से हम यह कोशिश करेंगे के तंत्र के मूल स्वरूप को समझ कर हम आपको महादेव भगवान शंकर और माँ दुर्गा के इस सृष्टि रहस्य से अवगत करा सके। और गुरु शिष्य परम्परा से आपको अवगत करा सके जो कि तंत्र मंत्र और इनके ज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण भाग है। आपके प्रश्न जिज्ञासा या परेशानी के लिए आप हमे फ़ोन कर सकते है।
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