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महाविद्या तारा (स्वरूप और रूप)



पिछली पोस्ट में हमने आपको महाविद्या माँ तारा से अवगत करवाया पढ़े (महाविद्या माँ तारा) । थोड़ा सा परिचय दिया। इस पोस्ट में हम आपको मा तारा  से सम्बंधित अन्य रहस्यो के बारे में बताएंगे।
महाविद्या तारा से महाज्ञान की प्राप्ति तो होती ही है उसके साथ साथ साधक  अपनी जीवन यात्रा पूर्ण करने के बाद मोक्ष को प्राप्त होता है। और माँ के एक जटा स्वरूप में अक्षोभ्य शिव के साथ स्थान मिलता है।
     महाविद्या तारा मोक्ष की देवी हैं। मुख्यतः मा की पूजा तांत्रिक विधियों से होती है। यह एक वाम मार्गी विद्या है जिसमे तन्त्र में प्रयोग होने वाले पंच मकार से साधना होता है। पंच मकार ( मद्य मास मत्स्य मुद्रा मैथुन) पंच म कार के बारे में दो मत है एक ध्यान और दूसरा तन्त्र जो साधक मास मंदिर मैथुन मुद्रा और मत्स्य से साधन नही कर सकते उनके लिए ध्यान के पांच मकार की विधिया भी है इसके लिए अलग पोस्ट में व्याख्यान किया जाएगा।
        ब्रह्मांड में जितना भी ज्ञान  का विस्तार है वह मूलतः महाविद्या तारा के अधीन ही है या ये कहे मा तारा ही वो ज्ञान है। माँ तारा का साधक ब्रह्मांडीय  रहस्यो को जानने वाला होता है    ।  माँ तारा का निवास स्थान श्मशान है जहां  देवी जलती हुई चिता में रखे हुए शव के ऊपर प्रत्यालीढ़  मुद्रा में नग्न अवस्था मे  स्थित है। देवी के आभूषण सर्प है  तथा माँ तारा नर खप्पर तथा हड्डियों की माला पहने हुए है । माँ तारा का यह उग्र स्वरूप अत्यंत भयानक है और यह रूप उग्र तारा के नाम से जाना जाता है ।माँ के इस स्वरूप के तीन नेत्र है।
माँ उग्र तारा का यह रूप हमारी उन स्थितयों को दर्शाता है जब हम किसी ऐसी परिस्थिति में फस जाते है  जब हमारे पास कोई रास्ता नही होता न ही ऊर्जा के हम परिस्थिति से लड़ सके। उस समय हम शव समान ही होते है।  मा के इस रूप का व्याख्यान अलग पोस्ट में भी किया जाएगा।

मा के तीन मुख्य रूप है
उग्र तारा

उग्र तारा
उग्र तारा अपने भयानक और उग्र ऊर्जा के कारण जानी जाती है। माँ जलती हुई चिता पर शव पर खड़ी है(शव यहां चेतनाहीन शिव को कहा जा रहा है) शक्ति हीं शिव को शव की ही संज्ञा दी गयी है । शिव के अंदर जो ई कार है ,वो शक्ति तत्व ही है। हम सब मे भी ई कार ही है जिससे हम जीवित है। माँ उग्र तारा तामसिक गुणों से सम्पन्न है तथा अपने साधक की कठिन से कठिन परिस्थितियों में में सहायता करती है। घोर संकटो का नाश करती है। और बुद्धि बल विवेक को सबल करके माँ भक्त को  विनाशकारी परिस्थितियों में भी पथ प्रदर्शन करके  उनसे बचने में सहायता करती हैं।


नील सरस्वती
   माँ का यह रूप नील सरस्वती पूरे ब्रह्मांड के पूरे ज्ञान  को जानने वाली है। पूरे ब्रह्मांड में जो ज्ञान है चाहे वह योग है आयुर्वेद है ज्योतिष है या विज्ञान या कुछ और भी अज्ञात ज्ञान जो कि हम सामान्य बुद्धि से समझ पाने में सक्षम ही नही उस सबको इकट्ठा करके जो स्वरूप बनेगा और जो ऊर्जा होगी वह है देवी नील सरस्वती। यह देवी राजसिक गुण वाली है। अपने ज्ञान और ऊर्जा से ज्वलन्त शव को शिव रूप देने में सक्षम है। यह तत्व बहुत ही आवश्यक है एक साधक के लिए जानना अत्यंत ज़रूरी है।इसके लिए आने वाले समय मे अलग से पोस्ट लिखी जाएगी।

 
  एकजटा
 भगवती का यह रूप मोक्ष देने वाला है। यह स्वरूप सत्व गुनी है । जैसे प्रथम रूप उग्र तारा शव पर खड़ी  है और  नीलब्सरस्वती शव को शिव में  परिवर्तित करने वाली है और ज्ञान का भंडार है । वैसे ही एकजटा रूप शिव को अपनी जटा में धारण करके उन्हें मोक्ष देने वाली हैदेवी अपने भक्तों को मरने के बाद अपनी जटा में स्थान देने वाली  और मोक्ष दात्री है।


 अगली पोस्ट में हम आपको माँ के अन्य आठ रूपो के बारे में बताएंगे और कुछ और अन्य बाते भी सांझ करेंगे जो कि आज के समय मे इस महाविद्या की ज़रूरत और महत्व को दर्शाएगी।

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टिप्पणियाँ

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  2. माँ के अन्य आठ रूपों का वर्णन भी करें । ॐ नमो नारायण जय श्री महाकाल जय माँ तारा

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