पिछली पोस्ट में हमने आपको दस महाविद्या और महाविद्या महाकाली से अवगत करवाया उनका स्वरूप आदि बताया। इस श्रृंखला में हम अब आपको महाकाली के साधना पथ के बारे में बताएंगे । किस और क्यों महाकाली की साधना करनी चाहिए। और किसे नही करनी चाहिए और क्यों ।
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महाकाली साधना एक अति उग्र साधना है। इस साधना पथ पर साधक जब अग्रसर होता है तो उसे विचित्र अनुभव होते है। सबसे पहले हम महाकाली के साधक में क्या गुण होने चाहिए यह बताएंगे। सर्व प्रथम तो साधक के अंदर पूर्ण समर्पण , श्रद्धा और एकाग्रता होनी चाहिए। महाकाली का साधक शारीरिक रूप से बली होना चाहिए क्योंकि इनकी साधना करते समय शारीरिक कष्ट आदि आते है । द्वितीय साधक को आत्मिक रूप से बलवान होना चाहिए जिससे कि वह मन्त्र शक्ति और ऊर्जा को सह सके और संतुलित रह सके। महाकाली की साधना योग्य गुरु के बिना बिल्कुल नही की जानी चाहिए क्योंकि गुरु कृपा से साधना पथ की कठिनाइयां दूर होती है।
साधक में निर्भयता का गुण अति आवश्यक है क्योंकि कई बार साधक को श्मशान क्रिया या कोई अन्य क्रिया करनी पड़ती है जिसमे की कई प्रकार से भय का संचार होता है। और साधना के समय अनेकानेक प्रकार की ऊर्जाएं साधना में बाधा डालने का प्रयत्न करती है।
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साधक को महाकाली के मन्त्र स्तोत्र आदि का ज्ञान लेने से पहले काली बीज मंत्र का ध्यान जाप करना चाहिए ताकि साधक के अंदर मन्त्र ऊर्जा हो। क्रीं मन्त्र महाकाली का बीज है उसकी साधना कोई भी साधक नियमवत कर सकता है आगे चल कर एक पोस्ट में वह साधना से अवगत करवाया जाएगा।अब हम आपको बताएंगे कि महाकाली की साधना किन परिस्थितियों में की जाती है यहां हम जीवन में आने वाली कठिनाइयां और उनके निराकरण की बात करेंगे और भौतिक विषयों पर चर्चा करेंगे महाकाली की साधना निम्नलिखित परिस्थितियों में विशेष रूप से फलदाई होती है और निम्न भौतिक सांसारिक विषयों और कष्टों को निवारण के लिए की जाती है.।
1 यदि कोई अन्याय पूर्ण स्थिति उत्पन्न ना हो जाए और यदि कोई आपके साथ अन्याय कर रहा हो।
2 दूसरा यदि आप किन्ही प्रकार की वायवीय बाधाओं के संकट से जूझ रहे हैं।
3 यदि आप पर किसी ने मारण उच्चाटन स्तंभन कुछ ऐसा प्रयोग किया है और वह आपके जीवन पर प्रभाव डाल रहा है।
4 चौथा यदि आपकी कुंडली में अकाल मृत्यु का योग है ।
5 यदि आप प्रगति के पथ पर अग्रसर नहीं हो पा रहे और आपको वह स्थान प्राप्त नहीं हो पा रहा जिस के हकदार आप हैं।
5 पांचवा यदि आप किसी ऐसे व्यवसाय या नौकरी में है जिसमें जान का जोखिम हो ।
6यदि आप पर शनि की महादशा या साढ़सती हो।
7 सातवा यदि आप राहु के प्रकोप से जूझ रहे हो।
8 यदि आप परस्पर शत्रुओं से पीड़ित हैं ।
8 आठवां यदि आप शारीरिक कष्ट में हैं
9 यदि आप पर कोई ऐसा अभिचार कर्म हुआ है जो कि निवारण ही नहीं हो पा रहा ।
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यहां हम यह बता देना चाहेंगे यह जो ऊपर लिखित कारण हम ने लिखे हैं वह सामान्य से लेकर असामान्य रूप से प्रभावित करने वाले कारण है । और यह भौतिक कारण और इनका निराकरण इस विद्या के द्वारा अवश्य हो सकता है। यदि हम चाहें तो यदि हम शारीरिक रूप से ठीक है और साधना के पात्र हैं तो इस साधना पथ पर हम अग्रसर हो सकते हैं और यदि हम स्वयं इस साधना पथ पर किन्ही कारणों से अग्रसर नहीं हो पाते तो हम महाकाली अनुष्ठान भी करवा सकते हैं ।जिसमें के योग्य तांत्रिक की आवश्यकता होगी
मित्रों महाकाली महाविद्या वह कुंजी है जो कि अपात्र व्यक्ति को भी पात्र बना दें । बस आवश्यकता है तो सिर्फ निश्चय की यदि निश्चय दृढ़ है और मां के ऊपर पूर्ण श्रद्धा है और गुरु की कृपा है तो अपात्र व्यक्ति भी पात्र बन जाता है पात्रता बनती भी तो क्रियाओं और गुरु सेवा से है। योग ध्यान और अन्य विधियों से हमें शारीरिक और आत्मिक बल मिलता है जिसके द्वारा हम इस साधना को कर सकते हैं परंतु यदि हम किसी भी कारण से यह साधना नहीं कर पाते तो भी इसका अर्थ यह नहीं है कि हम मां महाकाली की कृपा नहीं प्राप्त कर सकते महाकाली की कृपा हम अनुष्ठान करवा कर भी प्राप्त कर सकते हैं और उसके साथ साथ में बीज मंत्र क्रीं का स्वयं जाप करके भी प्राप्त कर सकते हैं । बस आवश्यकता है तो उन विधियों को जानने की। महामंत्र तक पहुंचने के लिए बीज मंत्र से होकर ही जाना पड़ता है यदि कोई साधक सिर्फ बीज मंत्र की कृपा ही प्राप्त कर लें और ऊर्जा ही प्राप्त करें इसमें कोई संदेह नहीं वह भी अपनी कार्य सिद्धि कर सकता है।
अब हम आपको यह बता देते हैं कि महाकाली की पूर्ण साधना किसे नहीं करनी चाहिए
1महाकाली की साधना उग्र है जैसे कि हमने बताया तो यदि कोई कमजोर हृदय वाला व्यक्ति इस साधना को करता है तो उसके लिए नई परेशानी खड़ी हो सकती है क्योंकि महाकाली की साधना में विचित्र अनुभव होते है।
2यदि कोई व्यक्ति इस साधना की ओर अग्रसर होता है दो व्यक्ति डरपोक नहीं होना चाहिए
3 व्यक्ति के पास यदि गुरु नहीं है तो उसे इस साधना की तरफ नहीं जाना चाहिए क्योंकि गुरु कृपा के बिना यह साधना संभव ही नहीं यहां मैं महाकाली की पूर्ण साधना की बात कर रहा हूं बीज मंत्र कि नहीं।
4 यदि व्यक्ति को पूर्ण श्रद्धा पूर्ण समर्पण भाव नहीं है और वह सिर्फ अनुभव के लिए ही यह साधना कर रहा है तो उसे इस साधना की ओर अग्रसर नहीं होना चाहिए यह साधना अत्यंत प्रभावशाली साधना है और इस साधना को सिर्फ अनुभव करने के लिए नहीं करना चाहिए अन्यथा अहित हो सकता है
5 नास्तिक व्यक्ति के लिए यह साधना नहीं बनी है
6 साधक का स्वयं पर पूर्ण संतुलन होना चाहिए यदि ऐसा नहीं है और जब तक ऐसा नहीं है उसे इस साधना में नहीं जाना चाहिए
7 अत्यधिक कामी व्यक्ति को जिस पर विषय विकार और कामुक विचार हावी रहते हैं उससे पहले उन समस्याओं का निराकरण करना चाहिए और बाद में यह साधना करनी चाहिए।
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ब्लॉग के माध्यम से हम यह कोशिश करेंगे के तंत्र के मूल स्वरूप को समझ कर हम आपको महादेव भगवान शंकर और माँ दुर्गा के इस सृष्टि रहस्य से अवगत करा सके। और गुरु शिष्य परम्परा से आपको अवगत करा सके जो कि तंत्र मंत्र और इनके ज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण भाग है। आपके प्रश्न जिज्ञासा या परेशानी के लिए आप हमे फ़ोन कर सकते है।
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