दस महाविद्या की श्रृंखला में इस वक़्त हम महाविद्या महाकाली के बारे में कुछ पोस्ट में चर्चा कर रहे है। पिछली पोस्ट में हमने आपको महाविद्या महाकाली के स्वरूप ,साधक गुण , और किसे यह साधना करनी चाहिए और क्यों , यह सब बताया। अब इस पोस्ट में हम आपको क्रीं बीज मंत्र साधना बताएंगे।
जैसे ह्रीं और श्रीं के बारे में पिछली पोस्ट में हम बता चुके है । ह्रीं शक्ति बीज है तो श्रीं लक्ष्मी बीज वैसे ही क्रीं महाकाली की साधना का बीज मन्त्र है । इसकी साधना तीनो तरीको से की जा सकती है। मानसिक ,उपांशु और वाचिक। जैसे ह्रीं शक्ति का प्रतीक है और श्रीं सम्पन्नता का वैसे ही क्रीं बीज मंत्र निर्भयता और उग्र ऊर्जा का प्रतीक है।
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क्रीं बीज मंत्र की साधना किसी भी प्रकार की वायवीय बाधा, कष्ट, शत्रुओ से छुटकारा पाने के लिए तथा सभी प्रकार से रक्षा के लिए किया जाता है। भगवती महाकाली की यह साधना सामान्य व्यक्ति भी कर सकता है। और साधक को तो यह साधना सम्पन्न करनी ही चाहिए। जिससे आने वाले समय मे उसे रक्षा ज्ञान और ऊर्जा प्राप्त हो। इस साधना को करने के लिए साधक ध्यान करते हुए ॐ की तरह क्रीं मन्त्र बोल सकता है। शांत चित्त हो कर साधक स्नान आदि करके पहले अपनी दैनिक पूजा करे और शिव को स्मरण करके कुछ देर ॐ करे और उसके पश्चात क्रीं मन्त्र का जाप करे क्रीईई ईईईईईईईईईईईईइम्म्ममम्ममम्मम्ममम्ममम्ममम्ममम्ममम्म। की लय से भगवती भद्रकाली का ध्यान करके मानसिक रूप से अपने लिए सुरक्षा की प्रार्थना करे। जितने समर्पण से साधक इस बीज मंत्र को आत्मसात करेगा उतनी ही अधिक इस मंत्र की ऊर्जा उसे प्राप्त होगी। इस साधना में कोई अधिक विधि विधान नही है परंतु आंतरिक वैचारिक और शारीरिक शुद्धि अनिवार्य है यथा शक्ति यथा सामर्थ्य इस बीज मंत्र का कुछ देर जप किया जाना चाहिए। यह साधना रात्रि में की जाए तो अधिक फायदेमंद होगी।
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वस्त्र आदि में यदि साधक को लाल वस्त्र उपलब्ध है तो अति उत्तम अन्यथा साधक काले रंग को छोड़ कर कोई भी रंग के उपलब्ध वस्त्र पहन सकता है। धूप दीप सामान्य रूप से दे शनिवार को भगवती महाकाली के मंदिर में अवश्य जाये और उनसे प्रार्थना करे।
यह था मानसिक प्रयोग या कहे के सामान्य प्रयोग। एक प्रयोग और नीचे लिखा जा रहा है जो कि इसी बीज मंत्र का है और कार्यसिद्धि हेतु अत्यंत प्रभावशाली है। परंतु ये प्रयोग गुरु कृपा के बाद ही किया जाए तो अच्छा। मानसिक रूप से असंतुलित कामी और चंचल स्वभाव के व्यक्ति पहले अन्य साधनाओ के द्वारा स्वयं को पात्र बनाये और फिर यह साधना की ओर अग्रसर हो।
साधना सामग्री
भद्रकाली का चित्र
महाकाली यन्त्र
सरसो के तेल का दीपक
गुग्गुल लोबान आदि
काली हकीक माला
लाल वस्त्र
साधना दिशा
दक्षिण
साधना समय
कृष्णपक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या रात्रि तक
जप संख्या
16000
विशेष ; यह साधना उग्र साधना है । और अत्यंत प्रभावशाली है । इसका प्रयोग केवल आत्म रक्षा या भगवती की कृपा प्राप्ति के लिए किया जाना चाहिए। किसी के ऊपर इस प्रयोग करना स्वयं के लिए भी घातक सिद्ध हो सकता है।
मन्त्र -क्रीं क्रीं क्रीं कालिकायै स्वाहा
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साधक दक्षिणाभिमुख मुख हो कर नारियल आदि स्थापित कर के महाकाली यंत्र आदि स्थापित करे। भगवान गणेश का स्मरण करते हुए गुरु स्मरण करते हुए धूप दीप इत्यादि जला कर संकल्प ले ( संकल्प के लिए ह्रीं साधना देखे।) साधक को लाल वस्त्र ही पहनने है। और साधना कक्ष शांत होोना चाहिए । यथाशक्ति मौन ही रहना होगा इस साधना में ।धूप दीप बाद साधक को प्राण प्रतिष्ठित माला को प्रणाम करना चाहिए।
भैरव जी के स्तोत्र का पाठ करना चाहिए ।इसके उपरांत साधक को चाहिए कि गुरु मंत्र की माला करे और उसके उपरांत क्रीं बीज मंत्र की माला शुरू करनी चाहिए । भगवती महाकाली के भद्रकाली रूप को स्मरण करते हुए साधना प्रारम्भ करते हुए निश्चित जाप प्रति रात्रि करना चाहिए।
साधना पूर्ण होने के बाद दशांश हवन गुग्गुल काले तिल आदि से किया जाना चाहिए और भगवती महाकाली मंदिर में जा कर भनत स्वरूप प्रसाद आदि चढ़ाना चाहिए । साधना पूर्ण होने पे साधना सामग्री माला और यन्त्र चित्र को मंदिर में रखना चाहिए और अन्य सामग्री जल प्रवाह कर देनी चाहिए।
यह साधना हमने यह पूरी नही लिखी है कुछ सामग्रियों के बारे में अति गुप्त रूप से बताये जाने का बंधन होने के कारण और साधना का दुरुपयोग न हो इस विचार से सभी बातें ब्लॉग पे लिखना भी शायद हानिकर हो सकता है। अतः इस साधना को करने के लिए अपने गुरु जी की कृपा अवश्य प्राप्त करे।
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ब्लॉग के माध्यम से हम यह कोशिश करेंगे के तंत्र के मूल स्वरूप को समझ कर हम आपको महादेव भगवान शंकर और माँ दुर्गा के इस सृष्टि रहस्य से अवगत करा सके। और गुरु शिष्य परम्परा से आपको अवगत करा सके जो कि तंत्र मंत्र और इनके ज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण भाग है। आपके प्रश्न जिज्ञासा या परेशानी के लिए आप हमे फ़ोन कर सकते है।
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