दस महाविद्या(supreme intelligence)
मित्रो मुझे काफी दिन से इनबॉक्स में दस महाविद्या से सम्बंधित प्रशन मिल रहे है । तो मैं आप सब को दस महाविद्या के बारे में बताना चाहूंगा। इस पोस्ट में हम चर्चा करेंगे दस महाविद्या के सम्बंध में । दस महा विद्या क्या है ?क्या है उनका अस्तित्व? देवी के किन रूपो को दस महाविद्या कहा जाता है?। और क्या है उनके रहस्य? इन सब बातों को हम अलग अलग पोस्ट में चर्चा करेंगे।
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दस महाविद्या (supreme intelligence)
जैसे कि हम नाम से ही जान सकते है कि दस महाविद्या का अर्थ है वह विद्याएं जो सभी विद्याओ से महान हो। भगवती दुर्गा का दूसरा नाम शक्ति है और शक्ति के बारे में तो हम सभी जानते हैं ऊर्जा , शक्ति यही हमारे अस्तित्व का कारण है चाहे वह प्राण ऊर्जा हो शारीरिक शक्ति हो मानसिक शक्ति हो सब ऊर्जा और शक्ति से बनती है। दस महाविद्या के बारे में हम यह कह सकते हैं कि वह दस देवी के रूप जो कि व्यक्ति को परम् शक्ति ऊर्जा और संपन्नता यह सब की प्राप्ति करवाती है ,यह था भौतिक दृष्टिकोण ।
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एक साधक के दृष्टिकोण से अगर देखा जाए तो 10 महाविद्या वह उच्चतम ज्ञान है जो कि व्यक्ति को साधक को साधना और जीवन जीना यह दोनों सिखाती हैं। 10 महाविद्या के साधक के लिए कुछ भी असंभव नहीं । दस महाविद्या supreme intelligence सुप्रीम इंटेलिजेंस से ही हमें समझ में आ जाता है कि दस महाविद्या साधक ज्ञानी (इंटेलिजेंट) और ज्ञानियों में श्रेष्ठ (सुप्रीम इंटेलिजेंट )हो जाता है ।दस महाविद्या का उल्लेख एक पोस्ट करना संभव नहीं और और सत्य ही कहूं तो दस महाविद्या कब पूरा उल्लेख दे देना और वह भी सिर्फ ब्लॉग में ,सूरज को दिया दिखाने जैसा होगा ।तो मित्रों कुछ शब्दों में यथाशक्ति यथा सामर्थ्य मैं आप तक दस महाविद्या के रहस्य उनके रूप और शक्ति का अस्तित्व अब तक लाने का प्रयत्न करूंगा।
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दस महाविद्या भगवती के दस रूप है जिनको काली , तारा षोडशी छिन्नमस्तिका भुवनेश्वरी त्रिपुर भैरवी बगलामुखी धूमावती कमला और मातंगी इन नामों से जाना जाता है। यह 10 रूप तीन समूहों में विभाजित हुए हैं जिनमे से एक है सौम्य कोटि, दूसरा है उग्र कोटि समूह और तीसरा है सौम्य उग्र कोटि।दस महाविद्या को लेकर कई कथाएं मार्कंडेय पुराण श्रीमद् देवी भागवत पुराण और अन्य ग्रंथों में उल्लेखित है ।इनकी उत्पत्ति से लेकर इनके अस्तित्व तक अनेक ग्रंथों में भगवती महामाया का गुणगान किया गया है। और इन दस रूपों की अतुलनीय प्रशंसा की गई है
दस महाविद्या के प्रत्येक रूप का वर्णन रूप और भैरव अलग अलग है । यहां उल्लेखनीय बात यह है कि शिव की पूजा किए बिना दस महाविद्या की कृपा प्राप्ति असंभव है । यदि आप दस महाविद्या से कृपा प्राप्ति चाहते हैं तो आपको शिव की कृपा प्राप्त करनी होगी ।
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दस महाविद्या से भोग , मोक्ष, अर्थ , काम इन
सब की प्राप्ति संभव है । इनकी दीक्षा इनके मंत्र और उनके रहस्य गुरु शिष्य परंपरा के द्वारा दिए जाते हैं और इनकी साधना से पहले साधक को कुछ अन्य साधनाएं भी पूर्ण करनी पड़ती है । जैसे कि मोहिनी साधना ,यक्षिणी साधना आदि । और उन साधनाओ की पूर्ति के बिना दस महाविद्या का साधक सफल नहीं हो पाता । तंत्र के जो षट्कर्म है मारण , मोहन ,उच्चाटन ,उल्लिकन, विद्वेषण, स्तंभन सभी दस महाविद्या के द्वारा संभव है और सुलभ है। (देखे तन्त्र एक सत्य)
हम आगे आपको वह साधनाएं और उन की विधि इन सब से अवगत करवाएंगे। तो मित्रों यदि सत्य में ही कोई साधक किसी भी महाविद्या की कृपा प्राप्ति चाहता है तो उससे पहले उसे शिव का साधक होना आवश्यक है।
!!सति देहा समुदभवा दस महाविद्याणां शिवश्च प्रियम्!!
अर्थात सति के देह से उत्पन्न हुई दस महाविद्या भगवान शिव को अतिप्रिय हैं. जो भी इन महाविद्याओं की अराधना करते हैं उन्हें दस महाविद्याएं अभीष्ट फल प्रदान करने के साथ धन धान्य से सुखी संपन्न करती है।
मित्रो अगली पोस्ट में में दस महाविद्या की देवियो का संक्षिप्त परिचय आपको बताऊंगा और उसके बाद क्रमशः हम दसो रूपो को एक एक करके साधना विधि से अवगत करवाएंगे ।
दस महाविद्या की श्रृंखला में अन्य पोस्ट
देखे ( दस महाविद्या )
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ब्लॉग के माध्यम से हम यह कोशिश करेंगे के तंत्र के मूल स्वरूप को समझ कर हम आपको महादेव भगवान शंकर और माँ दुर्गा के इस सृष्टि रहस्य से अवगत करा सके। और गुरु शिष्य परम्परा से आपको अवगत करा सके जो कि तंत्र मंत्र और इनके ज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण भाग है। आपके प्रश्न जिज्ञासा या परेशानी के लिए आप हमे फ़ोन कर सकते है।
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