माँ बगलामुखी साधना
मां बगलामुखी जी आठवी महाविद्या हैं। यह स्तम्भन की देवी हैं. जिनके कार्य क्षेत्र में वार्तालाप -वाद-विवाद आदि अधिक आती हो जैसे अधिवक्ता ,प्रतियोगी परीक्षाओं के इच्छुक लोग ,शास्त्रार्थ ,प्रवचन ,ज्योतिष ,सेल्स आदि से सम्बंधित लोग ,बार-बार रोगादि से परेशान हो ,असाध्य और लंबी बीमारी से पीड़ित हो ,आय के स्रोतों में उतार-चढ़ाव से परेशान हो , उन्हें बगलामुखी देवी की साधना -आराधना-पूजा करनी चाहिए । हल्दी रंग के जल से इनका प्रकट होना बताया जाता है। इसलिए, हल्दी का रंग पीला होने से इन्हें पीताम्बरा देवी भी कहते हैं। इस महाविद्या की उपासना रात्रि काल में करने से विशेष सिद्धि की प्राप्ति होती है। इनके भैरव महाकाल हैं। अर्थात इनकी साधना में सफलता पाने के लिए प्रथम शिव की कृपा प्राप्त अवश्य करनी चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र की साधना इस साधना से पहले अत्यंत फलदायी है। या फिर ॐ नमः शिवाय का पाठ भी किया जा सकता है।
जो लोग शत्रु-विरोधी अधिकारी वर्ग से परेशान है नवग्रह पीड़ा से पीड़ित हो ,वायवीय बाधाओं से परेशान हो माँ बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं. इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है. मा बगलामुखी को ब्रह्मास्त्र रूपिणी विद्या भी बोला जाता है। आने वाले समय मे हम आपको बगलामुखी विद्या के रहस्य से अवगत करवाएंगे।
मा बगलामुखी के मंत्रो में ह्लीं और ह्रीं बीज दोनो ही प्रयोग होते है । कुछ मंत्रो में फट कुछ में स्वाहा और कुछ में नमः प्रयोग होता है। आगे कुछ साधनाये बताई जाएंगी।
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संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता बगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है. इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है. देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती होती हैं रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं।" सौवर्णासन संस्थितां त्रिनयनां पीताशंकोल्लासनी
हेमाभांग रूचिं शंशाक मुकुटां संचम्पक स्त्र युग्ताम।
हस्तैर्मुदगर पाशवद्वरसनां सम्विभ्रतीं भूषणै र्व्याप्ताड़ीं
बगलामुखी त्रिजगतां संस्तम्भिनी चिन्तये ! "
माता बगलामुखी स्वर्ण के सिंहासन पर विराजमान है। मुकुट पर चन्द्रमा विराजमान एक हाथ में मुदगर धारण किए हुए तथा दूसरे हाथ में शत्रु की जिहवा पकड़े हुए है, तथा सदैव पीले वस्त्र धारण करती हुई शोभायमान रहती है।
देवी के भक्त को तीनो लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं. , पीताम्बरा की उपासना से मुकदमा में विजयी प्राप्त होती है। शत्रु पराजित होते हैं। रोगों का नाश होता है। साधकों को वाकसिद्धि हो जाती है।
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माँ बगलामुखी की साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है. देवी बगलामुखी पूजा अर्चना सर्वशक्ति सम्पन्न बनाने वाली सभी शत्रुओं का शमन करने वाली तथा मुकदमों में विजय दिलाने वाली होती है।
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इस मंत्र से काम्य प्रयोग भी संपन्न किये जाते हैं जैसे —-
1. मधु. शर्करा युक्त तिलों से होम करने पर मनुष्य वश में होते है।
2. मधु. घृत तथा शर्करा युक्त लवण से होम करने पर आकर्षण होता है।
3. तेल युक्त नीम के पत्तों से होम करने पर विद्वेषण होता है।
4. हरिताल, नमक तथा हल्दी से होम करने पर शत्रुओं का स्तम्भन होता है।
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बगलामुखी साधना की सावधानियां :-
1. बगलामुखी साधना के दौरान पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना अत्यधिक आवश्यक है।
2. इस क्रम में स्त्री का स्पर्श, उसके साथ किसी भी प्रकार की चर्चा या सपने में भी उसका आना पूर्णत: निषेध है। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपकी साधना खण्डित हो जाती है।
3. किसी डरपोक व्यक्ति या बच्चे के साथ यह साधना नहीं करनी चाहिए। बगलामुखी साधना के दौरान साधक को डराती भी है। साधना के समय विचित्र आवाजें और खौफनाक आभास भी हो सकते हैं इसीलिए जिन्हें काले अंधेरों और पारलौकिक ताकतों से डर लगता है, उन्हें यह साधना नहीं करनी चाहिए।
4. साधना से पहले आपको अपने गुरू का ध्यान जरूर करना चाहिए।
5. मंत्रों का जाप शुक्ल पक्ष में ही करें। बगलामुखी साधना के लिए नवरात्रि सबसे उपयुक्त है।
6. उत्तर की ओर देखते हुए ही साधना आरंभ करें।
7. मंत्र जाप करते समय अगर आपकी आवाज अपने आप तेज हो जाए तो चिंता ना करें।
8. जब तक आप साधना कर रहे हैं तब तक इस बात की चर्चा किसी से भी ना करें।
9. साधना करते समय अपने आसपास घी और तेल के दिये जलाएं।
10. साधना करते समय आपके वस्त्र और आसन पीले रंग का होना चाहिए।
आगे एक पोस्ट हम बगलामुखी रहस्यम के नाम से आपके साथ सांझा करेंगे जिसमे हम आपको माँ बगलामुखी के ब्रह्मांड में अस्तित्व उनकी शक्ति का विस्तार और उनकी कृपा प्राप्ति के संबंध में आपसे चर्चा करेंगे।
ब्लॉग के माध्यम से हम यह कोशिश करेंगे के तंत्र के मूल स्वरूप को समझ कर हम आपको महादेव भगवान शंकर और माँ दुर्गा के इस सृष्टि रहस्य से अवगत करा सके। और गुरु शिष्य परम्परा से आपको अवगत करा सके जो कि तंत्र मंत्र और इनके ज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण भाग है। आपके प्रश्न जिज्ञासा या परेशानी के लिए आप हमे फ़ोन कर सकते है।
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4. साधना से पहले आपको अपने गुरू का ध्यान जरूर करना चाहिए।
5. मंत्रों का जाप शुक्ल पक्ष में ही करें। बगलामुखी साधना के लिए नवरात्रि सबसे उपयुक्त है।
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8. जब तक आप साधना कर रहे हैं तब तक इस बात की चर्चा किसी से भी ना करें।
9. साधना करते समय अपने आसपास घी और तेल के दिये जलाएं।
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